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महिला गणना के लिए लैंगिक डाटा प्रणाली की आवश्यकता

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं एवं इन वर्गों का संरक्षण)

संदर्भ

प्रभावी रूप से लैंगिक आंकड़े एकत्रित करने और नीतिगत प्रक्रिया में आसानी से उन्हें सम्मिलित करने के लिए यह सुनिश्चित करना होगा कि नीति-निर्माण के प्रत्येक चरण में लैंगिक पहलू को शामिल किया जाए। ये एकीकरण डाटा को लैंगिक समानता की दिशा में सार्थक बदलाव को प्रेरित करने एवं समझ में बदलाव के लिए महत्वपूर्ण हैं

वर्तमान में लैंगिक अंतराल की स्थिति

  • विश्व आर्थिक मंच की वर्ष 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक लैंगिक अंतराल (ग्लोबल जेंडर गैप) का स्कोर 68.5% है। 
  • सतत विकास लक्ष्य (SDG) की निगरानी के लिए आवश्यक लिंग विशिष्ट आयामों (जेंडर-स्पेसिफिक डाइमेंशन) में से केवल 42% ही मौजूदा समय में उपलब्ध है। 
  • आधे से भी कम स्वास्थ्य से जुड़े SDG संकेतकों को लिंग के अनुसार विभाजित किया गया है। 28 संकेतकों में से केवल 11 को पर्याप्त रूप से अलग किया गया है। 

लैंगिक डाटा का महत्व

  • SDG की प्राप्ति में : SDG 5 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लैंगिक आंकड़ों का अत्यधिक महत्व हो जाता है क्योंकि लैंगिक समानता का लक्ष्य 10 दूसरे लक्ष्यों के साथ मिलता है।
    • लिंग आधारित आंकड़े उन प्रमुख क्षेत्रों की पहचान के लिए महत्त्वपूर्ण हैं जहां प्रगति धीमी है और जहां लक्ष्य बनाकर निवेश व परियोजनाओं की आवश्यकता है। 
  • असमानताओं को दूर करने में : इससे लैंगिक समानता और व्यापक SDG एजेंडे की प्रगति तेज़ हो सकती है। यदि प्रभावी रूप से लैंगिक डाटा का प्रयोग असमानताओं को दूर करने में किया जाता है तो आर्थिक लाभ में वृद्धि होगी।
    • उदाहरण के लिए, वंचित महिलाओं तक पहुंचने से प्राप्त होने वाला वार्षिक राजस्व अवसर कीनिया में 352 मिलियन अमेरिकी डॉलर से लेकर बांग्लादेश में लगभग 1 अरब अमेरिकी डॉलर तक है। ये आंकड़ा बेहतर लैंगिक डाटा होने पर महत्वपूर्ण क्षमता के बारे में बताता है।
  • समावेशी निति-निर्माण में : लैंगिक डाटा की कमियों को दूर करना केवल समानता का मुद्दा नहीं है बल्कि ये स्मार्ट अर्थशास्त्र भी है। लिंग को मुख्य धारा में लाना (जेंडर मेनस्ट्रेमिंग) नीतियों के अधिक प्रभावी एवं समावेशी होने को सुनिश्चित करता है। 
    • जेंडर मेनस्ट्रेमिंग का अर्थ नीति-निर्माण के प्रत्येक चरण में लैंगिक पहलू को शामिल करना है।
  • संसाधनों के अधिकतम एवं लक्षित प्रयोग में : जब जेंडर डाटा का प्रयोग नीतिगत निर्णयों में किया जाता है तो ये लक्षित हस्तक्षेप को सक्षम बनाता है जो महिलाओं के समक्ष आने वाली आवश्यकताओं व चुनौतियों का सीधा समाधान करता है।  इससे संसाधनों का अधिक कुशल उपयोग होता है और संपूर्ण रूप से समाज के लिए बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं।
    • उदाहरण के लिए, मैकेंजी के एक अध्ययन के अनुसार, महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी कमियों को दूर करने से वर्ष 2040 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में वार्षिक 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि हो सकती है। 
  • आर्थिक विकास में : लैंगिक रूप से समावेशी आर्थिक नीतियां कामकाजी लोगों (वर्क फोर्स) में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा दे सकती हैं जिससे आर्थिक विकास तेज़ होगा।

