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भारत के समक्ष उर्वरक चुनौतियाँ

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र : 3 प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय; जन वितरण प्रणाली- उद्देश्य, कार्य, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय; प्रौद्योगिकी मिशन; पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र।)

संदर्भ

हाल ही में, रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण खरीफ़ की बुवाई से पूर्व भारत उर्वरक उपलब्धता की चुनौती का सामना कर रहा है। इस दौरान भारत में उर्वरक के आयात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। हालाँकि सरकार ने आश्वासन दिया है कि उर्वरकों के नए स्रोतों की तलाश की जा रही है, ताकि खरीफ की बुवाई के दौरान उर्वरकों की कमी न होने पाए।

आपूर्ति पर महामारी एवं युद्ध का प्रभाव 

  • कोविड-19 महामारी ने विगत दो वर्षों के दौरान दुनिया भर में उर्वरक उत्पादन, आयात और परिवहन को प्रभावित किया है। चीन जैसे प्रमुख उर्वरक निर्यातकों ने उत्पादन में गिरावट को देखते हुए अपने निर्यात को धीरे-धीरे कम कर दिया है। इसका प्रभाव भारत जैसे देशों पर पड़ा है, जो चीन से अपने कुल फॉस्फेटिक आयात का 40-45% आयात करता है। 
  • इसके अतिरिक्त, एक तरफ जहाँ यूरोप, अमेरिका, ब्राजील और दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे क्षेत्रों में उर्वरकों की मांग में वृद्धि हुई है, वहीं दूसरी ओर आपूर्ति पक्ष को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • मोरक्को रूस से डायमोनियम फॉस्फेट के निर्माण के लिये अमोनिया खरीदता है, जिसकी आपूर्ति वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य के मद्देनजर प्रभावित हुई है।

भारत की उर्वरक आवश्यकता

  • खरीफ मौसम (जून-अक्टूबर) भारत की खाद्य सुरक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इस दौरान भारत के कुल खाद्यान्न उत्पादन का लगभग आधा, दालों का एक तिहाई और तिलहन का लगभग दो-तिहाई उत्पादन किया जाता है। इसलिये इस दौरान उर्वरक की एक बड़ी मात्रा की आवश्यकता होती है।
  • प्रतिवर्ष खरीफ मौसम की शुरुआत से पूर्व, कृषि और किसान कल्याण विभाग उर्वरकों की आवश्यकता का आकलन कर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये रासायनिक और उर्वरक मंत्रालय को सूचित करता है।  
  • खरीफ मौसम 2022 के लिये, केंद्र ने 354.34 लाख मीट्रिक टन (Lakh Metric Ton : LMT) उर्वरकों की आवश्यकता का आकलन किया है, जिसमें यूरिया 179 एल.एम.टी., डी.ए.पी. 58.82 एलएमटी, म्यूरेट ऑफ पोटाश 19.81 एल.एम.टी., एन.पी.के .(नाइट्रोजन, फॉस्फेट, पोटाश) 63.71 एल.एम.टी. और सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP) 33 एल.एम.टी. शामिल है।

वर्तमान में भारत में उर्वरक उपलब्धता

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, खरीफ मौसम के लिये उपलब्ध उर्वरक का शुरुआती स्टॉक 125.5 एल.एम.टी. है जो कुल  आवश्यकता का लगभग 35% है। प्रमुख उर्वरकों में, यूरिया स्टॉक कुल आवश्यकता का 34.62%,  डी.ए.पी. स्टॉक 41.65%,  एम.ओ.पी. स्टॉक 30.29%,  एन.पी.के. स्टॉक 25.33% है और एस.एस.पी. स्टॉक 51.52% शामिल है।

प्रमुख उर्वरक 

प्रमुख विशेषता 

प्रमुख लाभ

डी.ए.पी.

डायमोनियम फॉस्फेट एक फॉस्फेट आधारित उर्वरक है।

यह पौधों के ऊतकों के विकास और फसलों में प्रोटीन संश्लेषण के नियमन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

एन.पी.के.

यह तीन प्रमुख पोषक तत्त्वों नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम से युक्त उर्वरक है।

नाइट्रोजन पौधे के रंग और क्लोरोफिल उत्पादन में, फास्फोरस जड़ और बीज निर्माण में तथा पोटेशियम पौधों के समग्र विकास एवं स्वास्थ्य में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है।

एस.एस.पी.

