New
July Offer: Upto 75% Discount on all UPSC & PCS Courses | Offer Valid : 5 - 12 July 2024 | Call: 9555124124

राजस्थान में डायनासोर के पदचिह्न 

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1: भौगोलिक विशेषताएँ और उनके स्थान- अति महत्त्वपूर्ण भौगोलिक विशेषताएं और वनस्पति एवं प्राणिजगत में परिवर्तन और इस प्रकार के परिवर्तनों के प्रभाव)

संदर्भ

हाल ही में, राजस्थान में डायनासोर के पैरों के निशान के प्रमाण मिले हैं।

प्राप्ति स्थल

  • राजस्थान के जैसलमेर ज़िले के थार रेगिस्तान में डायनासोर की तीन प्रजातियों के पैरों के निशान पाए गए हैं। इससे राज्य के पश्चिमी भाग में विशाल सरीसृपों की उपस्थिति के प्रमाण मिलते हैं। 
  • यह क्षेत्र मेसोज़ोइक महाकल्प के दौरान टेथिस महासागर का समुद्री किनारा (तट) हुआ करता था। समुद्र तट के तलछट या गाद में बने पैरों के ये निशान बाद में स्थायी रूप से पत्थर-सदृश्य हो जाते हैं।
  • उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 में जयपुर में 'नौवीं अंतर्राष्ट्रीय जुरासिक प्रणाली कांग्रेस' आयोजित होने के बाद कोमेनियस विश्वविद्यालय, स्लोवाकिया के जन स्कोगल और वारसॉ विश्वविद्यालय, पोलैंड के ग्रेज़गोर्ज़ पिएनकोव्स्की ने पहली बार भारत में डायनासोर के पैरों के निशान की खोज की थी।

मीसोज़ोइक महाकल्प 

  • मध्यजीवी महाकल्प या मीसोज़ोइक महाकल्प (Mesozoic Era) पृथ्वी के भूवैज्ञानिक इतिहास में एक महाकल्प था, जो लगभग 252 से 66 मिलियन वर्ष पूर्व तक चला।
  • इससे पहले पुराजीवी महाकल्प (पेलियोज़ोइक- Paleozoic) था और इस के बाद नूतनजीवी महाकल्प (सीनोज़ोइक- Cenozoic) आया जो वर्तमान में जारी है।
  • मीसोज़ोइक महाकल्प को ‘सरिसृपों का महाकल्प’ और ‘कोणधारियों का महाकल्प’ भी कहते हैं।
  • मीसोज़ोइक महाकल्प को तीन भूवैज्ञानिक कल्पों में विभाजित किया जाता है:
    • क्रेटेशियस कल्प (Cretaceous)
    • जुरैसिक कल्प (Jurassic)
    • ट्राइसिक कल्प (Triassic)

    संबंधित प्रजातियाँ  

    • ये निशान डायनासोर की तीन प्रजातियों- यूब्रोंटेस सीएफ. गिगेंटस (Eubrontes cf. Giganteus), यूब्रोंट्स ग्लेनरोसेंसिस (Eubrontes Glenrosensis) और ग्रेलेटर टेनुइस (Grallator Tenuis) से संबंधित हैं।
    • गिगेंटस और ग्लेनरोसेंसिस प्रजातियों के पैरों के निशान 35 सेमी. के हैं, जबकि तीसरी प्रजाति के पदचिह्न 5.5 सेमी. के है। पैरों के ये निशान लगभग 200 मिलियन वर्ष पुराने थे।

    विशेषताएँ

    • डायनासोर की इन प्रजातियों को त्रिपदीय (Theropod) प्रकार का माना जाता है। इनमें खोखली हड्डियों सहित तीन पाद (पैरों की अंगुलियाँ) वाली विशिष्ट विशेषताएँ होती हैं।
    • ये तीनों प्रजातियाँ मांसाहारी थीं और इनका संबंध प्रारंभिक जुरासिक काल से था।
    • यूब्रोंट्स नामक डायनासोर प्रजाति की लंबाई 12 से 15 मीटर और वजन लगभग 500 से 700 किग्रा. के मध्य था, जबकि ग्रेलेटर नामक प्रजाति की ऊंचाई दो मीटर एवं लंबाई अनुमानित तीन मीटर थी।

    जलवायु संबंधी निष्कर्ष

    • भू-रासायनिक विश्लेषण और अपक्षय संकेतकों की गणना से पता चलता है कि पैरों के निशान के निक्षेप के दौरान तटीय इलाकों की जलवायु मौसमी से लेकर अर्ध-शुष्क थी।
    • कच्छ और जैसलमेर घाटियों में अध्ययन से पता चलता है कि प्रारंभिक जुरासिक काल के दौरान ‘भूमि क्षेत्रों में समुद्र के फैलाव और परिणामस्वरूप पुरानी चट्टानों पर तलछटों के निक्षेप’ (Transgression) के बाद समुद्र के स्तर में कई बार बदलाव आया।
    • तलछट के स्थानिक और अस्थायी वितरण तथा जीवाश्मों के निशान और निक्षेपण के बाद की संरचनाओं से इस घटना के संकेत मिले हैं।
    • जैसलमेर और बाड़मेर ज़िलों में डायनासोर के अधिक प्रमाण मिलने की प्रबल संभावना व्यक्त की गई है। यह क्षेत्र भारत व पाकिस्तान सीमा के दोनों तरफ फैले थार रेगिस्तान का हिस्सा है।
    Have any Query?

    Our support team will be happy to assist you!

    OR