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कोनोकार्पस 

प्रारम्भिक परीक्षा – मैंग्रोव प्रजाति के कोनोकार्पस पेड़ों, यूकेलिप्टस, त्वचा संबंधी एलर्जी और श्वसन संबंधी समस्याएं
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-3

संदर्भ

  • गुजरात सरकार ने "पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव" के कारण वन या गैर-वन क्षेत्रों में सजावटी मैंग्रोव प्रजाति के कोनोकार्पस पेड़ों के रोपण पर प्रतिबंध लगा दिया है।
  • कोनोकार्पस पेड़ों से त्वचा संबंधी एलर्जी और श्वसन संबंधी समस्याएं प्रमुख हैं।

conocarpus

  • इससे पहले, तेलंगाना ने भी इस पौधे की प्रजातियों पर प्रतिबंध लगा दिया था।
  • कोनोकार्पस तेजी से बढ़ने वाली विदेशी मैंग्रोव प्रजाति है। हाल के वर्षों में गुजरात में ग्रीन कवर बढ़ाने के लिए यह पौधा एक लोकप्रिय विकल्प रही है।
  • गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में, दिल्ली और केरल ने ऐसे विदेशी पौधों की वृद्धि को नियंत्रित करने की कोशिश की है जो अपनी प्रचुरता के कारण स्थानीय पर्यावरण और वनस्पतियों और जीवों को नुकसान पहुंचा रहे थे।
  • 2018 में, दिल्ली सरकार कार्यकर्ताओं की वर्षों की अपील और अदालती मामलों के बाद राजधानी के सेंट्रल रिज में विलायती किकर को साफ़ करने का आदेश दिया था।
  • विलायती किकर/ बबूल दिल्ली की नेटिव प्रजाति नहीं है, और 1930 के दशक में अंग्रेजों द्वारा शहर में लाया गया था।
  • केरल के मामले में भी, अंग्रेजों ने यूकेलिप्टस के पेड़ को मुन्नार लाए थे, ताकि इसके काष्ठ का उपयोग चाय बागान बॉयलरों में ईंधन के रूप में किया जा सके। राज्य वन विभाग ने 2018 में वन क्षेत्रों में बबूल और यूकेलिप्टस की खेती बंद कर दी।

प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. कोनोकार्पस पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए प्रतिकूल पौधा है।
  2. विलायती किकर दिल्ली में प्रतिबंधित है। 
  3. यूकेलिप्टस प्राकृतिक अनुकूल पौधा है।

 उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?

(a) केवल एक

(b) केवल दो

(c) सभी तीन

(d) कोई भी नहीं

उत्तर : (b)

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