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वेब हेतु यूरोपीय संघ के नियम

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2:  शासन व्यवस्था, संविधान, शासन प्रणाली, सामाजिक न्याय तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध, भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव)

संदर्भ 

हाल ही में, यूरोपीय संसद एवं यूरोपीय संघ (European Union : EU) के सदस्य देश ‘डिजिटल सेवा अधिनियम’ (Digital Service Act : DSA) के तहत एक राजनीतिक समझौते पर सहमत हुए हैं। इसके अंतर्गत बड़ी इंटरनेट कंपनियाँ ग़लत सूचना तथा अवैध और हानिकारक सामग्री के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिये बाध्य हैं।

डिजिटल सेवा अधिनियम 

  • ई.यू. आयोग द्वारा दिसंबर 2020 में प्रस्तावित डिजिटल सेवा अधिनियम एकल बाज़ार में मध्यस्थों के दायित्वों और जवाबदेही पर सामान्य नियमों का एक समूह है।
  • यह अधिनियम ई.यू. के सभी उपयोगकर्ताओं के लिये उच्च सुरक्षा सुनिश्चित करता है, चाहे उनका मूल देश कोई भी हो।
  • प्रस्तावित अधिनियम ई.यू. के डिजिटल बाज़ार अधिनियम (Digital Marketing Act) के संयोजन के साथ कार्य करेगा।

कार्यक्षेत्र

  • डी.एस.ए. सरल वेबसाइटों से लेकर इंटरनेट इन्फ्रास्ट्रक्चर सेवाओं और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तक ऑनलाइन सेवाओं की एक बड़ी श्रेणी पर लागू होगा। इनमें से प्रत्येक के लिये दायित्व उनके आकार और भूमिका के अनुसार अलग-अलग होंगे।
  • उपयोगकर्ता सामग्री को नियंत्रित करने के क्रम में डी.एस.ए. मध्यस्थों, विशेष रूप से गूगल, फेसबुक और यूट्यूब जैसे बड़े प्लेटफ़ॉर्म के कार्यप्रणाली को सख्ती से नियंत्रित करेगा। 
  • इन प्लेटफ़ॉर्मों को यह तय करने की अनुमति देने की बजाय कि अपमानजनक या अवैध सामग्री से कैसे निपटा जाए, डी.एस.ए. इन कंपनियों के लिये विशिष्ट नियम और दायित्व निर्धारण के साथ-साथ उनका पालन सुनिश्चित करेगा।
  • इस अधिनियम के दायरे में ऐसे प्लेटफॉर्म हैं, जो इंटरनेट एक्सेस, डोमेन नेम रजिस्ट्रार, होस्टिंग सेवाएँ जैसे क्लाउड कंप्यूटिंग और वेब-होस्टिंग सेवाएँ प्रदान करते हैं। परंतु इस अधिनियम का सबसे महत्त्वपूर्ण पक्ष यह है कि बहुत बड़े ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (Very Large Online Platform : VLOPs) और बहुत बड़े ऑनलाइन सर्च इंजन (Very Large Online Search Engines: VLOSEs) को अधिक कठोर नियमों का सामना करना पड़ेगा।

अधिनियम में शामिल मुख्य प्रावधान 

अवैध सामग्री हटाने का प्रस्ताव

  • ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और मध्यस्थों जैसे कि फेसबुक, गूगल, यूट्यूब आदि को अवैध या हानिकारक सामग्री को अपने प्लेटफ़ॉर्म से शीघ्र हटाने के लिये नई प्रक्रियाएँ निर्धारित करनी होंगी। यह प्रत्येक ई.यू. सदस्य देशों के कानूनों के अनुसार भिन्न हो सकती है। 
  • इसके अतिरिक्त, इन प्लेटफार्मों को अवैध सामग्री को हटाने पर अपनी नीति स्पष्ट रूप से समझानी होगी तथा साथ ही उपयोगकर्ता इन नीतियों को चुनौती भी दे सकेंगे। उपयोगकर्ताओं को गैरकानूनी सामग्री को चिह्नित करने में मदद करने के लिये प्लेटफ़ॉर्म के पास एक स्पष्ट तंत्र होना चाहिये। 

देखभाल के कर्तव्य का आरोपण

अमेज़ॅन जैसे मार्केटप्लेस को उन विक्रेताओं पर ‘देखभाल का कर्तव्य’ (Duty of Care) आरोपित करना होगा, जो ऑनलाइन उत्पादों को बेचने के लिये उनके प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहे हैं। ऐसे प्लेटफार्मों को उपभोक्ताओं को सूचित करने के लिये बेचे गए उत्पादों और सेवाओं के संदर्भ में स्पष्ट जानकारी एकत्रित और प्रदर्शित करनी होगी।

