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मानव के दिमाग में चिप इम्प्लांट

प्रारंभिक परीक्षा –  मानव के दिमाग में चिप इम्प्लांट
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-3  

संदर्भ 

 स्टार्टअप न्यूरालिंक ने इंसान के दिमाग में सर्जरी के जरिए चिप इम्प्लांट की।

human-brain

प्रमुख बिंदु 

  • न्यूरालिंक ने सर्जिकल रोबोट के जिसके जरिए इस चिप को मस्तिष्क में लगाया गया है।
  • यह चिप एक छोटे सिक्के के आकार की है, जो ह्यूमन ब्रेन और कंप्यूटर के बीच सीधे कम्युनिकेशन चैनल बनाएगी।
  • 'लिंक' नाम की इस चिप के माध्यम से दृष्टिहीन लोग देख पाएंगे और पैरालिसिस के मरीज चल-फिर सकेंगे एवं कंप्यूटर भी चला सकेंगे।
  • ये डिवाइस कंप्यूटर, मोबाइल फोन या किसी अन्य उपकरण को ब्रेन एक्टिविटी (न्यूरल इम्पल्स) से सीधे कंट्रोल करने में सक्षम करता है।
  • उदाहरण के लिए पैरालिसिस से पीड़ित व्यक्ति मस्तिष्क में चिप के प्रत्यारोपित होने के बाद केवल यह सोचकर माउस का कर्सर मूव कर सकेंगे कि वे इसे कैसे मूव करना चाहते हैं।
  • इसका ट्रायल उन लोगों पर किया जा रहा है, जिन लोगों को सर्वाइकल स्पाइनल कॉर्ड में चोट या एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (ALS) के कारण क्वाड्रिप्लेजिया है।
  • यह  चिप ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCIs) तकनीकी के माध्यम से बनाई गई है।
  • ये सिस्टम ब्रेन में रखे गए छोटे इलेक्ट्रोड का इस्तेमाल पास के न्यूरॉन्स से संकेतों को 'पढ़ने' के लिए करता है।
  • इसके बाद सॉफ्टवेयर इन सिग्नल्स को कमांड या एक्शन में डिकोड करता है, जैसे कि कर्सर या रोबोटिक आर्म को हिलाना।
  • सितंबर, 2023 में मस्क की ब्रेन-चिप कंपनी न्यूरालिंक को अपने पहले ह्यूमन ट्रायल के लिए इंडिपेंडेंट इंस्टीट्यूशनल रिव्यू बोर्ड से रिक्रूटमेंट की मंजूरी मिली थी।

ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफ़ेस (BCI)

  •  ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफ़ेसB (BCI) एक ऐसी तकनीक है जो इंसानी दिमाग के सिग्नल्स को कैप्चर कर अन्य प्रौद्योगिकियों (जैसे- कंप्यूटर, फोन आदि) को नियंत्रित करती है।

 ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफ़ेस (BCI) तकनीकी की कार्य प्रणाली:

  • ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफ़ेस (BCI) इलेक्ट्रोड या सेंसर के जरिए इंसानी दिमाग के सिग्नल्स को कैप्चर करती है।
  • इसके बाद कैप्चर किए गए इन सिग्नल्स को प्रोसेस किया जाता है और दिमाग में चल रही गतिविधियों का पता लगाया जाता है।
  • सिग्नल्स को प्रोसेस करने के बाद प्राप्त जानकारी को एक कमांड के रूप में डिवाइस में भेजा जाता है।
  • फिर इन कमांड्स में माउस के कर्सर को इधर-उधर करना, कृत्रिम अंग को नियंत्रित करना आदि शामिल होतें हैं।

ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफ़ेस (BCI) का उपयोग :

  • इससे गंभीर न्यूरोमस्कुलर डिजीज या पक्षाघात या पार्किंसंस जैसे रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों की बेहतर स्वास्थ्य देखभाल में मदद मिलेगी।
  • इससे दृष्टिहीनता के इलाज, मोटर फ़ंक्शन और बोलने एवं वृद्धावस्था से जुड़ी शारीरिक चुनौतियों के समाधान में मदद मिलेगी।
  • इसके जरिए युद्ध क्षेत्र से जुड़ी वास्तविक स्थिति के बारे में बेहतर समझ मिल सकेगी और ऑटोनॉमस सिस्टम को बेहतर तरीके से प्रबंधन किया जा सकेगा।

चुनौतियां:

  • इंसानी दिमाग की प्रकृति बेहद जटिल होती है जिसके कारण सिग्नल्स को प्राप्त करने में कई तकनीकी चुनौतियां सकती हैं।
  • इसमें संवेदनशील ब्रेन डेटा की सुरक्षा, उस तक अनधिकृत पहुँच को रोकने, जानकारी के आधार पर सहमति दी गई है या नहीं आदि से जुड़ी चिंताएं शामिल हैं।
  • इससे ऊतक की क्षति, दिमाग के दौरे, संज्ञानात्मक नुकसान, कनेक्टेड उपकरणों की विद्युत आपूर्ति में व्यवधान जैसे प्रभावों को रोकने में भी चुनौतियां आ सकती हैं।

प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए ।

  1.  स्टार्टअप न्यूरालिंक ने इंसान के दिमाग में सर्जरी के जरिए चिप इम्प्लांट की।
  2. ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफ़ेस (BCI) इलेक्ट्रोड या सेंसर के जरिए इंसानी दिमाग के सिग्नल्स को कैप्चर करती है।
  3. इससे गंभीर न्यूरोमस्कुलर डिजीज या पक्षाघात या पार्किंसंस जैसे रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों की बेहतर स्वास्थ्य देखभाल में मदद मिलेगी।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं ?

(a) केवल एक 

(b) केवल दो 

 (c) सभी तीनों 

(d)  कोई भी नहीं 

उत्तर: (c)

मुख्य परीक्षा प्रश्न : ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफ़ेस (BCI) तकनीकी क्या है? ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफ़ेस (BCI) तकनीकी की कार्य प्रणाली पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: the hindu 

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