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समग्र शिक्षा योजना

(प्रारंभिक परीक्षा- समावेशन, जनसांख्यिकी, सामाजिक क्षेत्र में की गई पहल आदि)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र व सेवाओं के विकास तथा प्रबंधन से संबंधित विषय, सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय)

संदर्भ 

हाल ही में, प्रधानमंत्री की अध्‍यक्षता वाली आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने ‘संशोधित समग्र शिक्षा योजना’ (समग्र शिक्षा योजना 2.0) को पाँच वर्षों की अवधि ( 2021-22 से 2025-26) तक जारी रखने को मंजूरी दी है। 

पृष्ठभूमि

  • केंद्रीय बजट 2018-19 में पूर्व-प्राथमिक से बारहवीं कक्षा तक को ‘समग्र रूप से और बिना विभाजन’ के ‘स्कूली शिक्षा’ माना गया। 
  • इस संदर्भ में ‘सर्व शिक्षा अभियान’, ‘राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान’ और ‘शिक्षक शिक्षा’ की पूर्ववर्ती केंद्र प्रायोजित योजनाओं को मिलाकर स्कूली शिक्षा के लिये वर्ष 2018 में एक एकीकृत योजना ‘समग्र शिक्षा’ की शुरूआत की गई। 
  • वर्तमान में इसका दूसरा चरण प्रारंभ किया गया है। इसका कुल वित्तीय परिव्यय 2,94,283.04 करोड़ रुपए है जिसमें 1,85,398.32 करोड़ रुपए का केंद्रीय हिस्सा शामिल है।

लाभ

  • इस योजना में 11 लाख 60 हजार विद्यालय, 15 करोड़ 60 लाख से अधिक छात्र और सरकार व सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों के 57 लाख शिक्षक (पूर्व-प्राथमिक से उच्च माध्यमिक स्तर तक) शामिल हैं।
  • साथ ही, इसको ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020’ की सिफारिशों के साथ भी जोड़ा गया है, जिससे सभी बच्चों को ‘एक समान और समावेशी कक्षा’ के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच सुनिश्चित हो सके। इसमें उनकी विविध पृष्ठभूमि, बहुभाषी आवश्यकताओं, विभिन्न शैक्षणिक योग्यताओं का भी ध्यान रखा गया है, जो छात्रों को सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार भी बनाए।
  • यह योजना स्कूली शिक्षा की निरंतरता को आवश्यक मानती है, जो शिक्षा के लिये सतत विकास लक्ष्य (SDG-4) के अनुरूप है। यह योजना शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम के कार्यान्वयन में सहायक है। 

