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डिजिटल प्रतिस्पर्द्धा विधेयक

(प्रारंभिक परीक्षा : डिजिटल प्रतिस्पर्द्धा विधेयक, संसदीय स्थायी समिति)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रें में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय)

संदर्भ 

भारत सरकार ने नए ‘डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून (Digital Competition Bill : DCB)’ का मसौदा सभी हितधारको से परामर्श के लिए जारी किया है। इस कानून का उद्देश्य बड़ी डिजिटल कंपनियों, जैसे- गूगल, फेसबुक एवं अमेज़न को विनियमित करना है। कुछ विवादित प्रस्तावों के कारण सभी बड़ी डिजिटल कंपनियों ने इसका विरोध किया है।

पृष्ठभूमि

  • वर्ष 2022 में डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून समिति ने DCB ड्राफ्ट के साथ-साथ भारत के लिए एक नए डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून की सिफारिश करते हुए अपनी रिपोर्ट जारी की थी।
  • दिसंबर 2022 में जारी वित्त पर संसदीय स्थायी समिति (PSC) की 53वीं रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल बाजारों के तेजी से विकास के कारण मौजूदा प्रतिस्पर्धा क़ानूनी ढांचा बड़े डिजिटल उद्यमों द्वारा प्रतिस्पर्धा-रोधी व्यवहार को वर्तमान में संबोधित नहीं कर पा रहा है, जिससे एक नए कानून की आवश्यकता है।

डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून (Digital Competition Bill : DCB) का परिचय 

  • केंद्र सरकार ने यूरोपियन संघ के डिजिटल मार्केट अधिनियम के समान भारत में भी पारदर्शी एवं प्रतिस्पर्द्धी डिजिटल उद्यमिता परिवेश के लिए DCB मसौदा प्रस्तावित किया गया है। 
  • इसमें प्रतिस्पर्धा-रोधी प्रथाओं को वास्तव (Real Time) में होने से पहले रोकने के लिए अनुमानित मानदंड निर्धारित करने का भी प्रावधान किया गया है और उल्लंघन की स्थिति में अत्यधिक जुर्माने का भी वादा है। 
  • इस कानून के लागू होने की स्थिति में बड़ी तकनीकी कंपनियों को अपने विभिन्न प्लेटफार्मों में मूलभूत परिवर्तन करने की आवश्यकता हो सकती है।

DCB मसौदे की प्रमुख विशेषताएं

एस.एस.डी.ई. का प्रस्ताव 

  • DCB कुछ डिजिटल उद्यमों को ‘प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण डिजिटल उद्यम’ (Systematically Significant Digital Enterprises : SSDE) के रूप में नामित करने का प्रस्ताव करता है। 
  • किसी कंपनी को एस.एस.डी.ई. नामित करने के लिए निम्नलिखित मात्रात्मक पैरामीटर हैं :
    1. यदि पिछले 3 वित्तीय वर्षों में भारत में इसका टर्नओवर 4,000 करोड़ रुपये से कम नहीं है; या इसका वैश्विक कारोबार $30 बिलियन से कम नहीं है; या
    2. भारत में इसका सकल व्यापारिक मूल्य 16,000 करोड़ रुपये से कम नहीं है; या
    3. इसका वैश्विक बाज़ार पूंजीकरण $75 बिलियन से कम नहीं है; या
    4. इन कंपनियों द्वारा प्रदान की जाने वाली मुख्य डिजिटल सेवा में कम-से-कम 1 करोड़ अंतिम उपयोगकर्ता या 10,000 व्यावसायिक उपयोगकर्ता होने चाहिए।
  • इन मापदंडों के अंतर्गत न वाली डिजिटल संस्थाओं को भी उसके वैश्विक टर्नओवर, सकल व्यापारिक मूल्य, भारत में उपयोगकर्ताओं की संख्या आदि के आधार पर एस.एस.डी.ई. घोषित किया जा सकता है।

एस.एस.डी.ई. संस्थाओं के लिए निर्धारित दायित्व 

  • स्वयं को प्राथमिकता देने से बचना
  • तीसरे पक्ष के अनुप्रयोगों पर प्रतिबंध लगाना
  • स्टीयरिंग रोधी नीतियों को लागू करना
  • डाटा उपयोग अधिकारों का सम्मान करना
  • अंतिम उपयोगकर्ताओं और व्यावसायिक उपयोगकर्ताओं के साथ निष्पक्ष व पारदर्शी व्यवहार सुनिश्चित करना

पूर्वानुमानित विनियमन का प्रस्ताव 

  • इस मसौदा में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग को ‘पूर्व-पूर्व (ex-ante) तरीके से’ (किसी घटना के घटित होने से पहले हस्तक्षेप करते हुए) चुनिंदा रूप से बड़े डिजिटल उद्यमों को विनियमित करने में सक्षम बनाने का उपबंध किया गया है।
  • वर्तमान में भारत प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के तहत एक ‘पूर्व-पश्चात अविश्वास ढांचे’ का पालन करता है। 
  • वर्तमान कानून की सबसे बड़ी समस्या यह है कि बाजार के दुरुपयोग की घटनाओं के बाद विनियमन के क्रियान्वयन में देरी हो जाती है। जब तक उल्लंघन करने वाली कंपनी को दंडित किया जाता है तब तक बाजार की गतिशीलता बदल जाती है और छोटे प्रतिस्पर्धी बाजार से बाहर हो जाते हैं।

