प्रारंभिक परीक्षा – जल स्रोत गणना मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्यन प्रश्नपत्र 1 - भौगोलिक विशेषताएँ और उनके स्थान- अति महत्त्वपूर्ण भौगोलिक विशेषतायें (जल-स्रोत और हिमावरण सहित)
सन्दर्भ
हाल ही में, जल शक्ति मंत्रालय द्वारा भारत में पहली बार जल स्रोतों की गणना की गयी।
जल शक्ति मंत्रालय, राष्ट्रीय संसाधन के रूप में जल के विकास, संरक्षण और प्रबंधन के लिए नीतिगत दिशानिर्देश और साथ हीकार्यक्रम निर्धारित करने के लिए जिम्मेदार नोडल मंत्रालय है।
महत्वपूर्ण तथ्य
यह गणना सभी जल स्रोतों के एक समग्र राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार करने के क्रम में छठी लघु सिंचाई गणना के अनुरूप केंद्र प्रायोजित योजना “सिंचाई गणना” के तहत की गई।
इसमें जलाशयों के प्रकार, उनकी स्थिति, अतिक्रमण की स्थिति, उपयोग, भण्डारण क्षमता, भण्डारण भरने की स्थिति आदि सहित सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर जानकारी एकत्र की गई है।
यह गणना भारत के जल संसाधनों की एक व्यापक सूची प्रदान करती है, जिसमें प्राकृतिक और मानव निर्मित जल स्रोत जैसे तालाब, टैंक, झील आदि के साथ-साथ जल स्रोतों पर अतिक्रमण से जुड़ा डेटा भी शामिल है।
इसमें ग्रामीण के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में स्थित उन सभी जल निकायों को शामिल किया जो उपयोग में हैं या उपयोग में नहीं हैं।
गणना में जल स्रोतों के सभी प्रकार के उपयोगों जैसे सिंचाई, उद्योग, मत्स्यपालन, घरेलू/पेयजल, मनोरंजन, धार्मिक, भूजल पुनर्भरण आदि को भी ध्यान में रखा गया है।
इस गणना में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच असमानताओं और अतिक्रमण के विभिन्न स्तरों पर भी प्रकाश डाला गया है।
जल स्रोत गणना
पूरे देश में 24,24,540 जल स्रोतों की गणना की गई है, जिनमें से 97.1% (23,55,055) ग्रामीण क्षेत्रों में हैं और केवल 2.9% (69,485) ही शहरी क्षेत्रों में हैं।
जल स्रोतों की संख्या के मामले में शीर्ष 5 राज्य पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और असम हैं जहां देश के कुल जल स्रोतों का लगभग 63% हैं।
शहरी क्षेत्रों में जल स्रोतों की संख्या के मामले में शीर्ष 5 राज्य पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा हैं
ग्रामीण क्षेत्रों में जल स्रोतों की संख्या के मामले में शीर्ष 5 राज्य पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और असम हैं।
कुल जल स्रोतों में से 59.5 प्रतिशत जल स्रोत तालाब हैं, इसके बाद टैंक (15.7%), जलाशय (12.1%), जल संरक्षण योजनाएं / रिसाव टैंक / रोक बंध (9.3%), झीलें (0.9%) और अन्य (2.5%) हैं।
गणना के अनुसार, 55.2% जल स्रोतों का स्वामित्व निजी संस्थाओं के पास है जबकि 44.8% जल स्रोतों का स्वामित्व सार्वजनिक क्षेत्र के पास है।
सार्वजनिक स्वामित्व वाले जल स्रोतों में से, अधिकतम जल निकायों का स्वामित्व पंचायतों के पास है, इसके बाद राज्य सिंचाई/राज्य जल संसाधन विभाग आते हैं।
निजी स्वामित्व वाले जल स्रोतों में, अधिकतम जल स्रोत व्यक्तिगत स्वामित्व/ किसानों के पास है, जिससे लोगों के समूह और अन्य निजी संस्थाएं आती हैं।
निजी स्वामित्व वाले जल स्रोतों में शीर्ष 5 राज्य पश्चिम बंगाल, असम, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और झारखंड हैं।
उपयोग हो रहे जल स्रोतों में से, सर्वाधिक जल स्रोतों को सिंचाई कार्यों के लिए उपयोग में लाया जाता है उसके बाद जल स्रोतों का सर्वाधिक उपयोग मत्स्य पालन के लिए किया जाता है।
मत्स्य पालन में जल स्रोतों का प्रमुख उपयोग करने वाले शीर्ष 5 राज्य पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश हैं।
सिंचाई के लिए जल स्रोतों का उपयोग करने वाले शीर्ष 5 राज्य झारखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और गुजरात हैं।
गणना के अनुसार कुल जल स्रोतों में से 78% जल स्रोत मानव निर्मित जबकि 22% प्राकृतिक जल स्रोत हैं।
कुल जल स्रोतों में से 1.6% (38,496) जल स्रोतों का अतिक्रमण किया जा चुका है, जिनमें से 95.4% ग्रामीण क्षेत्रों में और शेष 4.6% शहरी क्षेत्रों में हैं।
कुल जल स्रोतों में से, 72.4% जल स्रोतों का जल विस्तार क्षेत्र 0.5 हेक्टेयर से कम तथा 13.4% जल स्रोतों का जल विस्तार क्षेत्र 0.5-1 हेक्टेयर के बीच, 11.1% जल स्रोतों का जल विस्तार क्षेत्र 1-5 हेक्टेयर के बीच और शेष 3.1% जल स्रोतों का जल विस्तारक्षेत्र 5 हेक्टेयर से अधिक है।