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डिजिटल सार्वजनिक वस्तुएँ : असीम संभावनाओं का द्वार

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 व 3 : आर्थिक विकास- समावेशी विकास ;शासन प्रणाली;  सामाजिक न्याय तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध)

संदर्भ

  • व्यक्ति, बाज़ार और सरकारों के अंतर्संवाद में सहजता, पारदर्शिता और गति लाने वाली डिजिटल सार्वजनिक वस्तुओं (digital public goods) की अवधारणा में भारत एक अग्रणी देश है। 
  • आधार और इंडिया स्टैक की बुनियाद पर निर्मित बड़े और छोटे मॉड्यूलर एप्लिकेशन भुगतान करने, पी.एफ. निकालने, पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने एवं भूमि रिकॉर्ड की जाँच करने के तरीकों में बदलाव ला रहे हैं।
  • इसके माध्यम से बच्चों तक क्यू.आर.-कोड आधारित पाठ्यपुस्तकों की पहुँच, आर्थिक रूप से वंचितों तक सार्वजनिक वितरण प्रणाली की पहुँच एवं सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों तक प्रत्यक्ष लाभ के हस्तांतरित को सुनिश्चित किया जाता है।

डिजिटल कूटनीति : एक नया आयाम

  • स्वदेशी डिजिटल सार्वजनिक वस्तुओं की पहुँच सैकड़ों उभरती अर्थव्यवस्थाओं तक सुनिश्चित करके भारत ‘डिजिटल कूटनीति’ की जोरदार शुरुआत कर सकता है। 
  • एक देश के भौतिक बुनियादी ढाँचे के पूरक के रूप में, ओपन सोर्स-आधारित हाई स्कूल ऑनलाइन शैक्षिक बुनियादी ढाँचा स्थापित करने की लागत दो किलोमीटर की उच्च गुणवत्ता वाली सड़क बिछाने से कम है।   
  • वस्तुतः डिजिटल सार्वजनिक वस्तुओं के परिवहन के लिये निवेश की आवश्यकता तुलनात्मक रूप से बहुत कम होती है। साथ ही, इसमें कर्ज के जाल में फंसने की भी कोई संभावना नहीं होती। 
  • भारत की डिजिटल कूटनीति पेरू से पोलिनेशिया, उरुग्वे से युगांडा और केन्या से कज़ाकिस्तान तक सभी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिये फायदेमंद और स्वागत योग्य होगी।
  • यह चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का रणनीतिक एवं प्रभावी विकल्प भी साबित हो सकता है।

सेवा क्षेत्र को गुणात्मक लाभ

  • बंदरगाह और सड़क जैसे भौतिक बुनियादी ढाँचे के विपरीत, डिजिटल सार्वजनिक वस्तुओं की विस्तारण अवधि अल्प, संचालन प्रक्रिया त्वरित तथा प्रभाव और लाभ दृश्यमान होते हैं। 
  • डिजिटल बुनियादी ढाँचा धांधली को रोकता है, सरकारी सेवाओं में फर्जीवाड़े को समाप्त करता है, शुल्क वसूलने वाले दलालों को हटाता है और ऑडिट प्रक्रिया को सरल बनाता है।
  • यह व्यक्ति-सरकार-बाज़ार इंटरफेस को पारदर्शी और दक्ष बनाता है, जिससे निवेश को आकर्षित करने में मदद मिलती है। 
  • इसके माध्यम से प्रक्रियाएँ सुव्यवस्थित हो जाती हैं, परिणामस्वरूप किसी भी सेवा में लगने वाला समय घट जाता है। उदाहरण के लिये पासपोर्ट, पैन कार्ड एवं ड्राइविंग लाइसेंस जारी करना। 
  • इससे उत्पादकता में वृद्धि होती है और सेवाओं के विस्तार में तेज़ी आती है। फलतः एक वृहद् आबादी तक लाभों को तीव्र गति से पहुँचाया जा सकता है।

सम्मिश्रण (Compounding) से समावेशन

  • भौतिक बुनियादी ढाँचे में समय के साथ मूल्यह्रास (depreciation) होता है, वहीं डिजिटल सार्वजनिक वस्तुओं के बुनियादी ढाँचे में सम्मिश्रण (compounding) होता है; जिसके कारण हैं-
    • समय के साथ प्रौद्योगिकी का उन्नयन जैसे- इंजन के अधिक शक्तिशाली संस्करण का निर्माण, चिप निर्माण में तेज़ी, जीन-संपादन तकनीक में सुधार।
    • नेटवर्क प्रभाव- जब एक ही तकनीक का अधिकाधिक लोग उपयोग करते हैं, तो उस तकनीक में आदान-प्रदान करने वालों की संख्या में तेज़ी से वृद्धि होती है। जैसे- यू.पी.आई. लेनदेन।
    • प्रौद्योगिकी का क्रमिक स्तर पर विकास जैसे- हाइपरटेक्स्ट प्रोटोकॉल से  विश्वव्यापी वेब (www) विकसित किया गया। इसके पश्चात्  ब्राउजर बनाया गया, जिसने दुनिया भर में वेब नेविगेशन को आसान और अधिक लोकप्रिय बना दिया। 
  • गौरतलब है कि कुछ विशेषाधिकार प्राप्त लोगों के द्वारा यू.पी.आई. का अधिक उपयोग करने से इसके प्रचलन में तेजी नहीं आती, बल्कि यह अधिकाधिक लोगों के द्वारा उपयोग करने के कारण संभव होता है।
  • उदाहरण के लिये, एक ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म ‘सनबर्ड’ पर ‘दीक्षा’ (स्कूली शिक्षा मंच) का उपयोग आज करीब 500 मिलियन विद्यार्थियों द्वारा किया जा रहा है। 
  • समग्र रूप से यह माना जा सकता है कि डिजिटल सार्वजनिक वस्तुओं के सम्मिश्रण से डिजिटल अंतराल को कम किया जा सकता है।

विकासशील अर्थव्यवस्थाएँ एवं डिजिटलीकरण 

  • उभरती अर्थव्यवस्थाओं के अंतर्गत सार्वजानिक सेवाओं के वितरण में घोर अक्षमताएँ और अविश्वास विद्यमान है। 
  • डिजिटल सार्वजनिक वस्तुएँ व्यक्तिगत-सरकार-बाज़ार पारिस्थितिकी तंत्र में गति, पारदर्शिता, सहजता और उत्पादकता का विस्तार करती है और बड़े पैमाने पर समावेशिता, समता और विकास को बढ़ाती है। 

आगे की राह

  • इससे विदेशों में भारत के वाणिज्य दूतावासों की संरचना में बदलाव आएगा, जिसमें प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों को संरचना में शामिल किया जाएगा। 
  • यह मेड-इन-इंडिया डिजिटल सार्वजनिक वस्तु को विश्व भर में प्रसारित करेगा और डिजिटल युग में भारत को एक अग्रणी प्रौद्योगिकी ब्रांड की तरह प्रस्तुत करेगा।  
  • यह भारत के साझेदार देशों के लिये त्वरित, दृश्यमान और चक्रीय लाभों को सक्षम बनाएगा और भारत की साख में वृद्धि करेगा। 
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