दंड व्यवस्था का प्रस्ताव 

  • इसमें प्रावधान है कि यदि एस.एस.डी.ई. इन शर्तों का उल्लंघन करते हैं, तो उन पर उनके वैश्विक कारोबार का 10% तक जुर्माना लगाया जा सकता है। साथ ही, तीन वर्ष की सजा का प्रावधान किया गया है।

सहयोगी डिजिटल उद्यम (Associated Digital Enterprises : ADE) का प्रस्ताव

  • इस भूमिका को समझते हुए कि एक प्रमुख प्रौद्योगिकी समूह की एक कंपनी द्वारा एकत्र किया गया डाटा अन्य समूह की कंपनियों को लाभ पहुंचाने में भूमिका निभा सकता है, इसमें ए.डी.ई. को नामित करने का प्रस्ताव करता है।
  • यदि किसी समूह की इकाई को एक सहयोगी इकाई के रूप में निर्धारित किया जाता है, तो मुख्य कंपनी द्वारा दी जाने वाली मुख्य डिजिटल सेवा के साथ उनकी भागीदारी के स्तर के आधार पर उनके पास एस.एस.डी.ई. के समान दायित्व होंगे।

भारत का डिजिटल उद्योग 

  • जनवरी 2024 तक भारत में 750 मिलियन से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता थे, जो सस्ते डाटा के कारण ई-कॉमर्स, शॉपिंग, यात्रा एवं ओ.टी.टी. ऐप्स पर ऑनलाइन लेनदेन करते हैं।  
  • यह संख्या केवल वर्ष 2030 तक दोगुनी हो सकती है, जो तब तक लगभग 70% इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के लिए जिम्मेदार होगी। 
  • इसके अलावा, भारत की उपभोक्ता आधारित डिजिटल अर्थव्यवस्था वर्ष 2030 में 800 अरब डॉलर का बाजार होने की उम्मीद है। यह वर्ष 2020 से 10 गुना वृद्धि है।

DCB की आवश्यकता 

  • यह कानून डिजिटल परिवेश में अनुचित कार्य होने से पहले ही नियम तय करेगा, जिससे छोटी कंपनियों एवं स्टार्ट अप्स के लिए डिजिटल बाजार में प्रवेश करना, नवाचार करना एवं प्रतिस्पर्धा करना आसान हो जाएगा।
  • इस मसौदे में प्रस्तावित पूर्व नियमन से बड़े डिजिटल उद्यमों के व्यवहार की पूर्व-निगरानी की जा सकेगी। 
  • भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग द्वारा एस.एस.डी.ई. की नियमित निगरानी से बाजारों को प्रभावी ढंग से और कुशलता से कार्य करने में सहायता करके उपभोक्ताओं को अत्यधिक लाभ होगा।
  • यह मसौदा डिजिटल रूप से कंपनियों मे बढ़ती प्रतिस्पर्धा का विनियमन करेगा और कंपनियों को ज्यादा प्रसिद्ध होने के लिए अनुचित रास्ते अपनाने से रोकेगा। 
  • इससे ग्राहकों में विश्वास एवं सुरक्षा का भाव विकसित होगा।

DCB मसौदे के आलोचनात्मक पहलू  

  • प्रौद्योगिकी थिंक टैंक ई.एस.वाई.ए. केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार, ‘प्रस्तावित कानून से अत्यधिक नुकसान हो सकता है क्योंकि इन उद्यमों को उन संसाधनों को हटाकर अपने ऑनलाइन वाणिज्य एवं विज्ञापनों को पुन: व्यवस्थित करना होगा, जिनका उपयोग मूल्य निर्माण के लिए किया जा सकता था’।
  • यदि बड़ी कंपनियां अपना ज्यादा समय मानदंडो के पालन में देंगी, तो उनका ध्यान नवाचार एवं अनुसंधान से हट सकता है।
  • अमेज़ॅन, ऐप्पल, बंडल टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, स्विगी, फ्लिपकार्ट एवं गूगल सहित कई बड़ी टेक कंपनियां ‘पूर्व-पूर्व नियमों’ के पक्ष में नहीं हैं, क्योंकि इससे बड़ी कंपनियों पर अनावश्यक दवाब बढ़ेगा और उनकी स्वतंत्रता का हनन होगा। 
  • ई.एस.वाई.ए. केंद्र के अनुसार, डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक द्वारा प्रस्तावित डाटा उपयोग पर प्रतिबंध और बड़े डिजिटल प्लेटफार्मों द्वारा सेवाओं को बांधने व नियंत्रित करने से संबंधित प्रावधान सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) पर प्रतिकूल प्रभाव डालेंगे।
  • प्रस्तावित विधेयक में डिजिटल प्लेटफॉर्म एवं एम.एस.एम.ई. के बीच सहजीवी संबंध को ध्यान में नहीं रखा गया है, इसलिए यह संभवतः इस क्षेत्र में दक्षता लाभ को खतरे में डाल सकता है।
  • DCB के तहत बड़े डिजिटल प्लेटफार्मों के लक्षित विज्ञापन पर लगाई गई सीमाओं का एम.एस.एम.ई. पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

निष्कर्ष 

भारत में प्रस्तावि DCB यूरोपीय संघ के डिजिटल बाजार अधिनियम की तर्ज पर है और भारत में बड़ी तकनीकी कंपनियों के संचालन में अधिक पारदर्शिता लाएगा। हालाँकि, यह सुनिश्चित करने के लिए कि बाजार का विकास जारी रहे, बड़ी कंपनियों को ग्राहक हित और विनियमों के बीच एक अच्छा संतुलन बनाने की आवश्यकता है। सरकार को भी सभी हितधारकों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए इस विधेयक को अंतिम स्वरुप देना चाहिए।

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