लैंगिक डाटा के समक्ष चुनौतियाँ

  • पुराने लैंगिक संकेतक : लिंग विशिष्ट SDG संकेतकों में से तीन-चौथाई से अधिक एक दशक से अधिक पुराने हैं और इन संकेतकों में से 20% से भी कम ऐसे है जिन्हें दोबारा एकत्रित किया गया हैं।
  • संकेतकों पर रिपोर्ट की कमी : संयुक्त राष्ट्र (UN) के एक अध्ययन से पता चलता है कि 14 महत्वपूर्ण संकेतकों पर कोई भी देश रिपोर्ट नहीं देता है। इन संकेतकों में महिलाओं के ख़िलाफ़ यौन अपराध की मौजूदगी और औसत आमदनी व राष्ट्रीय ग़रीबी रेखा के 50% से नीचे पर गुज़र करने वाली महिलाओं का अनुपात शामिल है।
    •  डाटा में इस तरह की कमी महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति एवं अनुभवों के बारे में समझ में बाधक हैं। 
  • डाटा प्रयोग में समस्या : लैंगिक डाटा में खामियों का समाधान करने में मुख्य चुनौती डाटा मूल्य श्रृंखला (डेटा वैल्यू चेन) को समझने और उसमें सुधार लाने की है जहां डाटा निर्माताओं एवं उपयोगकर्ताओं (यूज़र्स) के बीच अत्यधिक दूरी है।
  • डाटा के लिए फंडिंग की कमी : डेटा2X की रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा डाटा की खामियों को भरने के उद्देश्य से मुख्य लैंगिक डाटा प्रणालियों की पर्याप्त फंडिंग के लिए वर्ष 2030 तक 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर के वार्षिक निवेश की आवश्यकता हैये राशि मौजूदा आवंटन से दोगुनी है जो ‘जेंडर डेटा’ के लिए फंडिंग में गंभीर कमी को दर्शाती है।

आगे की राह

  • मज़बूत लैंगिक डाटा प्रणाली एवं डाटा संग्रह की आवश्यकता : लैंगिक डाटा की समस्याओं को दूर करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दानकर्ताओं, सरकारों एवं निजी क्षेत्र के हितधारकों से प्रतिबद्धता की आवश्यकता है ताकि आवश्यक संसाधनों का आवंटन किया जा सके।
    • ये वित्तीय समर्थन मज़बूत लैंगिक डाटा प्रणाली की स्थापना और निरंतर डाटा संग्रह के प्रयासों को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • लिंग प्रतिनिधि मूलक डाटा की आवश्यकता : जेंडर डेटा कलेक्शन की गुणवत्ता एवं आवृत्ति (फ्रीक्वेंसी) में सुधार आवश्यक है। इसमें डाटा संग्रह की प्रक्रिया में पूर्वाग्रहों का समाधान करना शामिल है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि डाटा सटीक ढंग से सभी लिंगों का प्रतिनिधित्व करता है। इस तरह लैंगिक रूप से विशिष्ट मुद्दों की व्यापक समझ मिलती है।
  • संस्थानों के मध्य समन्वय की आवश्यकता : जेंडर डेटा के प्रभावी उपयोग के लिए सरकारों, NGO, निजी क्षेत्र के संस्थानों एवं अंतरराष्ट्रीय संगठनों के बीच सहयोग की आवश्यकता है ताकि सर्वश्रेष्ठ तौर-तरीकों को साझा करने और सामूहिक विशेषज्ञता का लाभ उठाने से लैंगिक डाटा की पहल के प्रभाव को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया जा सके और अधिक समावेशी डाटा संग्रह की पद्धति को बढ़ावा मिल सके।
  • नीति-निर्माण के सभी स्तरों पर लैंगिक पहलुओं को शामिल करना : नीतियों के समावेशी और प्रभावी होने को सुनिश्चित करने के लिए नीतिगत विकास के सभी चरणों में लैंगिक पहलुओं को एकीकृत करना आवश्यक है।
  • निवेश प्रोत्साहन : लैंगिक समानता से होने वाले आर्थिक लाभों को बढ़ावा देने से लैंगिक डाटा पहल में निवेश करने के लिए हितधारकों को प्रेरित किया जा सकता है।

निष्कर्ष

इन कदमों से लैंगिक डाटा में निरंतर कमियों का समाधान कर सकते हैं। लैंगिक डाटा की कमी को दूर करने से अधिक प्रभावी नीति-निर्माण होगा, लैंगिक समानता में महत्वपूर्ण प्रगति को प्रेरित किया जा सकेगा और सभी के लिए एक अधिक न्यायसंगत भविष्य का निर्माण करते हुए व्यापक सामाजिक एवं आर्थिक विकास में योगदान किया जा सकेगा।

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