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खाद्य सुरक्षा और पोषण सुरक्षा: एक-दूसरे के पूरक

(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: खाद्य सुरक्षा सम्बंधी विषय, भारत में खाद्य प्रसंस्करण एवं सम्बंधित उद्योग)

पृष्ठभूमि

हाल ही में, खाद्य और कृषि संगठन द्वारा ‘खाद्य सुरक्षा तथा पोषण की वैश्विक स्थिति, 2020’ (SOFI) रिपोर्ट जारी की गई, जिसमें भुखमरी, खाद्य असुरक्षा तथा कुपोषण सम्बंधी स्थिति व आँकड़ो का विश्लेषण किया गया है। यह रिपोर्ट संयुक्त रूप से खाद्य और कृषि संगठन (FAO), अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष (IFAD), विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा तैयार की जाती है।

रिपोर्ट का उद्देश्य

  • सतत विकास लक्ष्य- 2030 के संदर्भ में ‘भूख की समस्या’ को समाप्त करने की दिशा में प्रगति, खाद्य सुरक्षा तथा पोषण स्तर में सुधार की सूचना प्रदान करने के साथ-साथ इस लक्ष्य की प्राप्ति में आने वाली चुनौतियों का गहन विश्लेषण प्रदान करना।
  • उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र के 17 सतत विकास लक्ष्यों को वर्ष 2016 से 2030 तक प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है। इन 17 विकास लक्ष्यों में प्रथम ‘गरीबी उन्मूलन’ से, जबकि द्वितीय ‘भुखमरी समाप्त करने’ से सम्बंधित है।
  • इस वर्ष, SOFI 2020 रिपोर्ट में पहली बार एक नए आँकड़े, ‘विश्व में स्वस्थ आहार की लागत एवं सामर्थ्य’ (Cost and Affordability of Healthy Diets Around the World) के विस्तृत विवरण को सम्मिलित किया गया है।

महत्त्व

  • खाद्य और कृषि संगठन के नए विश्लेषण से पता चलता है कि भारत में, अंतर्राष्ट्रीय गरीबी रेखा से भी ऊपर के लाखों लोग स्वस्थ या पौष्टिक आहार ले पाने में असमर्थ हैं। अंतर्राष्ट्रीय गरीबी रेखा $1.90 क्रय शक्ति समता (PPP) प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति है।
  • यह विश्लेषण इस तथ्य की पुष्टि करता है कि भारत में कुपोषण की समस्या काफी हद तक अच्छे व पोषण युक्त आहार को प्राप्त कर पाने की असमर्थता है। साथ ही, कुपोषण का कारण पोषण सम्बंधी जानकारी का अभाव, खाद्य अभिरुचि या खाद्यों से सम्बंधित सांस्कृतिक प्राथमिकताएँ नहीं हैं।

खाद्य पदार्थ और पोषण

  • भारतीय जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा संतुलित आहार का खर्च वहन कर पाने में असमर्थ है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, कुल मिलाकर देखा जाए तो दक्षिण एशिया में करीब 18% लोग पर्याप्त पोषण-युक्त (Nutrient-Adequate Diet) आहार ले पाने में असमर्थ हैं तथा लगभग 58% दक्षिण एशियाई लोग स्वस्थ आहार (Healthy Diet) ले पाने में सक्षम नहीं हैं।
  • पिछले तीन माह के दौरान भारत में, अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत अधिकांश कामगारों के रोज़गार ख़त्म होने और आय में कमी आने के कारण स्वस्थ आहार ले पाने में असमर्थ लोगों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हुई है।

