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गनोडर्मा ल्यूसिडम

(प्रारंभिक परीक्षा- भारत एवं विश्व का प्राकृतिक, पर्यावरणीय पारिस्थितिकी)

चर्चा में क्यों 

गैनोडर्मा ल्यूसिडम (Ganoderma lucidum) एक औषधीय मशरूम है। भारत में इसकी संभावनाओं का पता लगाया जा रहा है।

औषधीय गुण
ganoderma-lucidum

  • इस मशरूम के रासायनिक घटक कई औषधीय गुणों को प्रदर्शित करते हैं। इसे ‘अमरता का मशरूम’, ‘आलौकिक औषधि’ और ‘मंगलकारी औषधि’ जैसे उपनाम से भी जानते हैं। विश्व स्तर पर इसे ‘लाल रीशी मशरूम’ भी कहते है।
  • गैनोडर्मा में 400 से अधिक रासायनिक घटक होते हैं, जिनमें ट्राइटरपीन्स, पॉलीसेकेराइड्स, न्यूक्लियोटाइड्स, एल्कलॉइड्स, स्टेरॉयड्स, अमीनो एसिड्स, फैटी एसिड्स और फिनोल शामिल हैं।

उपयोग

  • ये मधुमेह, कैंसर, सूजन, अल्सर, जीवाणु और त्वचा संक्रमण जैसी बीमारियों के उपचार में उपयोगी होने के साथ-साथ हेपेटाइटिस रोधी, ट्यूमर रोधी, रोगाणु रोधी, एच.आई.वी. रोधी, मलेरिया रोधी और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी एवं एंटीऑक्सिडेंट जैसे औषधीय गुणों से युक्त होते हैं।
  • दवाओं के अतिरिक्त इसका उपयोग चाय, कॉफी, ऊर्जा पूरकों, स्वास्थ्य वर्धकों, पेय पदार्थ और एंटी-एजिंग सौंदर्य प्रसाधन जैसे उत्पादों के निर्माण के लिये आधार सामग्री के रूप में भी किया जाता है।

अनुकूल वातावरण

  • सामान्य मशरूम के विपरीत चमकदार लाल-भूरे रंग का यह मशरूम केवल लकड़ी या उसकी सतह पर उगता है। यह बबूल, चिनार, ओक, मेपल, मेलिया, यूकेलिप्टस, हेविया, टेक्टोना और ग्रेविया जैसी चौड़ी पत्ती वाली प्रजातियों पर मुख्य रूप से उगता है।
  • इसके विकास के लिये उष्ण और आर्द्र जलवायु अधिक उपयुक्त होती है। साथ ही, यह उपोष्णकटिबंधीय से लेकर समशीतोष्ण क्षेत्रों के मिश्रित वनों में अधिक तेज़ी से वृद्धि करता है।
  • इस मशरूम की परिपक्वता अवधि विभिन्न स्थितियों के आधार पर लगभग एक माह से लेकर तीन से चार माह तक होती है।
  • इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन चीन, जापान, कोरिया, मलेशिया, थाईलैंड और अमेरिका जैसे देशों तक सीमित है।
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