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आर्थिक सर्वेक्षण : 2023-24 (भाग -1)

क्या है आर्थिक सर्वेक्षण 

  • आर्थिक सर्वेक्षण विगत वित्तीय वर्ष की आय और व्यय की समीक्षा के आधार पर तैयार किया जाता है। 
  • आर्थिक सर्वेक्षण के जरिए सरकार देश की अर्थव्यवस्था की वित्तीय स्थिति की बारे में जानकारी देती है।
  • इसमें किसी खास वित्तीय वर्ष के दौरान देश में विकास के रुख और विभिन्न क्षेत्रों आय-व्यय और सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा शामिल होती है।

आर्थिक सर्वेक्षण : मुख्य बिंदु

  • इतिहास: प्रारंभ में इसे 1950-51 से 1964 तक केन्द्रीय बजट के साथ प्रस्तुत किया जाता था। बाद में इसे अलग कर दिया गया और बजट से पहले प्रस्तुत किया जाने लगा।
  • संकलन : सर्वेक्षण मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) के मार्गदर्शन में संकलित किया जाता है। वर्तमान में डॉ. वी. अनंत नागेश्वरन मुख्य आर्थिक सलाहकार हैं। 
  • प्रस्तुति : आर्थिक सर्वेक्षण भारत के वित्त मंत्री द्वारा संसद में प्रस्तुत किया जाता है।

आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के प्रमुख तथ्य

  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण छटवीं बार आर्थिक सर्वेक्षण एवं सातवीं बार बजट प्रस्तुत कर रहीं हैं। 
  •  आर्थिक सर्वेक्षण : 2023-24 को तेरह अध्‍यायों में विभाजित किया गया है। 

अध्‍याय 1 : अर्थव्यवस्था की स्थितिः निरंतर आगे बढ़ते हुए

  • आर्थिक मोर्चे पर महामारी के प्रति भारत की नपी-तुली (कैलिब्रेटेड) प्रतिक्रिया में तीन प्रमुख घटक शामिल थे।
    • बुनियादी ढांचे में सार्वजनिक व्यय पर ध्यान केंद्रित करना, जिसने नौकरियों और औद्योगिक उत्पादन की मजबूत मांग पैदा करके अर्थव्यवस्था को बचाए रखा और निजी निवेश की धीमी लेकिन जोरदार प्रतिक्रिया को बढ़ावा दिया।
    • प्रतिकूलताओं के बीच व्यावसायिक उद्यम और लोक प्रशासन की स्वाभाविक प्रतिक्रिया।
    • आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों और आबादी के विभिन्न वर्गों को लक्षित राहत तथा संरचनात्मक सुधार।
  • आर्थिक समीक्षा में वास्‍तविक जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024-25 में 6.5-7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। 

GDPWARIDDI

  • भारत की वास्‍तविक जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024 में 8.2 प्रतिशत रही, वित्त वर्ष 2024 की चार तिमाहियों में से तीन तिमाहियों में विकास दर 8 प्रतिशत से अधिक रही। 
  • आपूर्ति के मोर्चे पर सकल मूल्‍य वर्द्धित (जीवीए) की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024 में 7.2 प्रतिशत (2011-12 के मूल्‍यों पर) रही और स्थिर मूल्‍यों पर शुद्ध कर संग्रह वित्त वर्ष 2024 में 19.1 प्रतिशत बढ़ गया।
  • चालू खाता घाटा (सीएडी) वित्त वर्ष 2024 के दौरान जीडीपी का 0.7 प्रतिशत रहा जो कि वित्त वर्ष 2023 में दर्ज किए गए जीडीपी के 2.0 प्रतिशत के सीएडी से काफी कम है।
  • वित्त वर्ष 24 में सकल कर राजस्व (जीटीआर) में 13.4 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया गया। 
    • कुल कर संग्रह का 55 प्रतिशत प्रत्‍यक्ष करों से और शेष 45 प्रतिशत अप्रत्‍यक्ष करों से प्राप्‍त हुआ है।
  • सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में राजस्व व्यय में कमी लाने के साथ ही सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया कि देश में 81.4 करोड़ लोगों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाए।
  • साथ ही, पूंजीगत व्यय के लिए आवंटित कुल व्यय का हिस्सा उत्तरोत्तर बढ़ाया गया, जिससे व्यय की गुणवत्ता में वृद्धि हुई।
  • वित्त वर्ष 24 में राज्य सरकारों ने अपने वित्त में सुधार जारी रखा। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा प्रकाशित 23 राज्यों के वित्त के प्रारंभिक अलेखापरीक्षित अनुमानों में इन राज्यों के लिए सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में राजकोषीय घाटा बजटीय 3.1 प्रतिशत के मुकाबले 2.8 प्रतिशत रहा।

