लिंकोपिंग यूनिवर्सिटी (स्वीडन) के वैज्ञानिको ने पहली बार गोल्डीन नामक पदार्थ विकसित किया है।
गोल्डीन पदार्थ
- इसके बारे में : यह सोने की अत्यंत पतली परत है जो एकल परत ग्रेफाइट परमाणुओं से बना है।
- ग्राफीन की तर्ज़ पर इसे विकसित किया गया है।
- विधि : इसे जापानी लोहारों द्वारा इस्तेमाल की गई 100 साल पुरानी फोर्जिंग विधि से बनाया गया है।
- फोर्जिंग एक धातुकर्म प्रक्रिया है जो धातु प्रसंस्करण द्वारा उल्लिखित वांछित रूप, विन्यास या स्थिति को प्राप्त करने के लिए धातु में हेरफेर, आकार परिवर्तन, विकृत एवं संपीड़ित करती है।
- उपयोग :
- कार्बन डाइऑक्साइड को परिवर्तित करना
- पानी को शुद्ध करना
- संचार प्रौद्योगिकियों में सहायक
- तांबे की तुलना में गर्मी और बिजली का संचालन करने में बहुत सक्षम।
सोना आमतौर पर एक धातु है, लेकिन अगर एकल-परमाणु-परत मोटी हो तो सोना अर्धचालक बन सकता है।
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ग्राफीन:
- ग्राफीन कार्बन परमाणुओं की एकल-परमाणु-मोटी परत है, जो मधुकोश पैटर्न में बंधी होती है।
- ग्राफीन में, प्रत्येक कार्बन परमाणु सहसंयोजक रूप से तीन अन्य कार्बन परमाणुओं से बंधा होता है।
- यह अब तक की सबसे मजबूत सामग्री है, जो स्टील से लगभग 300 गुना अधिक मजबूत है।
उपयोग : इलेक्ट्रॉनिक्स, ऊर्जा भंडारण, सेंसर, कोटिंग्स, कंपोजिट, बायोमेडिकल डिवाइस और कई अन्य क्षेत्रों में किया जा सकता है।
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