New
July Offer: Upto 75% Discount on all UPSC & PCS Courses | Offer Valid : 5 - 12 July 2024 | Call: 9555124124

सामान्य प्रवेश परीक्षा: योजना और आलोचना

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय)

संदर्भ

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission: UGC) केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिये एक सामान्य प्रवेश परीक्षा आयोजित करने पर विचार कर रहा है। 

वर्तमान परिदृश्य

  • शैक्षणिक सत्र 2022-23 से स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिये केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एक सामान्य प्रवेश परीक्षा प्रणाली लागू होने की संभावना है। यह कक्षा 12 के अंकों के आधार पर स्क्रीनिंग के लिये वर्तमान में अधिकता से प्रयोग होने वाले पैटर्न से अलग है। 
  • हाल ही में, यू.जी.सी. ने 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों को सूचित किया है कि शैक्षणिक सत्र 2022-23 से केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्नातक और परास्नातक में प्रवेश के लिये राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (National Testing Agency: NTA) के माध्यम से सामान्य प्रवेश परीक्षा आयोजित की जा सकती है।

पृष्ठभूमि

  • केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 के तहत 12 नए केंद्रीय विश्वविद्यालयों की स्थापना के बाद वर्ष 2010 में ‘केंद्रीय विश्वविद्यालय सामान्य प्रवेश परीक्षा’ (Central Universities Common Entrance Test: CUCET) का आरंभ किया गया था।
  • इस वर्ष 12 केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने एन.टी.ए. की सहायता से सी.यू.सी.ई.टी. का आयोजन किया। विदित है कि एन.टी.ए. शिक्षा मंत्रालय के तहत कार्य करता है।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में इस संकल्पना पर जोर दिये जाने के बाद यू.जी.सी. अधिक से अधिक केंद्रीय विश्वविद्यालयों को सी.यू.सी.ई.टी. के दायरे में लाने के लिये प्रयासरत है।
  • पिछले वर्ष यू.जी.सी. ने वर्ष 2021-22 से सी.यू.सी.ई.टी. को लागू करने की योजना तैयार करने के लिये आर.पी. तिवारी की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति का गठन किया था, जिसने इस प्रस्ताव को अपनाने पर जोर दिया था। 

प्रमुख बिंदु

  • यह परीक्षा विज्ञान, मानविकी, भाषा, कला और व्यावसायिक विषयों को कवर करेगी और प्रत्येक वर्ष इसके कम से कम दो बार आयोजित होने की संभावना है। 
  • वर्तमान में, सी.यू.सी.ई.टी. के प्रश्नपत्र में दो खंड होते हैं। इसके दायरे में इंजीनियरिंग और चिकित्सा पाठ्यक्रम शामिल नहीं हैं। नए पैटर्न में भी इन्हें शामिल नहीं किया जाएगा। 
  • तिवारी समिति की सिफारिश के अनुसार, विश्वविद्यालयों में आरक्षण, विषयों के संयोजन और वरीयता आदि से सम्बंधित मौजूदा नीतियां लागू रह सकती हैं।

पक्ष में तर्क

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में यह परिकल्पना की गई है कि एक सामान्य प्रवेश परीक्षा संकल्पनात्मक समझ और ज्ञान को व्यावहारिक जीवन में प्रयोग करने की क्षमता का परीक्षण करेगा। इससे कोचिंग की आवश्यकता को समाप्त किया जा सकेगा। 
  • एन.टी.ए. की परीक्षाओं में लचीलापन अधिकांश विश्वविद्यालयों को इन सामान्य प्रवेश परीक्षाओं का उपयोग करने में सक्षम बनाएगा, जिससे पूरी शिक्षा व्यवस्था पर बोझ कम होगा। 

आलोचना

  • यद्यपि मौजूदा बोर्ड-परीक्षा आधारित स्क्रीनिंग (जाँच परीक्षा) में ‘कट-ऑफ’ बहुत अधिक रहता है किंतु सामान्य प्रवेश परीक्षा से इसमें सुधार की उम्मीद नहीं है क्योंकि छात्र विभिन्न सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से आते हैं और उनसे केंद्रीय स्तर पर निर्धारित किसी पेपर को हल करने की अपेक्षा उचित नहीं है।
  • इससे कोचिंग संस्थानों और उनके द्वारा इस परीक्षा को पास करने की तकनीक में महारत हासिल करने पर बल दिया जाएगा। साथ ही, जब तक अधिगम (सीखने) के बजाय मूल्यांकन पर ध्यान केंद्रित किया जाता रहेगा, तब तक अनुचित प्रणाली जारी रहेगी।
  • यह प्रस्ताव विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता को भी प्रभावित करेगा। कई विश्वविद्यालय अत्यधिक विशिष्ट और बहु-विषयक पाठ्यक्रम संचालित करते हैं। अत: इसका कोई अकादमिक औचित्य नहीं है और इस प्रकार यह समानता को भी बढ़ावा नहीं देगा
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR