New
July Offer: Upto 75% Discount on all UPSC & PCS Courses | Offer Valid : 5 - 12 July 2024 | Call: 9555124124

ई-20 ईंधन

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा,सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 :संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण)

संदर्भ

हाल ही में, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने ई-20 ईंधन के प्रयोग तथा व्यापक पैमाने पर उत्सर्जन मानकों को लागू करने के संबंध में जन-प्रतिक्रियाओं को आमंत्रित किया है। 

क्या है ई-20 ईंधन ?

  • इसके निर्माण के लिये गैसोलीन में 20% एथेनॉल मिलाकर ऑटोमोटिव ईंधन के तौर पर प्रयोग किया जाएगा।
  • ‘एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल कार्यक्रम’(Ethanol Blended Petrol Programme) के तहत वर्ष 2022 तक पेट्रोल के साथ 10% बायो-एथेनॉल मिश्रणऔर वर्ष 2030 तक 20% मिश्रण का लक्ष्य रखा गया है। हालाँकि, भारत वर्ष 2019 तक केवल 5.6% मिश्रण के स्तर तक पहुँच पाया है।
  • उल्लेखनीय है कि गैसोलीन और पेट्रोल एक ही प्रकार के ईंधन के लिये प्रयुक्त होने वाले दो भिन्न नाम हैं। ‘गैसोलीन’ शब्द का उपयोग अमेरिका एवं लैटिन देशों में किया जाता है, जबकि यूरोप एवं एशियाई देशों में इसे ‘पेट्रोल’कहते हैं।

क्यों आवश्यक है ई-20 ईंधन ? 

  • यह अधिसूचना ई 20 ईंधन के अनुरूप वाहन विकसित करने की प्रक्रिया को सुगम बनाएगी। एथेनॉल मिश्रित गैसोलीन के उपयोग योग्य वाहनों पर वाहन निर्माता स्पष्टत रूप से दिखाई देने वाला स्टीकर लगाएँगे। 
  • ई-20 ईंधन कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन इत्यादि के उत्सर्जन को कम करने में सहायक होगा।
  • इससे खनिज तेल के आयात में कमी आएगी, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार की बचत होगी और ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।
  • सरकार का लक्ष्य आगामी पाँच वर्षों में इथेनॉल आधारित अर्थव्यवस्था को वर्तमान के 22,000 करोड़ से बढ़ाकर 2 लाख करोड़ रुपए करने का है।

एथेनॉल

  • एथेनॉल एक प्रकार का जैव-ईंधन है, जो जैवभार (Biomass) का एक उपोत्पाद है। एथेनॉल को ‘एथिल एल्कोहल’ भी कहते हैं।
  • 95% शुद्धता की स्थिति में एथेनॉल को ‘रेक्टिफाइड स्पिरिट’ या ‘शोधित स्पिरिट’ कहते हैं। इसका प्रयोग मादक पेय (Alcoholic beverages) में नशीले संघटक (Intoxicating Ingredient) के रूप में किया जाता है।
  • जैवभार से उत्पन्न एथेनॉल को बायो-एथेनॉल कहा जाता है। बायो-एथेनॉल के लिये जैवभार के रूप में शर्करा-युक्त सामग्री, जैसे- गन्ना, चुकंदर, मीठे चारे आदि के साथ-साथ स्टार्च-युक्त मकई, कसावा, आलू, शैवाल एवं लकड़ी, कृषि व वन अवशेष आदि को शामिल किया जाता है।
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR