New
IAS Foundation Course (Prelims + Mains): Delhi & Prayagraj | Call: 9555124124

कॉप-26 के लक्ष्य और भारत द्वारा ऊर्जा क्षेत्र में नवीन प्रयास

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, कॉप-26 के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा घोषित जलवायु लक्ष्यों को निश्चित समय-सीमा में पूर्ण करने के लिये एक बेहतर कार्य-योजना तैयार करने हेतु अंतर-मंत्रालयी बैठक का आयोजन किया गया। 

प्रमुख बिंदु 

  • इस बैठक में विभिन्न विभाग; कोयला, इस्पात, सीमेंट, परिवहन, शिपिंग, विद्युत, रेलवे, नागरिक उड्डयन शामिल हुए। 
  • इसमें यह निर्धारित किया गया कि विभिन्न स्रोतों से उत्पादित ऊर्जा का आकलन वार्षिक आधार पर किया जाएगा। साथ ही, अनुमानित मांग को पूरा करने के लिये वर्तमान स्थापित क्षमता और अतिरिक्त विद्युत की मांग को देखते हुए ‘इष्टतम उत्पादन मिश्रण’ की योजना तैयार की जाएगी।
  • कार्य-योजना में आर्थिक विकास के लिये पर्यावरण और सतत् विकास लक्ष्यों पर अंतर्राष्ट्रीय सहमति पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
  • देश में अधिकतम और व्यवहार्य नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बढ़ाने हेतु विद्यमान संभावनाओं का आकलन किया जाएगा। साथ ही, 'अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने' के लिये योजनाओं में वृद्धि की जाएगी।

नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में प्रयास

  • नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने से ताप विद्युत संयंत्रों पर उत्पन्न प्रभावों की जाँच की जा रही है।
  • विदित है कि वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिये हाल ही में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय और विद्युत मंत्रालय द्वारा एक समिति का गठन किया गया है। 
  • साथ ही, अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने वाले अन्य प्रयासों में वार्षिक आधार पर कार्य योजना तैयार करना, वितरण प्रणाली, भंडारण विकल्प तथा डिस्कॉम द्वारा खरीद सुनिश्चित करना आदि शामिल हैं।

उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना या उदय योजना 

  • यह विद्युत मंत्रालय की योजना है। 
  • इसका उद्देश्य देश की विद्युत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) की वित्तीय स्थिति में  सुधार व पुनरुद्धार करना तथा उनकी समस्याओं का स्थायी समाधान सुनिश्चित करना है। 

विद्युत क्षेत्र में प्रयास

  • विद्युत क्षेत्र में ऊर्जा भंडारण को बढ़ावा देने हेतु विद्युत मंत्रालय द्वारा नीतियाँ तैयार करने के लिये चार उप-समूह बनाए गए हैं-
    • नीति और विनियमन 
    • वित्तीय और कराधान संबंधी मुद्दे 
    • प्रौद्योगिकी 
    • मांग प्रबंधन 
  • इसका कार्य अपेक्षित 'अंतर-राज्यीय पारेषण प्रणाली' (Inter-State Transmission System) के लिये योजनाएँ तैयार करना है।
  • हालाँकि, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा पहचान की गई उच्च सौर व पवन ऊर्जा क्षमता वाले क्षेत्रों को ‘अंतर-राज्यीय पारेषण प्रणाली’ से जोड़ने की आवश्यकता है, ताकि वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा को प्राप्त किया जा सके।
    « »
    • SUN
    • MON
    • TUE
    • WED
    • THU
    • FRI
    • SAT
    Have any Query?

    Our support team will be happy to assist you!

    OR