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आपदा प्रबंधन : एक अवलोकन

प्रारंभिक परीक्षा- सिल्कयारा सुरंग घटना, आपदा प्रबंधन अधिनियम,2005, NDMA, NDRF, नेताजी सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार, सीडीआरआई
मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर- 3

संदर्भ-

  • 31 जुलाई, 2021 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हैदराबाद में आईपीएस प्रोबेशनर्स की एक सभा को संबोधित करते हुए, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सुझाव दिया था कि पुलिस को जनता की नजर में सम्मान पाने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) से सीख लेना चाहिए।

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मुख्य बिंदु-

  • एनडीआरएफ आपदाओं के दौरान आत्मविश्वास पैदा करता है
  • सरकार ने आपदा प्रबंधन को अपने शासन मॉडल का हिस्सा बनाया है। 
  • वस्तुतः जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब से भुज भूकंप के बाद यह उनकी एक प्रमुख परियोजना रही है।
  • सरकारी सूत्रों के अनुसार, पहले भारत मौसम विज्ञान विभाग बारिश और बाढ़ का तीन दिन पहले पूर्वानुमान देता था। अब यह पांच दिन पहले दिया जाता है।

सिल्कयारा सुरंग घटना-

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  • एनडीएमए के कोशिशों के बाद उत्तराखंड के सिलक्यारा में धंसी हुई सुरंग में 17 दिन से फंसे 41 मजदूरों को बचा लिया गया। 
  • 28 नवंबर,2023 को बचाव कर्मियों ने धंसी हुई चट्टानों को भेदकर उन्हें बाहर निकाला।
  • मलबा हटाने में मदद के लिए ‘रैट-होल माइनिंग’ के विशेषज्ञों की सहायता से काम शुरू किया गया। 
  • इस अभियान में राष्ट्रीय और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल, सीमा सड़क संगठन, राष्ट्रीय राजमार्ग एवं बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस और अन्य की भागीदारी रही।
  • प्रधानमंत्री ने सिल्क्यारा सुरंग बचाव को एक भावनात्मक क्षण बताया, यहां तक कि उन्होंने बचाव कर्मियों की बहादुरी और पीड़ितों के लचीलेपन की भी प्रशंसा की।
  • उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भारत में आपदा प्रबंधन में "आदर्श बदलाव" लाने के मोदी के प्रयासों पर एक पुस्तक जारी की।
  • रेजिलिएंट इंडिया: हाउ मोदी ट्रांसफॉर्म्ड इंडियाज डिजास्टर मैनेजमेंट पैराडाइम नामक पुस्तक देहरादून में आपदा प्रबंधन पर छठी विश्व कांग्रेस में जारी की गई।

भुज से मिली सीख-

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  • 2001 के भुज भूकंप के बाद जब आपदाओं से निपटने के लिए एक मजबूत बुनियादी ढांचे और एक संस्थागत तंत्र की आवश्यकता महसूस की गई, तो श्री मोदी ने इसका नेतृत्व किया।
  • गुजरात 2003 में राज्य आपदा प्रबंधन अधिनियम पेश करने वाला पहला राज्य बन गया। 
  • 2005 से लागू राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम गुजरात के कानून से प्रेरित था। 
  • इसके बाद आपदा प्रबंधन नीति तैयार करने वाली प्रमुख संस्था के रूप में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की स्थापना की गई, जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री थे। 
  • 2006 में आपदाओं से निपटने के लिए एनडीआरएफ को प्रमुख बल के रूप में स्थापित किया गया। 
  • भुज भूकंप को दोनों के लिए एक सबक के रूप में लिया गया था कि राहत कार्यों के लिए तंत्र कैसे बनाया जाए और एक लचीला बुनियादी ढांचा कैसे बनाया जाए। 
  • उस समय राज्य सरकार ने भुज के पुनर्निर्माण के लिए आधुनिक तकनीक अपनाने की जिम्मेदारी उठाया, जो बहुत कम समय में किया गया। 
  • इसके बाद आपदाओं से निपटने के लिए राज्य-स्तरीय कानून और संस्थान बनाए गए। समानांतर में, केंद्र भी इस पर काम कर रहा था। 
  • आगे चलकर NDMA को इसके सदस्यों के रूप में डोमेन विशेषज्ञों को शामिल करके मजबूत किया गया। 
  • 2016 में एक राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना का अनावरण किया गया था, जिसे 2019 में संशोधित किया गया और उसमें तूफान, बिजली, धूल भरी आँधी, बादल फटना और ओलावृष्टि, हिमनद झील विस्फोट बाढ़ (जीएलओएफ), गर्मी की लहरें और जैविक और सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति जैसे नए खतरे शामिल किए गए।

आपदा प्रबंधन अधिनियम,2005- 

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  • वर्ष 2005 में पारित आपदा प्रबंधन अधिनियम वर्ष 2006 में लागू किया गया।                               
  • इस अधिनियम का उद्देश्य आपदा के समय कुशल प्रबंधन करना है, ताकि क्षति व नुकसान को सीमित किया जा सके।
  • इस अधिनियम के तहत  गृह मंत्रालय राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन को संचालित करने के लिये नोडल मंत्रालय के रूप में कार्य करता है।
  • यह अधिनियम राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, राज्य स्तर पर राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और जिला स्तर पर ज़िला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के गठन का प्रावधान करता है। ताकि पूरे देश में संस्थानों की एक व्यवस्थित संरचना को बनाए रखा जा सके।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)-

