चर्चा में क्यों ?
- हाल ही में हाउसिंग फाइनेंस कंपनी HDFC लिमिटेड और निजी खुदरा बैंक HDFC बैंक का विलय हुआ है, जिससे यह एक मेगा इकाई बनेगी।
![hdfc](https://www.sanskritiias.com/uploaded_files/images//hdfc.jpg)
बैंक विलय (MERGE) क्या है?
- बैंक विलय एक ऐसी स्थिति है जिसमें 2 बैंक आने वाले समय में एक बैंक बनने और प्रदर्शन करने के लिए अपनी संपत्ति और देनदारियों को साझा करते हैं।
![bank](https://www.sanskritiias.com/uploaded_files/images//bank1.jpg)
विलय के बाद HDFC की वैश्विक स्थिति
- मर्जर के बाद HDFC Bank मार्केट कैप के लिहाज से दुनिया का चौथा सबसे बड़ा बैंक हो जाएगा, इसकी वैल्युएशन लगभग 172 बिलियन डॉलर होगी।
- अन्य तीन बैंक- जेपी मॉर्गन, इंडस्ट्रीयल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना व बैंक ऑफ अमेरिका
- मर्जर के बाद HDFC का कस्टमर बेस 12 करोड़ पर पहुंच गया जो जर्मनी की आबादी से भी ज्यादा है।
- मार्केट कैप के लिहाज से HDFC, SBI और ICICI बैंक से आगे है।
- भारतीय बाजार में यह रिलायंस इंडस्ट्रीज के बाद सबसे मूल्यवान कंपनी होगी।
- यह एक रिवर्स मर्जर की स्थिति है, जिसमें पैरेंट कंपनी HDFC का विलय HDFC Bank में हुआ है। HDFC Bank में HDFC का मर्जर भारतीय कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा ट्रांजैक्शन है जिसकी वैल्यू 40 अरब डॉलर है। इस मर्जर के बाद कम्बाइंड असेट 18 लाख करोड़ रुपए का हो गया है।
बैंकों के विलय की पृष्ठभूमि
- भारत में, बैंक विलय की शुरुआत 1960 के दशक में कमजोर बैंकों को उबारने के साथ-साथ ग्राहक हितों की रक्षा करने के तरीके के रूप में हुई थी।
- हालांकि, उदारीकरण के बाद बैंक विलय का विचार 1998 से प्रारंभ हुआ, जब एम. नरसिम्हम समिति ने सरकार से सिफारिश की थी कि बैंकों को तीन-स्तरीय संरचना में विलय कर दिया जाए -
- शीर्ष पर अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति वाले तीन बड़े बैंक
- आठ से दस राष्ट्रीय बैंक
- बड़ी संख्या में क्षेत्रीय और स्थानीय बैंक।
- 2014 में, पीजे नायक समिति ने सिफारिश की कि सरकार कुछ PSBs का निजीकरण या विलय कर दे।
- सरकार ने 2017 में एसबीआई के पांच सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक (बीएमबी) के एसबीआई के साथ "विलय" को मंजूरी दे दी।
- 2017 में, सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय प्रस्तावों की जांच के लिए वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री के नेतृत्व में एक वैकल्पिक तंत्र पैनल का गठन किया।
विलय का कारण
- प्रदर्शन दक्षता में वृद्धि
- कंपनी के मूल्य में वृद्धि
- वितरित करने के लिए बड़ा कोष
- बड़े बैंकों के गठन से ऋण देने की समस्या का समाधान करने में मदद मिल सकती है, जो दोहरे बैलेंस शीट संकट पर आधारित है
- बाजार में अपनी वृद्धि और विस्तार में विविधता
- वैश्विक स्तर पर प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम
- बड़ा बैंक प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने में अधिक सक्षम
- बड़े बैंक BASEL III मानकों का अनुपालन करने में सक्षम होंगे
बैंक विलय के फायदे और नुकसान?
फायदे
- संचालन की लागत कम होगी।
- अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप- छोटे बैंक दक्षता के स्वीकृत स्तर के साथ नवोन्वेषी उत्पादों और सेवाओं के साथ अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप तैयार हो सकते हैं।
- व्यवसाय का विस्तार- PSB, जो भौगोलिक रूप से केंद्रित हैं, अपनी पहुंच से परे अपने कवरेज का विस्तार कर सकते हैं।
- बाज़ार तक अधिक पहुंच- विलय के बाद प्रत्येक व्यावसायिक इकाई के आकार से सामान्य रूप से भारतीय बैंकिंग प्रणाली और विशेष रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूती मिलने की उम्मीद है
- कुछ व्यवसायों को दिवालिया होने से बचाता है
- वैश्विक बाजार में, भारतीय बैंकों को अधिक पहचान और उच्च रेटिंग प्राप्त होगी।
- केंद्र सरकार पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को बार-बार पुनर्पूंजीकरण करने का बोझ काफी कम हो जाएगा।
- बैंकों की निगरानी और नियंत्रण आसान-विनियामक दृष्टिकोण से, विलय के बाद कम संख्या में बैंकों की निगरानी और नियंत्रण आसान हो जाएगा।
दोष
- जिन बैंकों का विलय हो रहा है, उनसे शीर्ष स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया धीमी होने की आशंका है।
- कुछ सेवाओं की कीमतें बढ़ाता है।
- रोज़गार में कमी की स्थिति।
- बाजार की बढ़ती शक्ति के साथ, बड़े बैंक स्थानीय जरूरतों को नजरअंदाज करते हुए एकाधिकारवादी व्यवहार में संलग्न हो सकते हैं।
- Too Big to Fail की स्थिति बन सकती है।
आगे की राह
- किसी भी उभरती संरचना में कोई महत्वपूर्ण बदलाव करने से पहले, सार्वजनिक बैंक प्रशासन में सुधार किया जाना चाहिए।