विवरण

  • समग्र शिक्षा योजना स्कूली शिक्षा के लिये एक एकीकृत योजना है, जिसमें पूर्व-प्राथमिक से लेकर बारहवीं कक्षा तक के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है। 
  • इस योजना के तहत प्रस्तावित स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर प्रमुख सुधार इस प्रकार हैं-
  1. बुनियादी ढाँचे के विकास सहित (Retention) सार्वभौमिक पहुँच
  2. मूलभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान
  3. लिंग व समानता तथा समावेशी शिक्षा
  4. गुणवत्ता और नवाचार
  5. शिक्षक वेतन के लिये वित्तीय सहायता
  6. डिजिटल पहल व व्यावसायिक शिक्षा
  7. यूनिफार्म व पाठ्यपुस्तकों सहित शिक्षा के अधिकार में सहायता
  8. 'प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा' के लिये सहायता
  9. खेल और शारीरिक शिक्षा
  10. शिक्षक शिक्षा और प्रशिक्षण को मज़बूत करना 
  11. निगरानी व कार्यक्रम प्रबंधन तथा राष्ट्रीय घटक।
  • योजना की प्रत्यक्ष पहुँच को बढ़ाने के लिये सभी बाल केंद्रित हस्तक्षेप एक निश्चित समयावधि में आई.टी. आधारित प्लेटफॉर्म पर प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से सीधे छात्रों को प्रदान किये जाएँगे।
  • व्यावसायिक शिक्षा का विस्तार कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय तथा  वित्तपोषण प्रदान करने वाले अन्य मंत्रालयों के साथ मिलकर किया जाएगा। 
  • स्कूल जाने वाले बच्चों के साथ स्कूल से बाहर रह गए बच्चों के लिये भी सुविधाओं का उपयोग सुनिश्चित करने के लिये स्कूलों, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (ITI) और पॉलिटेक्निकों के मौजूदा बुनियादी ढाँचे का उपयोग किया जाएगा।
  • आँगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के कुशल प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण और 'प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा' के लिये सेवाकालीन शिक्षक प्रशिक्षण का प्रावधान किया गया है।
  • सरकारी स्कूलों में पूर्व-प्राथमिक वर्गों के लिये शिक्षण अधिगम सामग्री, स्वदेशी खिलौने और खेल, खेल आधारित गतिविधियों के लिये प्रति बालक/बालिका 500 रुपए तक का प्रावधान है।
  • निपुण भारत, जोकि मौलिक साक्षरता और संख्या ज्ञान के लिये एक राष्ट्रीय मिशन है, को प्रत्येक बच्चे को कक्षा ग्रेड-III और ग्रेड-V के बीच पढ़ने, लिखने और अंकगणित में वांछित अधिगम (Learning) क्षमता प्राप्त करने के लिये शुरू किया गया है।
  • माध्यमिक व प्राथमिक शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिये राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की योजना ‘निष्ठा’ (NISHTHA) के तहत विशिष्ट प्रशिक्षण मॉड्यूल की व्यवस्था की गई है।
  • पूर्व–प्राथमिक से उच्चतर माध्यमिक तक के स्कूलों के बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करना, जबकि इससे पूर्व तक पूर्व-प्राथमिक को इससे बाहर रखा गया था।
  • सभी बालिका छात्रावासों में भस्मक (इनसिनेरेटर- Incinerator) और सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने वाली वेंडिंग मशीनें लगाना तथा सभी वर्तमान सीनियर सेकेंडरी विद्यालयों में नए स्ट्रीम की बजाय नए विषयों को जोड़ने पर बल देना।
  • स्कूली शिक्षा से बाहर 16 से 19 वर्ष की आयु के बच्चों को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान (NIOS) और राज्य मुक्त विद्यालय (SOS) के माध्यम से माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक स्तर की शिक्षा के लिये अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, दिव्यांग बच्चों को प्रति कक्षा 2,000 रुपए तक की सहायता प्रदान की जाएगी।
  • राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग को राज्य में बाल अधिकारों और सुरक्षा के संरक्षण के लिये 50 रुपए प्रति प्राथमिक विद्यालय के हिसाब से वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
  • ‘समग्र प्रगति कार्ड’ (Holistic Progress Card: HPC) के रूप में प्रत्येक शिक्षार्थी की प्रगति को दर्शाया जाएगा। एक राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र- ‘परख’ (प्रदर्शन, आकलन, समीक्षा और समग्र विकास के लिये ज्ञान का विश्लेषण) की गतिविधियों के लिये सहायता दी जाएगी।
  • यदि किसी स्कूल के कम से कम 2 छात्र राष्ट्रीय स्तर पर ‘खेलो इंडिया’ स्कूल खेलों में पदक जीतते हैं तो उसे 25,000 हजार रुपए तक का अतिरिक्त खेल अनुदान दिया जाएगा।
  • बस्ता रहित (बैगलेस), स्कूल परिसरों में स्थानीय हस्त शिल्पियों के साथ हुनर को सीखना (इंटर्नशिप), पाठ्यक्रम और शैक्षणिक सुधार आदि के प्रावधान भी इसमें शामिल हैं।
  • इस योजना में भाषा शिक्षक की नियुक्ति और सभी कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों को बारहवीं कक्षा तक करने का भी प्रस्ताव है। आत्मरक्षा कौशल विकसित करने के लिये 'रानी लक्ष्मीबाई आत्मरक्षा संरक्षण' के तहत 3 महीने का प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता में वृद्धि का भी प्रावधान किया जाएगा।
  • विशेष देखभाल की जरुरत वाली बालिकाओं के लिये अलग से छात्रवृत्ति, वार्षिक पहचान शिविरों और पुनर्वास व विशेष प्रशिक्षण का प्रावधान है। ‘राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद’ (SCERT) और 31 मार्च, 2020 तक निर्मित जिलों में नए जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) की स्थापना का भी प्रावधान है।
  • पूर्व-प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के लिये भी ‘प्रखंड संसाधन केंद्र’ (BRCs) और ‘चक्रीय अतिरिक्तता जाँच’ (CRCs) के अकादमिक समर्थन में वृद्धि की गई है। साथ ही, स्कूली शिक्षा को व्यावसायिक और जीविका-प्रधान बनाने पर भी जोर दिया जा रहा है। 
  • डिजिटल बोर्ड, स्मार्ट क्लासरूम, वर्चुअल क्लासरूम और डी.टी.एच. चैनलों के प्रसारण के लिये सहायता सहित सूचना संवाद और प्रशिक्षण प्रयोगशाला व स्कूली छात्रों के चाइल्ड ट्रैकिंग का भी प्रावधान है।