  • NDMA भारत में आपदा प्रबंधन के लिए शीर्ष निकाय है। 
  • आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के द्वारा राष्‍ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की स्‍थापना की गई
  • इसका उद्देश्य राज्‍य और जिला स्‍तरों पर संस्‍थागत तंत्र के लिए एक सक्षम वातावरण का निर्माण करना है। 
  • NDMA के अध्यक्ष प्रधानमन्त्री तथा अधिकतम 9 सदस्य होते हैं। सदस्य अध्यक्ष द्वारा नामित होते हैं। इन्ही में से एक को उपाध्यक्ष नामित किया जाता है। 
  • उपाध्यक्ष का दर्जा कैबिनेट मन्त्री के समकक्ष होता है जबकि अन्य सदस्यों का राज्य मन्त्री के समकक्ष।

NDRF-

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  • भारत में आपदाओं के प्रबंधन की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है। 
  • प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार में 'नोडल मंत्रालय' गृह मंत्रालय (एमएचए) है।
  • जब 'गंभीर प्रकृति की आपदाएं' आती हैं, तो केंद्र सरकार राज्य के अनुरोध पर NDRF की तैनाती सहित प्रभावित राज्य को सहायता और सहायता प्रदान करने के लिए जिम्मेदार होती है।
  • एनडीआरएफ का गठन प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं पर विशेष प्रतिक्रिया के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 44 के तहत किया गया था। 
  • वर्तमान में, एनडीआरएफ में 16 बटालियन शामिल हैं, प्रत्येक बटालियन में 1149 कर्मी हैं। 
  • सभी 16 बटालियन असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली एनसीआर में स्थित हैं। 
  • आपदा प्रबंधन के लिए शीर्ष निकाय  भारत में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) है। 
  • एनडीएमए के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं।
  • सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इसी 2014 और 2023 के बीच एनडीआरएफ को दी जाने वाली धनराशि भी 25,036 करोड़ रुपये से लगभग तीन गुना बढ़कर 77,731 करोड़ रुपये हो गई।

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष-

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  • राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष को आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 (डीएम अधिनियम) की धारा 46 में किसी भी खतरनाक आपदा स्थिति या आपदा के कारण आपातकालीन प्रतिक्रिया, राहत और पुनर्वास के खर्चों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रबंधित एक कोष के रूप में परिभाषित किया गया है। 
  • एनडीआरएफ का गठन गंभीर प्रकृति की आपदाओं के मामले में तत्काल राहत की सुविधा के लिए राज्यों के राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) के धन को पूरा करने के लिए किया गया है।
  • वस्तुतः आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के द्वारा 28 सितंबर, 2010 को राष्ट्रीय आपदा आकस्मिकता निधि (एनसीसीएफ) का नाम बदलकर राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया निधि (एनडीआरएफ) कर दिया गया था। 
  • राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष में 35,858 करोड़ रुपये के आवंटन से - केंद्र राज्य सरकारों को ये आवंटन करता है - 2005 और 2014 के बीच आवंटन 2014 और 2023 के बीच तीन गुना बढ़कर 1,04,704 करोड़ रुपये हो गया है।
  • 2021 में केंद्र से 13,700 करोड़ रुपये और राज्यों से 32,000 करोड़ रुपये के कोष के साथ एक ‘राष्ट्रीय आपदा शमन ‘ बनाया गया । 

नेताजी सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार-

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  • इस पुरस्कार को भारत में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में व्यक्तियों और संगठनों द्वारा प्रदान किए गए अमूल्य योगदान और निस्वार्थ सेवा को पहचानने और सम्मानित करने के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर वर्ष 2019 में शुरू किया गया। 
  • इस पुरस्कार की घोषणा हर साल 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर की जाती है। 
  • इस पुरस्‍कार में चयनित संस्था को 51 लाख रुपये नगद और एक प्रमाण पत्र तथा व्यक्तिगत मामले में 5 लाख रुपये नगद और एक प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है।

पुरस्कार विजेता -

वर्ष

प्राप्तकर्ता

व्यक्ति

संस्थान

2019

8वीं बटालियन  राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, गाजियाबाद

2020

श्री कुमार मुन्नन सिंह

आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्रउत्तराखंड

2021

डॉ. राजेंद्र कुमार भंडारी

सतत पर्यावरण और पारिस्थितिक विकास सोसायटी (बीज)

2022

प्रो विनोद शर्मा

गुजरात आपदा प्रबंधन संस्थान (जीआईडीएम)

2023

ओडिशा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ओएसडीएमए) और लुंगलेई फायर स्टेशन (एलएफएस), मिजोरम।

आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन (सीडीआरआई) –

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  • भारत ने दुनिया के साथ अनुभव साझा करने के लिए 100 से अधिक देशों के साथ "आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन" बनाया है। 
  • इसकी स्थापना भारत सरकार के नेतृत्व में और यूएनडीआरआर के समर्थन से 2019 में की गई 
  • यह राष्ट्रीय सरकारों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और कार्यक्रमों, बहुपक्षीय विकास बैंकों, शैक्षणिक संस्थानों एवं निजी क्षेत्र की एक बहु-हितधारक वैश्विक साझेदारी है।  
  • सीडीआरआई का लक्ष्य जलवायु और आपदा जोखिमों के प्रति बुनियादी ढांचा प्रणालियों के लचीलेपन को बढ़ावा देना है, जिससे सतत विकास सुनिश्चित हो सके। 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न-  नेताजी सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. इसकी शुरुआत नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 100 वीं जयंती पर वर्ष 2019 में की गई थी। 
  2. यह पुरस्कार प्रतिवर्ष 26 जनवरी को दिया जाता है।
  3. इस पुरस्‍कार में चयनित संस्था को 51 लाख रुपये नगद और एक प्रमाण पत्र दिया जाता है।

नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए।

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2

(c) केवल 3

(d) केवल 1 और 3

उत्तर- (c)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- भुज भूकंप के बाद आपदा से बचाव के लिए प्रयासों का संक्षेप में विवरण दें।

स्रोत- indian express

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