जोखिम का मूल्यांकन

डी.एस.ए. के तहत कंपनियों को अवैध सामग्री के प्रसार, मौलिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और सार्वजनिक सुरक्षा पर प्रभाव डालने वाली सेवाओं में हेरफेर, लिंग-आधारित हिंसा पर प्रतिकूल प्रभाव, नाबालिगों और उपयोगकर्ताओं के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिये गंभीर परिणाम के जोखिमों का मूल्यांकन करना होगा। गूगल और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म के लिये यह ऑडिट प्रतिवर्ष करना होगा।

शोधकर्ताओं की सार्वजनिक डाटा तक पहुँच

अधिनियम में इन जोखिमों को बेहतर ढंग से समझने तथा उनका अध्ययन करने के लिये स्वतंत्र अनुभवी शोधकर्ताओं को इन प्लेटफार्मों के सार्वजनिक डाटा तक पहुँच के लिये अनुमति देने का प्रस्ताव है।

डार्क पैटर्न पर प्रतिबंध

डी.एस.ए. ‘डार्क पैटर्न’ या ‘भ्रामक इंटरफेस’ पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव करता है, जिन्हें उपयोगकर्ताओं को भ्रमित करने के उद्देश्य से कुछ ऐसा करने के लिये डिज़ाइन किया गया होता है जिनके लिये वे सामान्य परिस्थितियों में सहमत नहीं होंगे। 

संकट तंत्र संबंधी प्रावधान

  • डी.एस.ए. में संकट तंत्र से जुड़े प्रावधान भी शामिल हैं, जो रूस-यूक्रेन संघर्ष के विशेष संदर्भ में बनाए गए हैं। इन प्रावधानों को राष्ट्रीय डिजिटल सेवा समन्वयकों के बोर्ड की सिफारिश पर आयोग द्वारा सक्रिय किया जाएगा। 
  • ये प्रावधान संकट की स्थिति में इन प्लेटफार्मों की गतिविधियों के प्रभाव का विश्लेषण करेंगे। इसी संदर्भ में आयोग यह सुनिश्चित करने के लिये उचित कदम उठाएगा कि उपयोगकर्ताओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन न हो। हालाँकि ये विशेष उपाय केवल तीन महीने के लिये लागू होंगे। 

नाबालिगों के लिये सुरक्षा तंत्र

कानून नाबालिगों के लिये मज़बूत सुरक्षा तंत्र का प्रस्ताव करता है, जिसका उद्देश्य उनके व्यक्तिगत डाटा के आधार पर उनके लिये लक्षित विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाना है।

अन्य प्रावधान 

  • यह उपयोगकर्ताओं को सामग्री या उत्पादों की सिफारिश करने के लिये उपयोग किये जाने वाले एल्गोरिदम सहित विभिन्न मुद्दों पर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के लिये पारदर्शिता उपायों का भी प्रस्ताव करता है।
  • अंतिम रूप से यह सदस्यता रद्द करने के प्रावधानों को, सदस्यता लेने के समान ही आसान बनाता है।

अवैध सामग्री के लिये सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के उत्तरदायित्व की सीमा

  • यह स्पष्ट किया गया है कि प्लेटफॉर्म और अन्य मध्यस्थ उपयोगकर्ताओं के गैरकानूनी व्यवहार के लिये उत्तरदायी नहीं होंगे। हालाँकि, यदि प्लेटफ़ॉर्म अवैध कृत्यों से अवगत हैं और उन्हें हटाने में विफल रहते हैं तब वे इस उपयोगकर्ता व्यवहार के लिये उत्तरदायी होंगे। 
  • गौरतलब है कि पिछले वर्ष घोषित भारत के आई.टी. नियम सोशल मीडिया मध्यस्थ और उसके अधिकारियों की उत्तरदायिता सुनिश्चित करते हैं। इसके नियम 4 (ए) में कहा गया है कि महत्त्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थों जैसे कि फेसबुक या गूगल को एक मुख्य अनुपालन अधिकारी नियुक्त करना होगा। यदि स्थानीय कानूनों का उल्लंघन करने वाले ट्वीट या पोस्ट को निर्धारित अवधि के भीतर नहीं हटाया जाता तो इसके लिये अनुपालन अधिकारी उत्तरदायी होगा।

निष्कर्ष 

यूरोपीय संघ द्वारा निर्मित ये नियम उपयोगकर्ताओं की निजता की सुरक्षा करने में सहायक सिद्ध होंगे। भारत द्वारा भी सोशल मीडिया के दुरूपयोग को रोकने तथा उपयोगकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिये क़ानून निर्मित किये गए हैं, हालाँकि इन नियमों को लागू करने हेतु उपयुक्त आधारभूत ढाँचे की आवश्यकता है।

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