New
IAS Foundation Course (Prelims + Mains): Delhi & Prayagraj | Call: 9555124124

कोरोना संकट और बौद्धिक सम्पदा की भूमिका

(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र-3: बौद्धिक सम्पदा अधिकारों से सम्बंधित विषयों के सम्बंध में जागरूकता)

पृष्ठभूमि

पेटेंट किये गए उत्पादों को आगे के अनुसंधान को सक्षम व सुलभ बनाने हेतु सार्वजनिक किये जाने की आवश्यकता होती है। कोविड-19 जैसी महामारियाँ इसका अपवाद नहीं होनी चाहिये। कोविड-19 के प्रकोप के साथ-ही-साथ कई नवाचार हुए हैं। यह सभी नवाचार विश्व भर में पेटेंट आवेदनों के विषय हो सकते हैं।

पेटेंट अधिकार और उद्देश्य

  • पेटेंट अधिकारों को बनाने व मान्यता देने का उद्देश्य आम जनता की बेहतरी व भलाई है, अर्थात, सीमित एकाधिकार के बदले में नवाचार को सार्वजनिक किया जाना चाहिये।
  • कोविड-19 सम्बंधी या अन्य नए उत्पाद के पेटेंट भी कुछ वर्षों में स्वीकृत हो जाएंगे, हालाँकि विभिन्न हितधारकों के बीच टकराव पहले से ही मौजूद है। उदाहरण के लिये, एक देश ने विकसित किये जा रहे टीके पर विशेष अधिकार प्राप्त करने के प्रयास किये हैं। दूसरी ओर इसमें सहयोग भी किया जा रहा है। हालाँकि सहयोगी समाधान की भावना बहुत कम है।
  • अब यह सवाल उठता है कि पेटेंट अधिकारों के कारण मिलने वाली विशिष्टता व विशेषाधिकार समाज के लिये नुकसानदायक होगी क्योंकि पेटेंट बाधाएँ पैदा करेगा। अतः इसका कोई हल और अन्य विकल्प आवश्यक है।

पेटेंट अधिकारों पर टकराव की सम्भावना

  • सरकारों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को यह सुनिश्चित करने के लिये आम सहमति पर पहुंचने की आवश्यकता है कि सिस्टम सभी तरह से तैयार है। इन मुद्दों पर विलम्ब काफी विनाशकारी साबित हो सकता है।
  • विशिष्टता के दावों के माध्यम से अड़चने पैदा करने व रोक लगाने से महामारी के समय देशों, निगमों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के मध्य विभाजन पैदा होगा।
  • ऐसी स्थिति न तो विश्व के लिये और न ही मरीजों के लिये लाभदायक होगी। यदि पेटेंट स्वामी, पेटेंट अधिकारों के आधार पर बाधाएँ पैदा करते हैं तो विश्व पेटेंट को तिरस्कृत करना शुरू कर देगा और ऐसी स्थिति बौद्धिक सम्पदा के स्वामियों के लिये अच्छी नहीं है।
  • ट्रिप्स शासन (TRIPS-बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के व्यापार से सम्बंधित पहलू)  के अंतर्गत अनिवार्य लाइसेंसिंग जैसे कई उपकरण उपलब्ध हैं जो दवाओं तक पहुँच सुनिश्चित कर सकें।
  • यद्यपि कानूनों से परे समाज को नवाचार का सम्मान करने की आवश्यकता है। पेटेंट प्रणालियों की शुचिता और प्रमाणिकता की रक्षा करने के साथ-साथ विश्व स्तर पर बौद्धिक सम्पदा विरोधी भावना न पनपने पाएँ, इसके लिये मौजूदा शासन और नियमों के भीतर जवाब ढूंढने की आवश्यकता है।
  • ऐसी असाधारण परिस्थितियों में एक सम्भावना यह भी है कि समाज स्वयं कि सुरक्षा हेतु चरम कदम उठा सकते हैं। इससे पहले की इस तरह के विचार जन्म लें, समाधान तैयार किये जाने चाहिये।

पेटेंट पूल बनाने सम्बंधी विचार

  • ऐसी स्थितियों में नवाचार के सम्मान के साथ-साथ आवश्यकताओं और भलाई के अनुरूप विचार किया जाना चाहिये। पेटेंट पूल बनाकर नवीन उत्पादों के एकत्रीकरण और प्रसार को सुनिश्चित किया जा सकता है।
  • 'पेटेंट पूल' आमतौर पर प्रौद्योगिकी के विशिष्ट क्षेत्रों से सम्बंधित पेटेंट के प्रशासन, समेकन और लाइसेंसिंग में प्रभावी होते हैं। सामान्य तौर पर ऐसे पूल का प्रबंधन एक केंद्रीय एजेंसी द्वारा किया जाता है। पूल का हिस्सा बनने वाले ऐसे पेटेंट को आसानी से लाइसेंस के लिये उपलब्ध कराया जाता हैं।
  • यहाँ तक कि कुछ पूल ऐसे लाइसेंस के लिये देय रॉयल्टी दरों को भी प्रकाशित या सार्वजनिक करते हैं। जो कोई भी लाइसेंस प्राप्त करना चाहता है वह पूल से सम्पर्क करने व शर्तों से सहमत होने के साथ उत्पादों का निर्माण व बिक्री शुरू कर सकता है। इस तरह के पूल दूरसंचार और डिजिटल नवाचारों से सम्बंधित मानक पेटेंट में प्रचलित हैं।
  • फिलहाल अनुसंधान संगठनों द्वारा स्वयं के पूल बनाने हेतु व्यक्तिगत प्रयास किये जा रहे हैं। टीकों और औषधियों के सम्बंध में कोविड-19 या अन्य दुर्लभ महामारी से सम्बंधित नवाचारों का एक वैश्विक पूल बनाने का प्रयास अधिक फलदाई साबित होगा। इसका प्रबंधन एक भरोसेमंद अंतर्राष्ट्रीय संगठन द्वारा किया जा सकता है।
  • सभी देशों को पेटेंट धारकों की अनुमति के बिना इन नवाचारों को लागू करने का अधिकार होना चाहिये। इसके लिये देशों को अनिवार्य लाइसेंसिंग, राज्य अधिग्रहण आदि जैसे प्रावधानों का सहारा लेने की आवश्यकता नहीं होगी। यहाँ तक कि अगर रॉयल्टी न्यूनतम स्तर पर है तब भी जनसंख्या के बड़े पैमाने पर महामारी से प्रभावित होने के कारण राजस्व अरबों डालर का होगा।

आगे की राह

एक पूल का निर्माण और त्वरित लाइसेंसिंग विश्व भर में सैकड़ों विनिर्माताओं को आश्वस्त करेगा, परिणामस्वरूप टीके और औषधियाँ जल्दी उपलब्ध हो जाएंगी। इस तरह के पूल को न केवल देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के सहयोग की ज़रूरत है बल्कि सैकड़ों शोधकर्ताओं, इनोवेटर्स, कम्पनियाँ और विश्वविद्यालय भी इसमें शामिल हैं। पेटेंट संसाधनों की पूलिंग सार्वजनिक स्वास्थ्य पर दोहा घोषणा के भी अनुरूप है। दोहा घोषणा, ट्रिप्स समझौते का एक हिस्सा है। यह घोषणा सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा और दवाओं तक पहुंच को बढ़ावा देने के उपायों की आवश्यकता को स्वीकार करता है। सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) की भी जरूरत है। वैश्विक स्तर पर पी.पी.पी. महामारी पेटेंट पूल का निर्माण सभी नवाचारों को पूर्ण करने के लिये आगे बढ़ने का रास्ता है।

Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR