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चीन की जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट

(प्रारंभिक परीक्षा : भारत एवं विश्व का सामाजिक भूगोल, जनसांख्यिकी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र - 1 : जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे, विकासात्मक विषय, शहरीकरण)

संदर्भ

हाल ही में जारी आँकड़ों के अनुसार, चीन की जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट दर्ज़ की गई है। हालाँकि चीनी विशेषज्ञों का अनुमान है कि चीन की जनसंख्या वर्ष 2025 तक अपने उच्च स्तर तक होगी और तत्पश्चात् इसमें कमी आने की संभावना है।

चीन में जनसंख्या की स्थिति

  • पिछले कुछ वर्षों से चीन में जन्म दर निरंतर गिर रही है और जन्म लेने वाले शिशुओं की संख्या में लगातार चौथे वर्ष कमी हुई है। चीन में एक दशक में एक बार जनगणना होती है।
  • चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के अनुसार, वर्ष 1961 के बाद पिछले वर्ष सबसे कम बच्चों का जन्म हुआ। वर्ष 1961 के दौरान चीन भुखमरी का सामना कर रहा था। इसका कारण माओ ज़ेदांग द्वारा वर्ष 1958 में अपनाई गई ‘ग्रेट लीप फॉरवर्ड नीति’ थी, जिसने कृषि क्षेत्र को बर्बाद कर दिया था और लाखों लोगों की मृत्यु हो गई थी।
  • वर्ष 2020 में चीन की जनसंख्या 41 बिलियन रही, जो वर्ष 2010 की जनगणना से 72 मिलियन अधिक है और इस अवधि में 5.38% की वृद्धि दर्ज़ की गई।वर्ष 2019 की तुलना में औसत वार्षिक वृद्धि 0.53% रही। चीन में जनसंख्या वृद्धि की यह दर सबसे धीमी है। 

कारण और प्रभाव

  • जनसंख्या वृद्धि दर में कमी आना दशकों से चीन द्वारा चलाए जा रहे कठोर परिवार नियोजन नियमों का परिणाम है, जिसे ‘एक बच्चे की नीति’ के रूप में जाना जाता है।
  • चीन की प्रजनन दर में आने वाले वर्षों में गिरावट दर्ज़ की जा सकती है और यह विश्व में न्यूनतम रह सकती है। उल्लेखनीय है कि चीन ने जनसंख्या संबंधी संकट के चलते वर्ष 2016 में ‘एक बच्चे की नीति’ पर रोक लगाते हुए दो बच्चों के जन्म की अनुमति दे दी थी। हालाँकि बदलती जीवनशैली और प्राथमिकताओं में परिवर्तन के चलते यह पहल विशेषकर बड़े शहरों में जनसंख्या वृद्धि दर में तेज़ी लाने में विफल रही है।
  • अधिकारिक अनुमानों के अनुसार, अगले वर्ष तक औसत वार्षिक वृद्धि दर में और गिरावट आ सकती है, जिससे श्रमिकों की कमी, उपभोग स्तर में कमी तथा वृद्ध समाज का निर्माण जैसे परिणाम देखने को मिल सकते हैं। ऐसे में, चीन के भावी आर्थिक परिदृश्य पर नकारात्मक असर पड़ सकता है तथा चीन ‘धनी होने से पहले ही वृद्ध’ हो सकता है।
  • चीन में 60 व इससे अधिक आयु के लोगों की संख्या करीब 264 मिलियन है, जो वर्ष 2010 से 44% अधिक है। यह संख्या कुल आबादी का 18.70% है।15 से 59 आयु वर्ग के व्यक्तियों की संख्या 894 मिलियन है, जो वर्ष 2010 से 6.79% कम है। यह संख्या कुल आबादी का 63.35% है। चीनी सरकार के अनुसार, वर्ष 2011 में चीन में 15 से 59 आयु वर्ग वाले कार्यबल की संख्या 925 मिलियन के सर्वोच्च शिखर तक पहुँच गई थी, जो अब 894 मिलियन रह गई है और वर्ष 2050 तक घटकर 700 मिलियन रहने की संभावना है।
  • यद्यपि चीनी विशेषज्ञों ने इसे गंभीर स्थिति माना, तथापि इसे कम्युनिस्ट पार्टी की कठोर परिवार नियोजन नीति से प्रत्यक्षतः नहीं जोड़ा जा रहा है। विदित है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी जुलाई 2021 में अपनी 100वीं वर्षगाँठ मनाने जा रही है।

जनगणना के सकारात्मक बिंदु

  • चीन में शिक्षित कार्यबल और शहरीकरण में भी तीव्र वृद्धि हो रही है। विश्वविद्यालयी शिक्षा प्राप्त लोगों की संख्या करीब 218 मिलियन थी। यह संख्या वर्ष 2010 में 8,930 प्रति 100,000 जनसंख्या की तुलना में 15,467 हो गई है।
  • 15 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के बच्चों की स्कूली शिक्षा के औसत वर्षों में वृद्धि हुई है और निरक्षरता दर 4.08% से घटकर 2.67% हो गई है। इसे अनिवार्य एवं नि:शुल्क शिक्षा नीति का परिणाम माना गया। इस जनगणना में शहरी आबादी बढ़कर 901 मिलियन हो गई है, जो कुल जनसंख्या का 89% है, जो वर्ष 2010 में 49.68% थी।

भारत संबंधी अनुमान

  • विशेषज्ञों के अनुसार, भारत और चीन की प्रजनन दरों के तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर कहा जा सकता है कि भारत की जनसंख्या वर्ष 2025-27 तक चीन से अधिक हो सकती है और इसके साथ ही भारत विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश बन जाएगा। उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र ने भी संभावना व्यक्त की है कि वर्ष 2027 तक भारत दुनिया का सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश बन सकता है।
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