सिंगल सुपर फॉस्फेट में फॉस्फोरस, सल्फर और कैल्शियम जैसे 3 प्रमुख पोषक तत्त्व होते हैं।

यह मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने तथा कीट एवं बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करने में सहायता करता है।

नीम लेपित यूरिया

यह नीम का तेल लेपित यूरिया है जिसे विशेष रूप से केवल कृषि उर्वरक के रूप में उपयोग करने के लिये विकसित किया गया है।

नीम का लेप यूरिया के नाइट्रिफिकेशन को धीमा कर देता है जिससे मिट्टी में पोषक तत्त्वों  के अवशोषण में वृद्धि के साथ-साथ भूजल प्रदूषण को कम करने में मदद मिलती है।

भारत में उर्वरक का घरेलू उत्पादन

  • सरकार का अनुमान है कि खरीफ मौसम के दौरान उर्वरकों का घरेलू उत्पादन 254.79 एल.एम.टी. तक पहुँच जाएगा, जिसमें 154.22 एल.एम.टी. यूरिया, 27.92 एल.एम.टी. डी.ए.पी., 48.65 एल.एम.टी. एन.पी.के. और 24 एल.एम.टी. एस.एस.पी. शामिल हैं।
  • सैद्धांतिक रूप से, शुरुआती स्टॉक और अपेक्षित घरेलू उत्पादन आवश्यकता को पूरा करने के लिये पर्याप्त होगा। हालाँकि, यूक्रेन में युद्ध ने भारतीय कंपनियों द्वारा आयात किये जाने वाले कच्चे माल की आपूर्ति को बाधित किया है, जिससे घरेलू उत्पादन पर प्रभाव पड़ने की आशंका है। 
  • ऐसी स्थिति में सरकार द्वारा 104.72 लाख मीट्रिक टन उर्वरक आयात करने का अनुमान है, जिसमें से अधिकांश यूरिया और डी.ए.पी. है। इस प्रकार, शुरुआती स्टॉक, घरेलू उत्पादन और आयात को मिलाकर अनुमानित कुल उपलब्धता लगभग 485.59 एल.एम.टी. है।

आपूर्ति व्यवधान का कीमतों पर प्रभाव

  • हाल के महीनों में कच्चे माल की कीमतों के साथ-साथ रसद और माल ढुलाई लागत में लगातार वृद्धि हुई है। कोविड-19 महामारी के दौरान रसद श्रृंखला में व्यवधान के कारण जहाजों के लिये औसत माल भाड़े में लगभग चार गुना की वृद्धि हुई है।  
  • इस दौरान डी.ए.पी. और यूरिया जैसे उर्वरकों तथा अमोनिया और फॉस्फेटिक एसिड जैसे कच्चे माल की कीमतों में 250-300% तक की वृद्धि हुई है। 
  • मूल्य नियंत्रण के प्रयासों में, सरकार ने 2022 के खरीफ मौसम के लिये पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी (Nutrient Based Subsidy: NBS) की दरों में वृद्धि की है। नाइट्रोजन (एन) के लिये एन.बी.एस. की दरें पिछले खरीफ मौसम के 18.78 रुपये प्रति किलोग्राम से 389% बढ़ाकर अप्रैल-सितंबर 2022 के लिये 91.96 रुपये प्रति किलोग्राम कर दी गई हैं। इसके अतिरिक्त, अप्रैल-सितंबर 2022 के दौरान फॉस्फेट, पोटाश एवं सल्फर की एन.बी.एस. की दरों में क्रमशः 60%, 150% एवं 192 % की वृद्धि हुई है।

पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी

पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना अप्रैल 2010 से क्रियान्वित है। इस योजना के तहत, सरकार द्वारा वार्षिक आधार पर नाइट्रोजन (एन), फॉस्फेट (पी), पोटाश (के) और सल्फर (एस) जैसे पोषक तत्त्वों पर सब्सिडी की एक निश्चित दर (प्रति किलोग्राम आधार में) की घोषणा की जाती है।

