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धौलावीरा : विश्व विरासत सूची में शामिल

(प्रारंभिक परीक्षा : भारत का इतिहास कला एवं संस्कृति के संदर्भ में)
(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र 1 - भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल की कला के रूप तथा वास्तुकला के मुख्य पहलू से संबंधित प्रश्न)

संदर्भ

  • हाल ही में, यूनेस्को ने गुजरात स्थित सिंधु घाटी सभ्यता के धौलावीरा नामक स्थान को, उसकी नियोजित सड़कों, जटिल जल प्रबंधन प्रणाली और स्थापत्य सुविधाओं के लिये अपनी विश्व विरासत सूची में स्थान प्रदान किया है। 
  • यह विश्व विरासत सूची में 40वाँ भारतीय स्थान है, जिसके साथ, धौलावीरा टैग प्राप्त करने वाला भारत का पहला सिंधु घाटी सभ्यता स्थल भी है।

धौलावीरा से संबंधित प्रमुख तथ्य

  • भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण के पूर्व महानिदेशक जगतपति जोशी द्वारा वर्ष 1968 में इस स्थान की खोज की गई। 
  • यह स्थान 3,000 ई. पूर्व से 1,500 ई. पूर्व का है, जिसमें लगभग 1,500 वर्षों की निरंतर बस्ती शामिल है। 
  • यूनेस्को को सौंपे गए भारत के नामांकन के अनुसार, वर्ष 1989 से वर्ष 2005 तक किये गए उत्खनन से एक ऐसे शहर का पता चला, जिसने "तीसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के दौरान हड़प्पावासियों की अनूठी और उत्कृष्ट कृति" को प्रदर्शित किया है। 
  • माना जाता है कि इस शहर के मेसोपोटामिया और ओमान प्रायद्वीप के साथ व्यापारिक संबंध थे। 
  • नामांकन डोजियर के अनुसार, 70 हेक्टेयर में फैले इस स्थान के अवशेषों को शामिल किया गया है, जो बाहरी किलेबंदी के भीतर स्थित है।
  • धौलावीरा मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, राखीगढ़ी और गनवेरीवाला के बाद पाँचवां सबसे बड़ा हड़प्पा स्थल या लखंजो-दड़ो को ध्यान में रखते हुए छठा सबसे बड़ा स्थान है।
  • धौलावीरा को सभ्यता की सबसे अच्छी संरक्षित शहरी बस्तियों में से एक माना जाता है। 
  • इस स्थान में एक दीवार वाला शहर, एक महल, एक औपचारिक मैदान, दो मौसमी धाराएँ और विभिन्न श्रेणियों के घर मौजूद हैं, जो एक सामाजिक पदानुक्रम का संकेत देते हैं। 
  • जल प्रबंधन प्रणाली, एक शुष्क क्षेत्र में जीवित रहने के लिये निवासियों की सरलता को दर्शाती है। 
  • उत्खनन से खोल, तांबा, पत्थर, अर्ध-कीमती पत्थरों, टेराकोटा और सोने की वस्तुओं का पता चला है।

धौलावीरा: एक उत्कृष्ट उदाहरण

  • डॉ. बिष्ट के अनुसार, धौलावीरा "गणितीय सटीकता, अंकगणित और ज्यामिति दोनों के साथ नगर नियोजन का पहला उत्कृष्ट उदाहरण" था। 
  • उन्होंने कहा कि यहाँ से सुंदर वस्तुओं का निर्माण करने वाली पत्थर की खदानें मिलीं और मोहनजोदड़ो और हड़प्पा में मिली मोतियों जैसी वस्तुओं को धौलावीरा से ले जाया गया लगता है।
  • स्थान में कई द्वार भी हैं, जिनमें उत्तरी गेट भी शामिल है, जिसके ऊपर एक साइनबोर्ड था, जो हड़प्पा स्थलों पर पाया गया हैपरंतु यह अपनी तरह का पहला था। 
  • धौलावीरा को एक महल, मध्य शहर और निचले शहर में विभाजित किया जा सकता है। धौलावीरा को विभिन्न श्रेणियों के निवासियों और उद्देश्यों के लिये डिज़ाइन किया गया था। 
  • विशेष व्यक्तियों के लिये एक महल था, जबकि मध्य शहर में अमीर व्यापारी और सेनापति रहते थे और निचला शहर आम लोगों के लिये था।
  • साथ ही, यहाँ से गोदाम के रूप में इस्तेमाल किये जाने वाला एक भवन, दो मैदान, मनका बनाने का कारखाना और कब्रें भी मिलीं। 
  • डॉ. बिष्ट ने बताया कि, दो मैदानों में से बड़ा मैदान (चारों ओर दर्शकों के बैठने के लिये), आज के एक स्टेडियम की तरह, कार्ट-रेसिंग, जानवरों की दौड़ और मनुष्यों द्वारा दौड़ के लिये भी इस्तेमाल किया जाता था।
  • जल प्रबंधन प्रणाली में दो मानसून चैनलों के माध्यम से निर्मित नाले और जलाशयों की एक कैस्केडिंग प्रणाली शामिल थी। 
  • निचले और मध्य शहर के घरों में सेप्टिक टैंक पाए गए। साथ ही, महल में एक धमनी नाली से जुड़ी नालियों का एक नेटवर्क मौजूद था जो भूमिगत था।

धौलावीरा स्मारक

  • धौलावीरा के स्मारकों से पता लगता है कि वे व्यक्ति की मृत्यु के एक साल बाद बनाए गए थे क्योंकि यहाँ कोई कंकाल नहीं मिला था।
  • बिष्ट के अनुसार, यह किसी प्रियजन के गुजर जाने के एक वर्ष को चिह्नित करने के लिये श्राद्ध समारोह की तरह था। स्मारकों में डिज़ाइन भी थी, जो बौद्ध स्तूपों में पाई गई थी।
  • धौलावीरा को विश्व विरासत का दर्जा मिलने के साथ, ए.एस.आई. के अधिकारियों ने कहा कि इसे और अधिक संरक्षण प्राप्त होगा।

चिंताएँ

  • हालाँकि एएसआई ने इस स्थान पर लोगों की आवाजाही में वृद्धि पर चिंता जताई। यहाँ 20,000 आगंतुकों के  आने की सूचना मिली है।
  • परिभाषित संचार योजना की कमी के कारण खुदाई के अवशेषों पर आगंतुकों के चलने से स्थान पर मामूली दबाव और बर्बरता देखी जाती है।
  • यह, भविष्य में पर्यटकों की संख्या में वृद्धि के कारण, खुदाई के अवशेषों की अखंडता के लिये खतरा उत्पन्न कर सकता है।
  • हालाँकि यह देखा जाना बाकी है कि भविष्य में आगंतुकों में संभावित वृद्धि का क्या प्रभाव पड़ेगा।
  • 2,100 ईसा पूर्व-2,000 ईसा पूर्व तक, "विशेष रूप से शहर के रख-रखाव में" एक सामान्य गिरावट आई थी, जो कि महल में अधिक देखी गई थी
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