अध्‍याय 2 : मौद्रिक प्रबंधन और वित्तीय मध्यस्थताः स्थिरता ही मूलमंत्र

  • भारतीय अर्थव्यवस्था के वित्तीय और बैंकिंग क्षेत्रों ने निरंतर भू-राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद मजबूत प्रदर्शन किया है। केंद्रीय बैंक ने पूरे वर्ष एक स्थिर नीति दर बनाए रखी, जिसमें समग्र मुद्रास्फीति दर नियंत्रण में रही।
    • मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने वित्त वर्ष 2024 में पॉलिसी रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखा। विकास की गति तेज करने के साथ-साथ महंगाई दर को धीरे-धीरे तय लक्ष्‍य के अनुरूप किया गया।
  • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) का कर्ज वितरण मार्च 2024 के आखिर में 20.2 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 164.3 लाख करोड़ रुपये रहा।
    • कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों को मिले कर्ज वित्त वर्ष 2024 के दौरान दहाई अंकों में बढ़ गए।
    • औद्योगिक कर्जों की वृद्धि दर 8.5 प्रतिशत रही, जबकि एक साल पहले यह वृद्धि दर 5.2 प्रतिशत ही थी।
  • आईबीसी को पिछले 8 वर्षों में ट्विन बैलेंस शीट समस्‍या का प्रभावकारी समाधान माना गया है। मार्च 2024 तक 13.9 लाख करोड़ रुपये के मूल्‍य वाले 31,394 कॉरपोरेट कर्जदारों के मामले निपटाए गए।
  • प्राथमिक पूंजी बाजारों में वित्त वर्ष 2024 के दौरान 10.9 लाख करोड़ रुपये का पूंजी सृजन हुआ। 
    • यह वित्त वर्ष 2023 के दौरान निजी और सरकारी कंपनियों के सकल स्थिर पूंजी सृजन का लगभग 29 प्रतिशत है। 
    • भारतीय शेयर बाजार का बाजार पूंजीकरण– जीडीपी अनुपात बढ़कर पूरी दुनिया में पांचवें सर्वाधिक स्‍तर पर आ गया है।
  • भारत का माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र चीन के बाद दुनिया में दूसरे सबसे बड़े माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र के रूप में उभरा है।

अध्‍याय 3 : कीमतें और मुद्रास्फीति - नियंत्रण में

  • केन्‍द्र सरकार द्वारा समय पर उठाए गए नीतिगत कदमों और भारतीय रिजर्व बैंक के मूल्‍य स्थिरता संबंधी उपायों से खुदरा महंगाई दर को 5.4 प्रतिशत पर बरकरार रखने में मदद मिली हैं। 
    • महंगाई दर महामारी से लेकर अब तक की अवधि में न्‍यूनतम स्‍तर पर है।
  • कोर सेवाओं की महंगाई दर घटकर वित्त वर्ष 2024 में पिछले नौ वर्षों के न्‍यूनतम स्‍तर पर आ गई। 
    • इसके साथ ही कोर वस्‍तुओं की महंगाई दर भी घटकर पिछले चार वर्षों के न्‍यूनतम स्‍तर पर आ गई।
  • मौसमी प्रभावों, जलाशयों के जलस्तर में कमी तथा फसलों के नुकसान के कारण कृषि क्षेत्र को चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिनसे कृषि उपज और खाद्यानों की कीमत पर असर पड़ा। 
    • वित्त वर्ष 2023 में खाद्य महंगाई दर 6.6 प्रतिशत थी, जो वित्त वर्ष 2024 में बढ़कर 7.5 प्रतिशत हो गई है। 
  • वित्त वर्ष 2024 में 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मुद्रास्फीति 6 प्रतिशत से कम दर्ज की गई।
    • इसके अलावा उच्च महंगाई दर वाले राज्यों में ग्रामीण-शहरी महंगाई दर अंतर अधिक रहा, जहां ग्रामीण महंगाई दर शहरी महंगाई दर से अधिक रही।
  • रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2025 और वित्त वर्ष 2026 में महंगाई दर कम होकर क्रमशः 4.5 और 4.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। 
    • आईएमएफ ने भारत के लिए महंगाई दर को 2024 में 4.6 प्रतिशत और 2025 में  4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है।

