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'गुजरात का गरबा' यूनेस्को द्वारा अमूर्त सांस्कृतिक विरासत घोषित

प्रारम्भिक परीक्षा – 'गुजरात का गरबा' यूनेस्को द्वारा अमूर्त सांस्कृतिक विरासत घोषित
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-1 

संदर्भ:

  • 5 से 9 दिसंबर, 2023 तक कसाने, बोत्सवाना में हो रहे अमूर्त सांस्कृतिक विरासत कार्यक्रम में  गुजरात के ‘गरबा’ को यूनेस्को द्वारा मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) घोषित किया गया है। 

Garba-of-gujarat

प्रमुख बिंदु 

  • यह अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए अंतर सरकारी समिति की 18वीं बैठक के दौरान 2003 के कन्वेंशन के प्रावधानों के तहत है।  
  • यूनेस्को 2003 कन्वेंशन के तहत लिस्टिंग तंत्र का उद्देश्य : अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की दृश्यता को बढ़ाना, इसके महत्व के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना और सांस्कृतिक विविधता का सम्मान करने वाले संवाद को बढ़ावा देना है। 
  • भारत वर्ष 2022 से 4 वर्षों के कार्यकाल के लिए ICH 2003 कन्वेंशन की 24 सदस्यीय अंतर-सरकारी समिति (IGC) का सदस्य बना है।
  • इस सूची में गरबा नृत्य शामिल होने वाला भारत का 15वां अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) है। 

गरबा:-

  • यह गुजरात का प्रसिद्ध लोकनृत्य है। इस शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के गर्भ-द्वीप से हुई है। 

विशेषता 

  • इस नृत्य के लिए कम से कम दो सदस्यों का होना अनिवार्य होता है। 
  • यह नृत्य सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इस नृत्य को अश्विन मास की नवरात्रि के समय डांडिया को दो सदस्यों द्वारा आपस में टकराकर प्रस्तुत  किया जाता है।
  • यह नृत्य गुजरात, राजस्थान और मालवा प्रदेशों में मुख्य रूप से प्रचलित है।  वर्तमान में इसे पूरे देश में आधुनिक नृत्यकला का स्थान प्राप्त हो गया है। 
  • इस नृत्य में ताली, चुटकी, खंजरी, डंडा, मंजीरा आदि का ताल देने के लिए प्रयोग किया जाता है।

प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न:- हाल ही में यूनेस्को द्वारा किस नृत्य को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत घोषित किया गया है?

(a)  कथक 

(b)  कुचीपुड़ी

(c)  गरबा 

(d)  सत्रिया 

उत्तर: (c)

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