New
July Offer: Upto 75% Discount on all UPSC & PCS Courses | Offer Valid : 5 - 12 July 2024 | Call: 9555124124

ग्राम पंचायत प्रशासक के रूप में सरकारी कर्मचारियों की नियुक्ति

(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 : विषय - संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढाँचे से सम्बंधित विषय एवं चुनौतियाँ, स्थानीय स्तर पर शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण और उसकी चुनौतियाँ)

हाल ही में, मुम्बई उच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश में कहा कि महाराष्ट्र में ग्राम पंचायतों के प्रशासक के रूप में स्थानीय प्राधिकरण के सरकारी कर्मचारियों को नियुक्त किया जाए।

प्रमुख बिंदु:

  • कुछ समय पूर्व, महाराष्ट्र सरकार के राज्य ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जारी किये गए ‘सरकारी प्रस्तावों’ (Government Resolutions– GRs) तथा महाराष्ट्र ग्राम पंचायत (संशोधन) अध्यादेश, 2020 के विरोध में मुम्बई उच्च न्यायालय में याचिकाएँ दाख़िल की गई थीं, जिनकी सुनवाई के दौरान न्यायालय ने यह अंतरिम आदेश पारित किया।
  • ग्राम पंचायतों के प्रशासक के रूप में निजी व्यक्तियों की नियुक्ति से सम्बंधित ‘सरकारी प्रस्तावों’ (GRs) तथा अध्यादेश को  विभिन्न आधारों पर चुनौती दी गई थी।
  • ध्यातव्य है कि, याचिकाकर्ताओं ने महाराष्ट्र ग्राम पंचायत अधिनियम की धारा 151 में अभीष्ट संशोधन करने वाले अध्यादेश को भी चुनौती दी थी। विदित है कि इस संशोधन में किसी प्राकृतिक आपदा, महामारी,आपातकाल, वित्तीय आपातकाल या प्रशासकीय आपातकाल के कारण या उस दौरान राज्य चुनाव आयोग (State Election Commission– SEC) द्वारा चुनाव नहीं कराये जाने की स्थिति में प्रशासकों की नियुक्ति का प्रावधान किया गया था।

याचिकाकर्ताओं के तर्क:

  • याचिकाकर्ताओं का कहना है कि निजी प्रशासकों की नियुक्तियाँ विधि-सम्मत नहीं हैं तथा इस प्रकार की नियुक्तियों से स्थानीय प्रशासन तथा उसकी स्वायत्तता पर पर गम्भीर प्रभाव पड़ेगा।
  • याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि, यद्यपि ग्राम पंचायतों में अथवाराज्य तथा स्थानीय प्राधिकरणों के विभिन्न विभागों के अधिकारी, प्रशासक के रूप में नियुक्त किये जा सकते हैंलेकिन सरकार द्वारा यह निर्णय राजनीतिक लाभ की मंशा से लिया गया है।

राज्य सरकार के तर्क:

  • राज्य सरकार ने स्पष्ट कहा है कि, महामारी के कारण राज्य में ग्राम-पंचायतों की निर्वाचन प्रक्रिया बड़े स्तर पर बाधित हुई है इसी वजह से विभिन्न कार्यों को सुचारू रूप से आगे बढ़ाने के लिये पंचायतों का परिचालन आवश्यक है एवं इस कारण प्रशासकों की तत्काल आवश्यकता है।
  • राज्य ने साथ में यह भी कहा कि चूँकि राज्य में ग्राम पंचायतों की संख्या काफी अधिक हैतथा सरकारी कर्मचारियों पर पहले से ही काफी अधिक कार्यभार है, अतः प्रशासक के रूप में इन्हें नियुक्त किया जाना मुश्किल है।

न्यायालय का निर्णय:

  • न्यायालय ने अंतरिम उपाय के रूप मेंआदेश दिया कि एक सरकारी कर्मचारी या स्थानीय प्राधिकारी को अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाना चाहिये।
  • यदि सरकारी कर्मचारी उपलब्ध नहीं हैं तथा निजी व्यक्ति की नियुक्ति की गई है तो उन कारणों को प्रत्येक आदेश में दर्ज किया जायेगा, जिनके कारणयह पता चल सके किअधिकारी उपलब्ध क्योंनहीं था।
  • किसी  मापदंड के रूप में प्रशासकों के लिये ’गाँव का निवासी तथा मतदाता सूची में उनका नाम होना’ ज़रूरी नहीं है।
  • न्यायालय ने यह भी कहा कि किसी प्रशासक के रूप में नियुक्ति के लिये सबसे पहले किसी स्थानीय प्राधिकारी को प्राथमिकता दी जानी चाहिये।

ग्राम पंचायत(Gram Panchayat):

  • ग्राम पंचायत पंचायती राज प्रणाली का हिस्सा हैं जिन्हें 73वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा संवैधानिक दर्जा प्राप्त है।
  • पंचायती राज प्रणाली की यह व्यवस्था लोगों के बीच सहयोग, लोकतांत्रिक भागीदारी और विकेंद्रीकरण को बढाने के उद्देश्य से लाई गई थी।
  • देश में लगभग 2.5 लाख ग्राम पंचायतें (GPs) गांवों में बुनियादी सेवाएँ प्रदान करने और स्थानीय आर्थिक विकास और सुशासन को मज़बूत करने में लगी हुई हैं।

ग्राम सभा(Gram Sabha):

  • ग्राम सभा उन सभी व्यक्तियों का निकाय है, जिनके नाम ग्राम स्तर पर पंचायत की मतदाता सूची में शामिल किये जाते हैं।
  • यह शब्द भारत के संविधान में अनुच्छेद 243 (बी) के तहत परिभाषित किया गया है।
  • गाँव के सभी पात्र मतदाता ग्राम सभा में भाग ले सकते हैं।
  • ग्राम सभा द्वारा लिया गया निर्णय ग्राम सभा के आलावा किसी अन्य निकाय द्वारा निरस्त नहीं किया जा सकता।
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR