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आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के क्षेत्र में चीन के बढ़ते कदम

(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र 3: विषय सूचना प्रौद्योगिकी एवं कम्प्यूटर आदि सम्बंधित विषयों में जागरूकता)

पृष्ठभूमि

हाल ही में, चीन ने अपनी आधिकारिक डिजिटल मुद्रा का परीक्षण शुरू किया है, जिसे अनौपचारिक रूप से "डिजिटल मुद्रा इलेक्ट्रॉनिक भुगतान (Digital Currency Electronic Payment) या डीसी / ईपी" नाम दिया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • यद्यपि चीन की डिजिटल मुद्रा आधिकारिक तौर पर जारी नहीं की गई है लेकिन चीन के चार शहरों में इस मुद्रा पर आंतरिक पायलट परीक्षण किये जा रहे हैं।
  • ऐसा अनुमान है कि चीन आधिकारिक तौर पर वर्ष 2020 के अंत तक अपनी सम्प्रभु डिजिटल मुद्रा को जनता के उपयोग के लिये उपलब्ध करा सकता है।
  • चीन का राष्ट्रीय बैंक पीपल्स बैंक ऑफ चाइना डिजिटल मुद्रा के बैंक को अधिकारिक रूप से मान्यता दे देता है तो यह दुनिया में डिजिटल करेंसी का पहला सेंट्रल बैंक (Central Bank of Digital Currency) हो जाएगा।
  • अनुमानतः चीन की कुल डिजिटल मुद्रा एक ट्रिलियन युआन (140 बिलियन डॉलर) के बराबर तक पहुँच सकती है, जो चीन की कुल नगदी के लगभग आठवें हिस्से के बराबर है।

डिजिटल मुद्रा

  • डिजिटल मुद्रा भुगतान की एक आधुनिक व्यवस्था है जो केवल इलेक्ट्रॉनिक रूप में उपलब्ध होती है तथा मूर्त रूप में उपलब्ध नहीं होती अर्थात इसे स्पर्श नहीं किया जा सकता है।
  • डिजिटल करेंसी को कंप्यूटर, स्मार्टफोन और इंटरनेट जैसी तकनीक की मदद से संस्थाओं या उपयोगकर्ताओं के बीच आसानी से स्थानांतरित किया जा सकता है।
  • यद्यपि इसकी अनेक विशेषताएँ भौतिक मुद्राओं के समान है, लेकिन डिजिटल धन सीमा-रहित हस्तांतरण के साथ-साथ तात्कालिक लेनदेन की अनुमति भी देता है।
  • डिजिटल करेंसी को डिजिटल मनी और साइबरबैश के रूप में भी जाना जाता है।
  • यह एक प्रकार की पियर-टू-पियर नकद व्यवस्था है मतलब दाता से ग्राही को सीधे हस्तांतरित की जा सकती है इसमें कोई बिचौलिया नहीं होता।
  • जैसे क्रिप्टोकरेंसी।

क्रिप्टोकरेंसी

  • क्रिप्टोकरेंसी एक प्रकार की डिजिटल या आभासी मुद्रा है जिसमें सुरक्षा के लिये क्रिप्टोग्राफी तकनीक का उपयोग किया जाता है।
  • क्रिप्टोग्राफी में विकेंद्रीकृत तकनीक का उपयोग किया जाता है ताकि उपयोगकर्ता को अपने नाम का उपयोग करने या बैंक जाने की आवश्यकता भी ना हो और  सुरक्षित भुगतान भी ही सके। अतः अपनी निजता को लेकर सशंकित लोगों के लिये यह उपयुक्त माध्यम है।
  • यह ब्लॉकचेन नामक एक सार्वजनिक खाता-बही तकनीक पर कार्य करती है, जिसमें मुद्रा धारकों द्वारा किये गए सभी प्रकार के लेनदेन का रिकॉर्ड  होता है।
  • बिटकॉइन, लिब्रा , एथेरियम, रिपल और लिटिकोइन आदि कुछ प्रचलित क्रिप्टोकरेंसी हैं।

डिजिटल मुद्रा पर भारत का रुख

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वर्ष 2018 में क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगा दिया था।
  • RBI ने क्रिप्टोकरेंसी में लगातार होने वाले बड़े स्तर के उतार-चढ़ावों की वजह से इसे कभी भी वैध खातों या बैंक में प्रयोग करने के लिये उपयुक्त नहीं माना।
  • रिज़र्व बैंक  ने यह भी कहा कि इसका प्रयोग कई प्रकार से जोखिम भरा है जैसे एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद वित्तपोषण आदि के लिये इसका प्रयोग किया जा सकता है और इनकी उच्च तरलता इसे बहुत ही खतरनाक बना देती है यदि इसे किसी अपराध में प्रयोग किया जाता है, क्योंकि इसे हस्तांतरित करना बहुत आसान है।
  • यद्यपि रिज़र्व बैंक ने यह भी कहा था कि उचित समय पर वह एक सम्प्रभु डिजिटल मुद्रा विकसित करने पर गम्भीरता से विचार करेगा।
  • कुछ समय पूर्व उच्चतम न्यायालय ने रिज़र्व बैंक के उस परिपत्र को खारिज कर दिया था जो वित्तीय संस्थानों को डिजिटल या क्रिप्टोकरेंसी का प्रयोग करने से प्रतिबंधित करता है।

क्रिप्टोकरेंसी से खतरे

  • सम्पूर्ण व्यवस्था और प्रक्रिया ऑनलाइन होने के कारण इसकी सुरक्षा में खतरा उत्पन्न हो सकता है, हैकरों द्वारा हैक कर लिये जाने का डर बना रहता है।
  • केंद्रीय वित्तीय व्यवस्था और बैंकिंग प्रणाली से स्वतंत्र रहकर काम करने की वजह से इसके स्रोत और सुरक्षा को लेकर अक्सर सवाल उठते रहते हैं।
  • हवाला, मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्त-पोषण के लिये इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • उल्लेखनीय है कि प्रत्येक बिटकॉइन लेन-देन के लिये लगभग 237 किलोवाट बिजली की खपत होती है इससे प्रतिघंटा औसतन 92 किलो कार्बन भी उत्सर्जित होता है अतः पर्यावरण की दृष्टि से भी यह उपयुक्त नहीं है।
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