(प्रारंभिक परीक्षा : बी.एस.ई. सेंसेक्स, एन.एस.ई. निफ्टी, डेरिवेटिव, फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइज़ेशन) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय)
संदर्भ
अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड (APSEZ) 24 जून, 2024 को विप्रो की जगह बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के सेंसेक्स में शामिल होने वाली अडानी समूह की पहली कंपनी बन जाएगी।
अडानी समूह की प्रमुख कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज एवं APSEZ पहले से ही नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के निफ्टी का हिस्सा हैं।
भारत के प्रमुख शेयर सूचकांक
बी.एस.ई. सेंसेक्स
वर्ष 1986 में प्रारंभ यह सेंसेक्स देश का सबसे पुराना और सबसे अधिक ट्रैक किया जाने वाला इंडेक्स (सूचकांक) है।
इसे भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों की 30 सबसे बड़ी एवं सर्वाधिक लिक्विड और वित्तीय रूप से मज़बूत कंपनियों के प्रदर्शन को मापने के लिए डिज़ाइन किया गया है जो बी.एस.ई. लिमिटेड में सूचीबद्ध हैं।
सेंसेक्स का हिस्सा बनने वाली कंपनियों में रिलायंस इंडस्ट्रीज, आईसीआईसीआई बैंक और आईटीसी लिमिटेड इत्यादि शामिल हैं।
इन कंपनियों का चयन व्यापक भारतीय इक्विटी बाज़ार का प्रतिनिधित्व करने के लिए किया जाता है।
इस प्रकार, यद्यपि सेंसेक्स केवल 30 शेयरों से बना हो किंतु निवेशक सेंसेक्स की चाल के आधार पर खरीदारी या बिक्री का निर्णय लेते हैं।
24 मई, 2024 तक बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण या सभी सूचीबद्ध शेयरों का कुल मूल्य 419.99 लाख करोड़ रुपये था।
एन.एस.ई. निफ्टी
नवंबर 1995 में ‘निफ्टी 50’ की शुरुआत हुई थी।
यह सेंसेक्स से व्यापक आधार वाला इंडेक्स है जिसमें एन.एस.ई. पर कारोबार करने वाले 50 ब्लू चिप बड़े व लिक्विड स्टॉक शामिल हैं।
यह सूचकांक भारत की शीर्ष कंपनियों के पोर्टफोलियो का प्रतिनिधित्व करता है, जो एन.एस.ई. के फ्लोट-एडजस्टेड मार्केट कैपिटलाइजेशन का लगभग 65% हिस्सा रखता है।
इसमें अडानी एंटरप्राइजेज, बजाज फाइनेंस एवं कोल इंडिया जैसी कंपनियां शामिल हैं।
24 मई, 2024 तक एन.एस.ई. फर्मों का बाजार पूंजीकरण 416.04 लाख करोड़ रुपए था।
यह भी जानें
फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइज़ेशन
फ्री-फ्लोट पद्धति स्टॉक मार्केट इंडेक्स की अंतर्निहित कंपनियों के बाजार पूंजीकरण की गणना करने की एक विधि है।
फ्री-फ्लोट पद्धति के साथ बाजार पूंजीकरण की गणना इक्विटी की कीमत लेकर और उसे बाजार में आसानी से उपलब्ध शेयरों की संख्या से गुणा करके की जाती है।
पूर्ण-बाज़ार पूंजीकरण पद्धति की तरह सभी शेयरों (सक्रिय एवं निष्क्रिय दोनों शेयरों) का उपयोग करने के बजाय फ्री-फ्लोट पद्धति में लॉक-इन शेयरों को शामिल नहीं किया जाता है, जैसे कि आंतरिक लोगों, प्रमोटरों व सरकारों के पास रखे गए शेयर।
शेयर सूचकांक में चयन के लिए मानदण्ड
शेयर सूचकांकों का पुनर्गठन हर साल जून एवं दिसंबर में दो बार किया जाता है।
चयन के लिए बी.एस.ई./एन.एस.ई. में कम-से-कम छह महीने का लिस्टिंग इतिहास (अवधि) होना चाहिए तथा इस छह महीने की संदर्भ अवधि के दौरान प्रत्येक कारोबारी दिन कारोबार किया जाना चाहिए।
इसका पात्र होने के लिए स्टॉक में डेरिवेटिव अनुबंध होना चाहिए, अर्थात भविष्य में किसी निश्चित कीमत पर किसी भी प्रकार की प्रतिभूति को खरीदने या बेचने के लिए दो पक्षों के बीच एक समझौता होना चाहिए।
डेरिवेटिव एक वित्तीय साधन है जिसका मूल्य इक्विटी एवं मुद्रा जैसी अंतर्निहित परिसंपत्ति के मूल्य पर आधारित होता है।
बी.एस.ई. के लिए कंपनी को अपने औसत तीन महीने के फ्लोट या कुल मार्केट कैप के आधार पर शीर्ष 75 कंपनियों में से एक होना चाहिए।
मार्केट कैप एवं लिक्विडिटी (तरलता) मानदंड पूरा होने के बाद इसका न्यूनतम फ्री-फ्लोट मार्केट कैप 0.50% होना चाहिए।
तरलता के संदर्भ में तीन महीने के औसत दैनिक कारोबार मूल्य का संचयी भार उन कंपनियों के लिए गणना किया जाता है जो पात्रता आवश्यकताओं को पूरा करती हैं।
‘निफ्टी 50’ सूचकांक एक मुक्त फ्लोट बाजार पूंजीकरण-भारित सूचकांक है।
एन.एस.ई. आवश्यकताओं के अनुसार, तरलता के संबंध में अर्हता प्राप्त करने के लिए संगठन के शेयरों में विगत 6 महीनों में 100% ट्रेडिंग वॉल्यूम होना चाहिए।
100 मिलियन रुपए के बास्केट आकार के लिए 90% अवलोकनों के लिए पिछले छह महीनों के दौरान 0.50% या उससे कम की औसत प्रभावी लागत पर कारोबार किया जाना चाहिए।