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कोविड-19 तथा भारतीय अर्थव्यस्था में सुधार के संकेत

(प्रारंभिक परीक्षा: सामायिक घटनाओं से सबंधित महत्त्वपूर्ण प्रश्न)
(मुख्य परीक्षा प्रश्नपत्र- 3; भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने,प्रगति, विकास तथा रोज़गार से सबंधित विषय)

संदर्भ

कोविड-19 महामारी के बाद धीरे-धीरे अर्थव्यस्थाएँ पटरी पर लौट रही हैं, भारत ने भी अर्थव्यवस्था में सुधार के सकारात्मक संकेत दिये हैं। इस संदर्भ में भारतीय अर्थवस्था की समीक्षा आवश्यक हो जाती है।

सकारात्मक बिंदु

  • भारत में लगभग 800 मिलियन लोगों को कोविड-वैक्सीन की खुराक दी जा चुकी है। साथ ही, कोविड के सक्रिय मामलों के साथ-साथ मौतों के मामलों में भी उल्लेखनीय कमी आई है, फलत: लोग एक सकारात्मक भविष्य की आशा कर रहे हैं।
  • सरकार द्वारा प्रतिबंधों में ढील दिये जाने से कार्य बल के कार्यस्थल पर पुन: लौटने से उत्पादन-रोज़गार-मांग का सुचक्र स्थापित हुआ है। यह अर्थव्यस्था के लिये सकारात्मक संकेत है।
  • महामारी के बावजूद भारत में रबी व खरीफ के पिछले मौसम में अत्यधिक फसल उत्पादन हुआ है। साथ ही, वानिकी व मत्स्यपालन में भी तेज़ी आई है। कुल मिलाकर,  प्राथमिक क्षेत्रक में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिले है।
  • सूचना प्रौद्यौगिकी क्रांति तथा ‘घर से काम करने’(Work From Home) जैसे नवाचारों के प्रयोग से वित्तीय व व्यावसायिक क्षेत्रों पर महामारी का अपेक्षाकृत कम प्रभाव पड़ा है।
  • सार्वजनिक उपयोगिता सेवाएँ जैसे बिजली, पानी, लोक प्रशासन, रक्षा एवं अन्य सेवाएँ अन्य क्षेत्रों की तुलना में जल्द ही सामान्य स्थिति में आ गई हैं।
  • वैश्विक अर्थव्यस्था पिछले 80 वर्षों में सबसे तीव्र गति से वृद्धि कर रही है और वैश्विक विकास व भारतीय निर्यात के मध्य सकारात्मक सबंध दिखाई पड़ रहे हैं।    

चुनौतियाँ

  • कोविड-19 महामारी ने अर्थव्यस्था के सभी क्षेत्रों जैसे- कृषि, विनिर्माण तथा सेवा को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है।
  • उद्योगों के बंद (Shutdown) होने से बेरोज़गारी में वृद्धि हुई, फलत: मांग में कमी आई; इसने उत्पादन-रोज़गार-मांग के कुचक्र को जन्म दिया।
  • शहरी ग़रीबों के पास कोई स्थायी निवास प्रमाणपत्र न होने के कारण उन्हें राशन उपलब्धता में भी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा।
  • अधिक रोगियों के कारण स्वास्थ्य अवसंरचना में कमी उजागर हुई तथा जान-माल की व्यापक क्षति हुई।
  • स्वास्थ्य संकट ने व्यक्तियों तथा व्यवसायों को अपनी जीवन-शैली, प्राथमिकताओं तथा दृष्टिकोण को पुनर्व्यस्थित करने को मजबूर किया।

सरकारी प्रयास

  • विशिष्ट क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों में तेज़ी के लिये रिज़र्व बैंक ने 3 साल के कार्यकाल हेतु 1 ट्रिलियन रुपए की ‘ऑन-टैप लक्षित दीर्घकालिक रेपो संचालन’ (On-Tap Long Term Repo Operation) की शुरुआत की है।
  • रिज़र्व बैंक ने खुले बाज़ार संचालन (Open Market Operation) की राशि बढ़ाकर 20,000 करोड़ रुपए करने का निर्णय किया है।
  • वित्त मंत्रालय ने इस वर्ष जून के अंत तक तीन व्यापक क्षेत्रों- महामारी राहत, सार्वजनिक स्वास्थ्य तथा विकास व रोज़गार को कवर करते हुए 6,28,993 करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा की है।
  • सरकार द्वारा ‘वन नेशन, वन राशन कार्ड‘ पहल के माध्यम से भी अधिकांश आबादी की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है।
  • शहरी प्रवासियों के कारण गाँवों में भी रोज़गार की समस्या उत्पन्न हुई, इससे निपटने के के लिये सरकार द्वारा मनरेगा (Mahatma Gandhi Rural Employment Act) के कार्य-दिवसों व वेतन में वृद्धि की गई।

आगे की राह 

  • इस महामारी को समाप्त करना हमारी पहली प्राथमिकता है। इसके पश्चात सही सार्वजनिक नीतियों तथा निजी निवेशकों के सकारात्मक क़दमों से भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार की संभावना है।
  • इस मंदी की स्थिति में तत्काल उपभोग को बढ़ावा देने के लिये ‘हेलीकाप्टर मनी’ की नीति को भी अमल में लाया जा सकता है। इसके तहत धन को सीधे अर्थव्यवस्था में लगाया जाता है ताकि मांग में वृद्धि हो, फलत: उत्पादन-रोज़गार-मांग का सुचक्र निर्मित होता है और अर्थव्यवस्था मंदी से बाहर आ जाती है।
  • बढ़ती ऋण आपूर्ति ने आर्थिक सुधार को गति प्रदान की है। वस्तुत: कम लागत वाली ऋणयोग्य निधियों की उपलब्धता से आर्थिक गतिविधियो में तेज़ी आने की वजह से अर्थव्यवस्था का विकास होता है।
  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुधार में मनरेगा की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है, शहरी क्षेत्रों में इसका विस्तार कर अर्थव्यस्था को स्थिरता प्रदान की जा सकती है।
  • आर्थिक पुनरुद्धार के लिये बुनियादी ढाँचा महत्त्वपूर्ण है। इसके द्वारा विदेशी निवेशकों को आकर्षित करके भारत को ‘आकर्षक निवेश गंतव्य’ के रूप में स्थापित किया जा सकता है।

निष्कर्ष 

भारतीय अर्थव्यस्था महामारी के पश्चात पुन: सुधार की ओर अग्रसर है। स्वास्थ्य, बुनियादी ढाँचे में निवेश तथा राजकीय प्रोत्साहन के माध्यम से इसे गति प्रदान की जा सकती है, ताकि भारत इस महामारी पर विजय प्राप्त कर वर्ष 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त कर सके।

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