  • इस वित्त वर्ष में कुल उर्वरक सब्सिडी 2.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुँचने का अनुमान है, जो पिछले वित्त वर्ष के संशोधित अनुमानों में 1.62 करोड़ रुपये से अधिक है। 

उर्वरक आपूर्ति में सुधार हेतु सरकारी प्रयास

  • रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से भारत ने रूस से 3.60 एल.एम.टी. उर्वरकों का आयात किया है। इसके अतिरिक्त, भारत ने अगले तीन वर्ष के लिये 2.5 एल.एम.टी. डी.ए.पी./एन.पी.के. आपूर्ति हेतु रूसी कंपनियों के साथ निगम से निगम (Corporation to Corporation : C2C) आपूर्ति व्यवस्था को अपनाया है। 
  • भारत ने सऊदी अरब और ईरान जैसे वैकल्पिक स्रोतों से उर्वरक आपूर्ति सुरक्षित करने के प्रयास भी किये हैं। ईरान द्वारा भारत को तीन वर्ष की लंबी अवधि के लिये प्रत्येक वर्ष 15 एल.एम.टी. यूरिया की आपूर्ति करने पर सहमति प्रकट की गई है। 
  • भारतीय कंपनियों और सार्वजनिक उपक्रमों ने वर्ष 2022-23 के लिये सऊदी अरब से 25 एल.एम.टी. डी.ए.पी./एन.पी.के. प्राप्त करने हेतु समझौता किया है जिसके तहत वर्तमान में भारत प्रत्येक माह 30,000 मीट्रिक टन डी.ए.पी. प्राप्त कर रहा है।
  • इसके अतिरिक्त, भारत ने प्रत्येक वर्ष 10 एल.एम.टी. यूरिया प्राप्त करने के लिये ओमान के साथ दीर्घकालिक आपूर्ति समझौता भी किया है।
  • यूरिया के घरेलू उत्पादन के लिये, सरकार मैटिक्स (पश्चिम बंगाल), रामागुंडम (तेलंगाना) और गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) संयंत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। साथ ही,  सिंदरी और बरौनी में दो अन्य इकाइयों को भी पुनर्जीवित कर रही है। 

उर्वरक के लिये कच्चे माल की आपूर्ति

  • भारत पोटाश के आयात पर निर्भर है, जिसका उपयोग उर्वरकों के निर्माण में किया जाता है। बेलारूस और रूस पर प्रतिबंधों के मद्देनजर, पोटाश की अंतर्राष्ट्रीय कीमतें दिसंबर 2021 में 445 डॉलर प्रति मीट्रिक टन से बढ़कर अप्रैल 2022 में 600 डॉलर प्रति मीट्रिक टन हो गई हैं। 
  • खरीफ मौसम 2022 के दौरान पोटाश की आवश्यकता 19.81 एल.एम.टी. होने का अनुमान है, जबकि 5 एल.एम.टी. का प्रारंभिक स्टॉक ही उपलब्ध है। विदित है कि इस दौरान भारत द्वारा 23.18 एल.एम.टी. पोटाश आयात किये जाने की योजना है। 
  • बेलारूस से पोटाश की आपूर्ति के प्रभावित होने के पश्चात् भारत ने कनाडा से 12 एल.एम.टी. पोटाश की आपूर्ति प्राप्त की है। इसके अतिरिक्त, इज़राइल और जॉर्डन से भी 8.75 एल.एम.टी. पोटाश की अतिरिक्त मात्रा प्राप्त की गई है।
  • वर्तमान में सरकार रॉक फॉस्फेट जैसे कच्चे माल के घरेलू खनन का विकल्प की खोज कर रही है। केंद्र ने इस विकल्प का पता लगाने के लिये अंतर-मंत्रालयी परामर्श भी शुरू किया है।

केंद्र-राज्य सहयोग

  • खरीफ की बुवाई शुरू होने से पहले, केंद्र ने राज्यों को आवश्यकता के अनुसार उर्वरक आपूर्ति की सूक्ष्म योजना सुनिश्चित करने के लिये कहा है। 
  • इसके अतिरिक्त, केंद्र सरकार ने राज्यों को नैनो यूरिया जैसे वैकल्पिक उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा देने तथा उर्वरकों की जमाखोरी और कालाबाजारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आदेश भी दिया है।
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