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चीन एवं भारत के मध्य उच्चतम व्यापार

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय)


संदर्भ

थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, वित्त वर्ष 2024 में चीन से 100 अरब डॉलर से अधिक आयात होने के साथ चीन दो वर्ष के अंतराल के बाद अमेरिका को पीछे छोड़कर भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है। वित्त वर्ष 2022 एवं वित्त वर्ष 2023 के दौरान भारत का शीर्ष व्यापारिक भागीदार अमेरिका था।

भारत एवं चीन का द्विपक्षीय व्यापार

  • वित्त वर्ष 2024 में चीन के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार 118.4 बिलियन डॉलर पहुँच गया है।
  • वित्त वर्ष 2023 की तुलना में आयात 3.24% बढ़कर 101.7 बिलियन डॉलर और निर्यात 8.7% बढ़कर 16.67 बिलियन डॉलर हो गया है।

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हाल के वर्षों में चीन से आयात में वृद्धि

  • GTRI की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 24 के बीच भारत से चीन को निर्यात लगभग स्थिर रहा है जबकि आयात में लगभग 45% की वृद्धि हुई है।
  • वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 2024 के बीच भारत से चीन को किए जाने वाले निर्यात में 0.6% की मामूली गिरावट देखी गई, जो 16.75 बिलियन डॉलर से घटकर 16.66 बिलियन डॉलर हो गई।
  • इसी अवधि में चीन से होने आयात 44.7% की वृद्धि के साथ 70.32 अरब डॉलर से बढ़कर 101.75 अरब डॉलर हो गया।
  • चीन से भारत में प्रमुख आयात : इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, इंजीनियरिंग सामान, रसायन एवं संबंधित उत्पाद, प्लास्टिक, अन्य विनिर्माण वस्तुएँ व कपड़े।
    • भारत ने 4.2 अरब डॉलर मूल्य के दूरसंचार एवं स्मार्टफोन पार्ट्स का आयात किया, जो इस श्रेणी में कुल आयात का 44% है, जो चीनी घटकों पर महत्वपूर्ण निर्भरता का संकेत देता है।
  • भारत से चीन को प्रमुख निर्यात : इंजीनियरिंग सामान, कृषि एवं संबद्ध उत्पाद, अयस्क व खनिज, रसायन और संबंधित उत्पाद, पेट्रोलियम तथा कच्चे उत्पाद आदि।

चीन के साथ उच्च व्यापार घाटे का कारण

  • भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा वित्त वर्ष 2019 में 53.57 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 85.09 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
  • घरेलू उत्पादन एवं विभिन्न उत्पादों की मांग के बीच अंतर चीन के साथ बढ़ते व्यापार का एक मुख्य कारण है।
  • भारत ज्यादातर कच्चे माल का निर्यात करता है जबकि तैयार माल का आयात करता है।
    • भारत के प्रमुख निर्यात में लौह अयस्क, कपास, तांबा, एल्यूमीनियम एवं हीरे/प्राकृतिक रत्न शामिल हैं।
    • अधिकांश चीनी आयात में मशीनरी, बिजली से संबंधित उपकरण, दूरसंचार उपकरण, जैविक रसायन एवं उर्वरक शामिल हैं।
  • तेजी से उभरते ई.वी. क्षेत्र में भी भारत की चीन पर निर्भरता अधिक है क्योंकि ई.वी. के लिए लिथियम-आयन बैटरी चीन से आयात की जाती है।
  • भारतीय बाजार में चीनी कंपनियों के प्रवेश के साथ भारत के औद्योगिक उत्पाद आयात में चीन की हिस्सेदारी अधिक तेजी से बढ़ेगी।
    • उदाहरण के लिए, अगले कुछ वर्षों में भारत में हर तीसरा इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) और कई यात्री एवं वाणिज्यिक वाहन भारत में ही स्थापित चीनी फर्मों द्वारा या भारतीय फर्मों के साथ संयुक्त उद्यम के माध्यम से बने हो सकते हैं।
  • भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग चीन से ए.पी.आई. (API) पर अत्यधिक निर्भर (~68%) है।

