प्रारंभिक परीक्षा- समसामयिकी, ऑपरेशन सर्चलाइट, विजय दिवस मुख्य परीक्षा- सामान्य अधययन, पेपर-2 |
संदर्भ-
- 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देने वाले भारतीय सैनिकों के सम्मान में बांग्लादेश के आशूगंज में एक स्मारक का निर्माण किया जा रहा है। इस पर लगभग 1,600 भारतीय सैनिकों के नाम अंकित होंगे।
मुख्य बिंदु-
- 1971 के युद्ध में भाग लेने वाले भारतीय सैनिकों को विशेष रूप से सम्मानित करने वाला यह बांग्लादेश का पहला स्मारक होगा।
- आशुगंज, ब्राह्मणबरिया में स्मारक की आधारशिला मार्च,2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना द्वारा रखी गई थी।
- बांग्लादेशी मुक्ति संग्राम मामलों के मंत्री ए.के.एम. मोजम्मेल हक ने कहा, इसके दिसंबर,2023 तक तैयार होने की उम्मीद है और कोशिश है कि मार्च या अप्रैल,2024 में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के हाथों इसका उद्घाटन कराया जाए।
- 1971 के युद्ध में 4 कोर के कमांडर मेजर चंद्रकांत सिंह ने श्री हक को पहले बांग्लादेशी के रूप में पेश किया, जिन्होंने 1971 में पाकिस्तानी सेना पर हमला किया था।
- आशूगंज त्रिपुरा की सीमा से लगा हुआ भारत के अपेक्षाकृत नजदीक है और भारत से सड़क मार्ग द्वारा यहां पहुंचा जा सकता है।
- विशाल परिसर में बने इस स्मारक का उद्देश्य युवाओं के बीच युद्ध के बारे में जागरूकता फैलाना है और परिसर में बच्चों के मनोरंजन की सुविधा भी होगी।
- मुक्ति संग्राम में आशुगंज का विशेष महत्व था क्योंकि भारतीय सेना इसी रास्ते मेघना नदी को पार करके ढाका तक पहुंची थी।
स्मारक का डिज़ाइन-
- इस स्मारक की अवधारणा सर्वप्रथम लेफ्टिनेंट कर्नल ज़हीर के मस्तिष्क में उभरी और उन्होंने बांग्लादेशी प्रधानमंत्री को यह विचार प्रस्तावित किया, जिसमें बांग्लादेश की मुक्ति के लिए अंतिम बलिदान देने वाले भारतीय सैनिकों के सम्मान के महत्व पर बल दिया गया।
- इस प्रयास में शामिल अन्य प्रमुख हस्तियों में स्मारक के प्रमुख डिजाइनर आसिफुर रहमान भुइयां, बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम मामलों के मंत्री ए.के.एम मोजम्मेल हक, 1971 के स्वतंत्रता सेनानी और मुक्ति संग्राम मंत्रालय के सचिव इशरत जहां भी शामिल हैं।
- स्मारक का डिज़ाइन दोनों देशों के बीच स्थायी मित्रता का प्रतीक है।
- इसमें जीवन और मृत्यु में दोस्ती के मूल विषय का प्रतिनिधित्व करने वाली एक संरचना है, जो पसली पिंजरे की सुरक्षात्मक भूमिका(rib cage's protective role), दिल और आत्मा की सुरक्षा का प्रतीक है।
- इस संरचना में उड़ने वाले कबूतरों को भी शामिल किया गया है, जो बहादुर सैनिकों के बलिदान के माध्यम से प्राप्त शांति का प्रतीक है।
- स्मारक मैदान को आगंतुकों को एक शांत और जानकारीपूर्ण अनुभव प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें शहीदों के सम्मान में ध्वजारोहण समारोह, एक संग्रहालय, एक किताबों की दुकान, एक बच्चों का पार्क और जनता की सुविधा के लिए एक फूड कोर्ट शामिल है।
बांग्लादेश मुक्ति संग्राम-
- 1971 के पहले बांग्लादेश, पाकिस्तान का एक प्रान्त था जिसका नाम पूर्वी पाकिस्तान था जबकि वर्तमान पाकिस्तान पश्चिमी पाकिस्तान कहलाता था।
- 1971 का युद्ध उस समय पूर्वी पाकिस्तान में सत्तारूढ़ सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के जवाब में शुरू किया गया था।
- स्थिति तब बिगड़ गई जब पाकिस्तानी सेना ने ‘ऑपरेशन सर्चलाइट’ शुरू किया और नरसंहार के कृत्यों को अंजाम दिया।
- यह युद्ध वर्ष 1971 में 25 मार्च से 16 दिसम्बर तक चला था।
- बढ़ती हिंसा देखकर भारत ने बांग्लादेश के लोगों के समर्थन में 3 दिसंबर, 1971 को संघर्ष में प्रवेश किया।
- युद्ध का समापन 16 दिसंबर को हुआ, जिसमें पाकिस्तानी सेना का आत्मसमर्पण और बांग्लादेश की सफल मुक्ति शामिल थी।
- भारत में पाकिस्तान पर इस ऐतिहासिक जीत के अवसर पर 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-
प्रश्न- भारतीय नायकों के सम्मान में बांग्लादेश में बन रहे स्मारक के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- इसका निर्माण ढाका में किया जा रहा है।
- इस स्मारक की अवधारणा सर्वप्रथम लेफ्टिनेंट कर्नल ज़हीर के मस्तिष्क में उभरी।
- स्मारक के प्रमुख डिजाइनर आसिफुर रहमान भुइयां हैं।
नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए।
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1,2 और 3
उत्तर- (b)
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-
प्रश्न- 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देने वाले भारतीय सैनिकों के सम्मान में बांग्लादेश के आशूगंज में एक स्मारक का निर्माण किया जा रहा है। स्मारक का डिज़ाइन दोनों देशों के बीच स्थायी मित्रता का प्रतीक है। विवेचना कीजिए।
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