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लोक व्यवस्था और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर अंकुश

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 : शासन व्यवस्था, संविधान, शासन प्रणाली तथा सामाजिक न्याय)

संदर्भ

कर्नाटक सरकार ने ‘लोक व्यवस्था’ (Public Order) का उल्लंघन मानते हुए शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया है। कर्नाटक उच्च न्यायालय में इस मुद्दे को चुनौती दी गई है। ऐसे में ‘लोक व्यवस्था’ के उल्लंघन के आधार पर राज्यों द्वारा व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने व इससे संबंधित संवैधानिक प्रावधानों की पुनर्समीक्षा करना आवश्यक हो गया है। 

लोक व्यवस्था 

  • राज्य तीन आधार पर धर्म की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित कर सकता है। इसमें से एक आधार ‘लोक व्यवस्था’ भी है। लोक व्यवस्था के उल्लंघन के आधार पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अन्य मौलिक अधिकारों को भी प्रतिबंधित किया जा सकता है।
  • संविधान का अनुच्छेद-25 प्रत्येक व्यक्ति को लोक व्यवस्था, सदाचार और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए अंत:करण की स्वतंत्रता और धर्म को अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने का अधिकार देता है। 
  • लोक व्यवस्था को आमतौर पर सार्वजनिक शांति और सुरक्षा के बराबर माना जाता है। संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार, लोक व्यवस्था के पहलुओं पर कानून बनाने की शक्ति राज्यों के पास है। 

हिजाब पर प्रतिबंध और लोक व्यवस्था 

  • राज्य सरकार ने कर्नाटक शिक्षा अधिनियम, 1983 के तहत ‘एकता’ और ‘अखंडता’ के आधार पर ‘लोक व्यवस्था’ बनाए रखने के लिये शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों को हिजाब (हेडस्कार्फ़) पहनने की अनुमति न देने का आदेश जारी किया है।
  • राज्य सरकार का तर्क है कि वह लोक व्यवस्था और हिजाब से संबंधित निर्णय लेने का अधिकार कॉलेज प्रबंधन समितियों को नहीं सौंप सकती है। ये समितियाँ व्यक्तिगत रूप से कॉलेज ड्रेस (Uniform) का निर्धारण करने के लिये स्वतंत्र हैं किंतु लोक व्यवस्था से संबंधित नियम कॉलेज और विद्यालयों के दायरे से बाहर हैं। संवैधानिक प्रतिबद्धताओं का पालन करते हुए लोक व्यवस्था बनाए रखने के लिये राज्य सरकारें उचित प्रतिबंध लगा सकती हैं।
  • विदित है कि चीन, फ्रांस, रूस, बुल्गारिया, डेनमार्क के साथ-साथ स्विट्ज़रलैंड, बेल्जियम, श्रीलंका और नीदरलैंड जैसे देशों में हिजाब पर प्रतिबंध है।

लोक व्यवस्था पर सर्वोच्च न्यायलय का मत

  • लोक व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिये राज्य सरकार उचित प्रतिबंध लगा सकती है। हालाँकि, यदि ये प्रतिबंध व्यापक पैमाने पर किसी समुदाय को प्रभावित करते हों, तो न्यायालय इन पर विचार कर सकता है।
  • ‘राम मनोहर लोहिया बनाम बिहार राज्य वाद’ (1965) में सर्वोच्च न्यायालय ने यह माना है कि कानून का उल्लंघन हमेशा व्यवस्था को प्रभावित करता है। हालाँकि, किसी भी प्रकार के उल्लंघन को ‘लोक व्यवस्था’ को प्रभावित करने वाला तभी माना जा सकता है, जब इससे कोई समुदाय या जनता बड़े पैमाने पर प्रभावित हो।

Law

  • उपर्युक्त संकेंद्रित वृत्तों के माध्यम से यह समझा जा सकता है कि ‘कानून एवं व्यवस्था’ के संतुलन में ही ‘लोक व्यवस्था’ एवं ‘राज्य की सुरक्षा’ निहित है, क्योंकि ‘कानून और व्यवस्था’ का  जनमानस पर प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव पड़ता है।
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