चीन के साथ बढ़ते व्यापार घाटे के रणनीतिक निहितार्थ

  • चीन के साथ भारत के व्यापारिक संबंध बड़े पैमाने पर पड़ोसी देश के महत्वपूर्ण उत्पादों पर भारत की निर्भरता के कारण जांच के दायरे में रहे हैं।
    • इन उत्पादों में टेलीकॉम एवं स्मार्टफोन पार्ट्स, फार्मा, उन्नत प्रौद्योगिकी घटक शामिल हैं।
    • चीन मशीनरी, रसायन, फार्मास्यूटिकल्स एवं कपड़ा सहित आठ प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों में शीर्ष आपूर्तिकर्ता है।
  • चीन जैसे प्रतिद्वंदी पर इस निर्भरता के गहरे रणनीतिक निहितार्थ हैं, जो न केवल भारत पर आर्थिक प्रभाव रखते हैं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा आयामों को भी प्रभावित करते हैं।
  • हालाँकि, भारत ने उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं (PLI), एंटी-डंपिंग ड्यूटी के साथ-साथ गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों के माध्यम से चीन पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए महत्वपूर्ण उपाय किए हैं।

भारत के अन्य प्रमुख व्यापारिक भागीदार

संयुक्त राज्य अमेरिका

  • GTRI की रिपोर्ट के अनुसार, विगत वित्तीय वर्ष की तुलना में निर्यात 1.32% घटकर 77.5 बिलियन डॉलर होने के बाद वित्त वर्ष 2024 में भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार 118.3 बिलियन डॉलर पर आ गया।
    • इस दौरान आयात भी 20% कम होकर 40.8 अरब डॉलर हो गया है।
  • विगत पांच वर्षों के दौरान अमेरिका के साथ व्यापार में सकारात्मक वृद्धि देखी गई है, निर्यात में 47.9% की उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जो 52.41 बिलियन डॉलर से बढ़कर 77.52 बिलियन डॉलर हो गया।
    • अमेरिका से आयात 14.7% बढ़कर 35.55 अरब डॉलर से 40.78 अरब डॉलर हो गया।
    • इसके परिणामस्वरूप भारत के लिए व्यापार अधिशेष का विस्तार हुआ, जो 16.86 बिलियन डॉलर से बढ़कर 36.74 बिलियन डॉलर हो गया।

संयुक्त अरब अमीरात

  • भारत-यूएई द्विपक्षीय व्यापार में भी उल्लेखनीय परिवर्तन देखे गए हैं।
    • भारत से यूएई को किए गए निर्यात में 18.3% की वृद्धि हुई है और कुल निर्यात बढ़कर 35.63 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
    • यूएई से आयात में 61.2% वृद्धि हुई है और यह बढ़कर 48.02 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
  • द्विपक्षीय व्यापार में इस बदलाव ने वित्त वर्ष 2019 में 0.34 अरब अमेरिकी डॉलर के अल्प व्यापार अधिशेष को वित्त वर्ष 2024 तक 12.39 अरब अमेरिकी डॉलर के व्यापार घाटे में बदल दिया है।

रूस

  • रूस के साथ व्यापार के आंकड़ों में अप्रत्याशित वृद्धि देखी गई है। रूस के साथ भारत का व्यापार घाटा 3.45 अरब डॉलर से बढ़कर 57.18 अरब डॉलर हो गया है।
  • निर्यात 78.3% बढ़कर $4.26 बिलियन हो गया, जबकि आयात 952% बढ़कर 5.84 अरब डॉलर से 61.44 अरब डॉलर हो गया।
  • रूस से आयात मूल्य में कुल वृद्धि का मुख्य कारण कच्चे तेल का आयात है।

सऊदी अरब

  • सऊदी अरब का निर्यात 107.9% की वृद्धि के साथ 5.56 बिलियन अमेरिकी डॉलर से लगभग दोगुना से अधिक 11.56 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
  • आयात में भी 11.7% की वृद्धि हुई है और यह 28.48 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 31.81 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
  • इससे व्यापार घाटा 22.92 बिलियन अमेरिकी डॉलर से थोड़ा कम होकर 20.25 बिलियन अमेरिकी डॉलर हुआ।
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