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भारत के लिये अनुकरणीय वियतनाम और बांग्लादेश मॉडल

(प्रारम्भिक परीक्षा : अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा प्रश्नपत्र – 3 : उदारीकरण तथा औद्योगिक नीति)

चर्चा में क्यों?

वर्तमान में बांग्लादेश, चीन के पश्चात दूसरा सबसे बड़ा परिधान निर्यातक देश बन गया है साथ वियतनाम के निर्यात में गत 8 वर्षों में 240% की अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।

वियतनाम की सफलता के कारण

  • खुली व्यापार नीति, सस्ता कार्यबल और विदेशी कम्पनियों के लिए एक उदारवादी प्रोत्साहन नीति ने वियतनाम के निर्यात उद्योग की सफलता में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
  • मुक्त व्यापार समझौतों (एफ.टी.ए.) के तहत वियतनाम के व्यापार भागीदार देश वियतनाम में बने उत्पादों पर आयात शुल्क आरोपित नहीं करते हैं साथ ही वियतनाम का बाज़ार भी व्यापारिक भागीदार देशों के लिये मुक्त है।
  • वियतनाम ने विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने तथा कारोबारी सुगमता के लिये अपने घरेलू व्यावसायिक तथा औद्योगिक कानूनों में व्यापक बदलाव किया है।
  • पिछले कुछ वर्षों में वियतनाम की सुगम तथा आकर्षक विदेश व्यापार नीतियों के चलते सैमसंग, कैनन, फॉक्सकॉन, एच एंड एम, नाइकी, एडिडास और आई.के.ई.ए. जैसे बड़े ब्रांडों ने अपने उत्पादों के निर्माण हेतु वियतनाम में अपने वृहत को व्यवसाय स्थापित किया है।

बांग्लादेश की सफलता के कारण

  • बांग्लादेश के निर्यात उद्योग की सफलता का मुख्य कारण कपड़ा उद्योग है।बांग्लादेश का कपड़ा मुख्यतः विकसित देशों,यूरोपीय संघ के देशों तथा अमेरिका द्वारा आयात किया जाता है।
  • बांग्लादेश ने अपने निर्यात व्यवसाय में विविधता (परम्परागत निर्यात के बजाय नए तथा आधुनिक उत्पाद तथा सेवाओं पर निर्यात निर्भरता बढ़ाना) लाने के लिये बड़े स्तर पर नीतिगत परिवर्तन किये हैं।
  • यूरोपीय संघ के देश, चीन, अमेरिका तथा जापान, बांग्लादेश जैसे कम विकसित देशों से कपड़ा तथा अन्य उत्पादों के शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति देते हैं। भारत भी एक सहयोगी पड़ोसी राष्ट्र के रूप में बांग्लादेश के सभी उत्पादों (शराब और तम्बाकू को छोड़कर) के लिये शुल्क-मुक्त आयात की सुविधा देता है।

भारत के लिये सीख

  • भारत को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को आकर्षित करने हेतु घरेलू कानूनों में बदलाव तथा उनके उचित कार्यान्वयन पर और बल देना चाहिये। हालाँकि भारत ने पिछले कुछ वर्षों में महत्त्वपूर्ण नीतिगत परिवर्तन किये हैं।
  • भारत को अपने निर्यात उद्योग हेतु बहुत अधिक क्षेत्रों की बजाय कुछ चुनिंदा क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये, जिससे भारत को वैश्विक स्तर पर निर्धारित क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल हो सकेगी।
  • भारत को विनिर्माण तथा विनिवेश को बढ़ावा देने हेतु क्षेत्र विशेष के अनुसार व्यवसाय तथा उद्योगों के लिये पूर्व-अनुमोदित औद्योगिक क्षेत्र (Pre-approved factory spaces) निर्धारित करना चाहिये ताकि कपड़ा निर्माण, प्रौद्योगिकी उत्पाद तथा अन्य विशेष उत्पाद व सेवाओं के उत्पादन हेतु इच्छुक उद्यमियों को भूमि की खोज तथा विभिन्न अनुमोदन प्राप्त करने की आवश्यकता ना पड़े।
  • भारत को विश्व स्तरीय इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण के साथ-साथ असेम्बलिंग उद्योग को आकर्षित करने पर भी विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

भारत को अपनी आर्थिक संवृद्धि हेतु निर्यात पर सीमित निर्भरता को बनाये रखते हुए नवाचार को प्रोत्साहित करने तथा विदेशी निवेश से सम्बंधित अनुपालन की लागत कम करने के साथ ही आकर्षक तथा सुगम नीति निर्माण की आवश्यकता है।

प्री फैक्ट्स :

  • इकनोमिक कोम्प्लेक्सिर्टी इंडेक्स (ई.सी.आई.) के अनुसार चीन की रैंक 32, भारत की 43 वियतनाम की 79 तथा बांग्लादेश की 127 है।
  • ई.सी.आई. के तहत बड़ी आर्थिक प्रणालियों विशेषकर शहरों, क्षेत्रों तथा देशों की उत्पादक क्षमताओं का समग्र मापन किया जाता है। इससे सम्बंधित आँकड़ों को एम.आई.टी. (अमेरिका) की मीडिया लैब द्वारा विकसित ऑब्जर्वेटरी ऑफ़ इकनोमिक कोम्प्लेक्सिटी ( Observatory of Economic Complexity - OEC) की वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जाता है।
  • निर्यात-जीडीपी अनुपात (Export to GDP Ratio - EGR) के माध्यम से किसी देश की निर्यात क्षमता का आकलन किया जाता है। उदहारण के लिये वियतनाम का ई.जी.आर. 107% है, जिससे बड़े स्तर पर डॉलर की प्राप्ति तो होती है लेकिन वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के वातावरण में यह अनुपात देश की अर्थव्यवस्था अत्यधिक असुरक्षित तथा संवेदनशील बनाता है।
  • वर्तमान में अमेरिका का ई.जी.आर. 11.7% है, जापान का 18.5%, भारत का 18.7% तथा चीन का 18.4% है।
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