आहार के प्रकार

  • मुख्य रूप से तीन प्रकार के आहार को परिभाषित किया गया है। इसमें आयु के अनुसार ऊर्जा की मात्रा, सूक्ष्म पोषक तत्व व उसके लिये मूल्यमान (Price) को शामिल किया गया है।
  • ऊर्जा-युक्त मूल या आधारभूत आहार (Basic Energy Sufficient Diet): इस आहार में आवश्यक कैलोरी की मात्रा को सबसे सस्ते रुप में उपलब्ध स्टार्चयुक्त अनाजों, जैसे- गेहूँ या चावल के सेवन से पूरी की जाती है। इसके लिये किसी 30 वर्षीय स्वस्थ युवती के लिये 2,329 किलो कैलोरी (Kcal) की आवश्यकता को मानक संदर्भ के रूप में लिया गया है।
  • पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों से युक्त आहार (Nutrient Adequate Diet): इस प्रकार के आहार में, आवश्यक कैलोरी मानक तथा 23 मुख्य व सूक्ष्म पोषक तत्त्व सम्मिलित किये जाते हैं। इस आहार में विभिन्न खाद्य समूहों से न्यूनतम मूल्य वाली खाद्य वस्तुओं को सम्मिलित किया जाता है।
  • स्वस्थ आहार (Healthy Diet): इस प्रकार के आहार में आवश्यक कैलोरी मानक के साथ-साथ मुख्य व सूक्ष्म पोषक तत्त्वों के मानकों को समाहित किया जाता है। इसके अतिरिक्त, विभिन्न प्रकार के खाद्य समूहों से तैयार विविध आहारों को भी इसमें सम्मिलित किया जाता है।
  • स्वस्थ आहार को परिभाषित करना अन्य दो आहारों की तुलना में अधिक जटिल है और एफ.ए.ओ. चयनित देशों के लिये वास्तविक संस्तुतियों का उपयोग करता है।
  • भारत द्वारा की गई संस्तुतियों में छह खाद्य समूहों से वस्तुओं की खपत को शामिल किया गया है। इसमें स्टार्च युक्त अनाज, प्रोटीन युक्त भोजन (जैसे- फलियाँ, मांस और अंडे), डेयरी उत्पाद, सब्जियाँ, फल और वसा को सम्मलित किया गया है।

आहार का मूल्य

  • आहार के प्रत्येक प्रकार के लागत-मूल्य की पहचान लगभग 170 देशों में वस्तुओं की खुदरा मूल्यों के आँकड़ों का उपयोग करते हुए ‘रैखिक कार्यक्रम निर्माण’ तकनीकों द्वारा किया जाता है।
  • दक्षिण एशिया के लिये आहार लागत निष्कर्षों के अनुसार, $ 1.9 प्रतिदिन आय वाला व्यक्ति ऊर्जा-युक्त मूल या आधारभूत आहार को ले पाने में समर्थ है।
  • दूसरा, पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों से युक्त आहार की कीमत $ 2.12 प्रतिदिन है। यह अंतर्राष्ट्रीय गरीबी रेखा से अधिक है। SOFI रिपोर्ट मानती है कि एक व्यक्ति भोजन पर कुल खर्च का 63% से अधिक खर्च नहीं कर सकता है।
  • आहार के तीसरे प्रकार, स्वस्थ आहार की लागत $ 4.07 प्रतिदिन है, जो की अंतर्राष्ट्रीय गरीबी रेखा के दोगुने से भी अधिक है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो स्वस्थ आहार गरीबी रेखा से दोगुने स्तर के लोगों की पहुँच से भी पूरी तरह बाहर है।
  • स्वस्थ आहार में प्रतिदिन 30 ग्राम अनाज, 30 ग्राम दालें, 50 ग्राम मांस/चिकन/मछली के साथ-साथ 50 ग्राम अंडे, 100 ग्राम दूध, 100 ग्राम सब्जियाँ व फल तथा 5 ग्राम तेल सम्मिलित किया जाता है। संक्षेप में कहा जाए तो किसी भी वस्तु की अधिकता के बिना एक संतुलित और स्वस्थ आहार।

आगे की राह

  • वर्ष 2011-12 में तेंदुलकर समिति द्वारा भारत मे गरीबी रेखा को परिभाषित किया गया था। इसके अनुसार, शहरी क्षेत्रों में 33 रु. प्रतिदिन आय वाले तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 27 रु. प्रतिदिन अथवा इससे कम आय वाले लोगों को गरीबी रेखा से नीचे माना गया है। गरीबी रेखा के निर्धारण को पुन: परिभाषित करने की आवश्यकता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय पी.पी.पी. कीमतों पर यह लगभग $1 प्रतिदिन के आस-पास है।
  • भारत को कुपोषण व खाद्य असुरक्षा को समाप्त करने हेतु स्वस्थ आहार लेने की सामर्थ्य सम्बंधी समस्या का भी समाधान करना होगा।
  • खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ भारत को अपनी जनसंख्या की पोषण सुरक्षा के लिये भी प्रयास करना होगा।

निष्कर्ष

इस प्रकार, भारत में जिनको आधिकारिक तौर पर  गरीब माना जाता है, वे पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें पाने में सक्षम नहीं हैं। यहाँ तक ​​कि अंतर्राष्ट्रीय गरीबी रेखा से दोगुनी आय वाले लोग भी स्वस्थ आहार नहीं ले सकते। इस संदर्भ में, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना एक स्वागत योग्य कदम है परंतु कुपोषण की व्यापक और बढ़ती समस्या को दूर करने के लिये अतिरिक्त प्रयास करने की आवश्यकता है।

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