अध्याय 4 : बाह्य क्षेत्रः समृद्धि के बीच स्थिरता

  • मुद्रास्फीति तथा भू-राजनीतिक बाधाओं के बावजूद भारत के बाह्य क्षेत्र में मजबूती बनी रही।
    • विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक में भारत की स्थिति छह पायदान बेहतर हुई है और 2018 के 44वें स्थान से बेहतर होकर 2023 में 38वें पायदान पर पहुंच गई।
  • व्यापारिक आयात में कमी और सेवा निर्यात वृद्धि ने चालू खाता घाटे में सुधार किया है, जो वित्त वर्ष 2024 में घटकर 0.7 प्रतिशत रह गया है।
  • वैश्विक वस्तु एवं सेवा निर्यात में भारत की हिस्सेदारी बढ़ी है।
    • वैश्विक वस्तु निर्यात में देश की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2024 में 1.8 प्रतिशत रही, जबकि वित्त वर्ष 2016 से वित्त वर्ष 2020 के दौरान यह हिस्सेदारी औसतन 1.7 प्रतिशत रही थी।
    • सेवा निर्यात में 4.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो वित्त वर्ष 2024 में 341.1 बिलियन डॉलर रही।
  • भारत वैश्विक स्तर पर विदेशों से सबसे अधिक धन प्रेषण प्राप्त करने वाला देश रहा, जो 2023 में 120 बिलियन डॉलर की सीमा को पार कर गया।
  • भारत का विदेशी ऋण पिछले कई वर्षों से टिकाऊ बना हुआ है, तथा मार्च 2024 के अंत में विदेशी ऋण और जीडीपी का अनुपात 18.7 प्रतिशत है।
  • स्थिर पूंजी निरंतर अंतर्वाह सीएडी का वित्तपोषण करता है। वित्त वर्ष 24 के दौरान, निवल पूंजी प्रवाह पिछले वर्ष के 58.9 बिलियन अमेरिकी डालर की तुलना में 86.3 बिलियन अमेरिकी डालर था। 
    • निवल एफपीआई प्रवाह वित्त वर्ष 24 के दौरान पिछले दो वर्षों को निवल बहिर्वाह की तुलना में 44.1 बिलियन अमेरिकी डालर था। यह वित्त वर्ष 2015 के बाद एफपीआई प्रवाह का सबसे ऊंचा स्तर है।
    • जेपी मॉर्गन गवर्नमेंट बॉन्ड इंडेक्स इमर्जिंग मार्केट्स में भारत के सॉवरेन बॉन्ड को हाल ही में शामिल किए जाने से भविष्य में ऋण प्रवाह में वृद्धि होने की उम्मीद है तथा इससे भारत में और अधिक निवेश की मांग में भी वृद्धि होगी।

VIDESHIMUDRA

  • अंकटाड वर्ल्ड इन्वेस्टमेंट रिपोर्ट 2024 में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि वैश्विक एफडीआई वर्ष 2022 में 1.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से 2 प्रतिशत घटकर वर्ष 2023 में 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई है।
    • वैश्विक एफडीआई प्रवाह में हुई गिरावट ने भारत की एफडीआई प्रवाह को भी प्रभावित किया है। 
    • भारत में निवल एफडीआई प्रवाह वित्त वर्ष 23 के दौरान 42.0 बिलियन अमेरिकी डॉलर से घटकर वित्त वर्ष 24 में 26.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
  • बड़े पूंजी प्रवाह के साथ सीएडी में कमी के कारण वित्त वर्ष 24 में विदेशी मुद्रा भंडार (एफईआर) में वृद्धि हो पाई है। एफईआर का बफर घरेलू आर्थिक कार्यकलाप को वैश्विक उतार-चढ़ाव से बचाता है। 
    • ये भंडार आधार के रूप में कार्य करते हैं और नकदी प्रदान करते हैं और यह सुनिश्चित करते है कि भारत अपने विदेशी दायित्वों को पूरा कर सकते है। 
    • वित्त वर्ष 24 के दौरान, भारत का एफईआर 68 बिलियन अमेरिकी डालर बढ़ गया, जो प्रमुख विदेशी मुद्रा भंडार रखने वाले देशों में सबसे अधिक वृद्धि है। 
    • 21 जून 2024 को एफईआर 653.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो वित्त वर्ष 25 के लिए अनुमानित 10 महीने से अधिक के आयात और मार्च 2024 के अंत में बकाया कुल विदेशी ऋण के 98 प्रतिशत से अधिक को कवर करने के लिए पर्याप्त है। 

अध्याय 5 : मध्यम अवधि परिदृश्य: नए भारत के लिए विकास दृष्टि

  • अल्प से मध्यम अवधि में नीतिगत फोकस के प्रमुख क्षेत्र;
    • रोजगार और दक्षता निर्माण
    • कृषि क्षेत्र की पूर्ण क्षमता का उपयोग
    • एम.एस.एम.ई. की बाधाओं का सामाधान
    • ऊर्जा बदलाव के लिए हरित स्रोतों को अपनाने का प्रबंधन
    • चीनी पहेली को कुशलतापूर्वक सुलझाने का प्रयास
    • कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार को मजबूत करना
    • असमानता को दूर करना
    • युवाओं के स्वास्थ्य की गुणवत्ता में सुधार करना
  • अमृतकाल की विकास रणनीति छह प्रमुख क्षेत्रों पर आधारित है- 
    • निजी निवेश को प्रोत्साहन
    • एम.एस.एम.ई. का विस्तार
    • विकास के इंजन के रूप में कृषि
    • ऊर्जा बदलाव के लिए हरित स्रोतों को अपनाने के लिए वित्त पोषण
    • शिक्षा- रोजगार अंतराल  कम करना
    • राज्यों में क्षमता का निर्माण
  • भारतीय अर्थव्यवस्था को 7 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ने के लिए केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों और निजी क्षेत्र के बीच त्रिपक्षीय समझौते की आवश्यकता है।

अध्याय 6 : जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा संक्रमणः समझौताकारी सामंजस्य

  • अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम की हाल ही की रिपोर्ट में प्रतिबद्ध जलवायु कार्रवाई करने के भारत के प्रयासों को स्वीकार किया गया है जिसमें भारत 2 डिग्री सेंटीग्रेट वार्मिंग की दिशा में बढ़ने वाला एकमात्र G20 राष्ट्र है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने तथा ऊर्जा दक्षता में सुधार करने के संदर्भ में भारत ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
    • 31 मई, 2024 तक स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता में गैर-जीवाश्म स्रोतों की हिस्सेदारी 45.4 हो गई है।
  • इसके अलावा देश ने अपने जीडीपी की उत्सर्जन तीव्रता को कम किया है, जिसमें 2005 के स्तर पर 2019 में 33 प्रतिशत की कमी आई है।
  • भारत ने जलवायु कार्रवाई पर महत्वपूर्ण प्रगति की है। 2023-24 में स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता में 15.03 गीगावाट की वृद्धि हुई, जो 30 अप्रैल 202412 को 82.64 गीगावाट तक पहुंच गई।

JALWAYU

  • भारत में तटीय क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक संवेदनशील हैं। ऐसे क्षेत्रों में आर्द्रभूमि संरक्षण एक महत्वपूर्ण अनुकूलन उपाय हो सकता है।
    • भारत ने आर्द्रभूमि और मैंग्रोव संरक्षण को प्राथमिकता के रूप में अपनाया है। 2014 से, देश भर में 56 नए आर्द्रभूमि को रामसर साइट (अंतर्राष्ट्रीय महत्व के आर्द्रभूमि) के रूप में नामित किया है जिससे कुल संख्या 82 हो गई है। 
  • आरबीआई ने देश में ग्रीन फाइनेंस इकोसिस्टम को बढ़ावा देने और विकसित करने के लिए विनियमित संस्थाओं के लिए ग्रीन डिपॉजिट की स्वीकृति हेतु फ्रेमवर्क लागू किया है। 
  • इसके अलावा ‘सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड’ ने हरित परियोजनाओं के लिए विविध निवेशकों से संसाधन जुटाने में मदद की है।
    • सरकार ने जनवरी-फरवरी 2023 में 16,000 करोड़ रुपये और उसके बाद अक्‍तूबर-दिसम्‍बर 2023 में 20,000 हजार करोड़ रुपये के सावरेन हरित बॉंन्‍ड जारी किए।
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