कार्यान्वयन रणनीति

  • इस योजना को राज्य स्तर पर एक ‘एकल राज्य कार्यान्वयन समिति’ के माध्यम से केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में लागू किया गया है। राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली एक शासी परिषद और सचिव की अध्यक्षता वाले परियोजना अनुमोदन बोर्ड का गठन किया गया है। 
  • शासी परिषद को वित्तीय और कार्यक्रम संबंधी मानदंडों को संशोधित करने व कार्यान्वयन के लिये विस्तृत दिशानिर्देशों को स्वीकृति देने में सक्षम बनाया जाएगा। इन संशोधनों में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिये नवाचारों और हस्तक्षेपों को शामिल किया जाएगा।
  • योजना की प्रत्यक्ष पहुंच बढ़ाने के लिये बच्चों पर केंद्रित सभी पहलों का लाभ एक निश्चित समयसीमा के भीतर आई.टी. आधारित प्लेटफॉर्म पर डी.बी.टी. के माध्यम से सीधे विद्यार्थियों को उपलब्ध कराया जाएगा।
  • एन.ई.पी. 2020 के अनुरूप इसमें विद्यार्थियों को कौशल प्रदान करने पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

मुख्य प्रभाव 

  • इस योजना का उद्देश्य स्कूली शिक्षा की समान पहुंच, वंचित व कमजोर वर्गों के समावेशन से समानता को प्रोत्साहन और स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है। योजना के प्रमुख उद्देश्यों में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निम्नलिखित बिंदुओं पर सहयोग प्रदान किया जाएगा।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों को लागू करना
  • नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 को लागू करना
  • प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा तथा मूलभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान पर जोर
  • विद्यार्थियों को 21वीं सदी के कौशल प्रदान करने के लिये समग्र, एकीकृत, समावेशी और गतिविधि आधारित पाठ्यक्रम व अध्यापन पर जोर
  • गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का प्रावधान और विद्यार्थियों के लिये शिक्षा परिणाम में वृद्धि
  • स्कूली शिक्षा में सामाजिक और लैंगिक अंतर को दूर करना तथा सभी स्तरों पर समानता और समावेशन सुनिश्चित करना
  • शिक्षक प्रशिक्षण के लिये नोडल एजेंसी के रूप में स्टेट काउंसिल्स फॉर एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग व स्टेट इंस्टीट्यूट्स ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग को मज़बूत बनाना
  • शिक्षा के लिये सुरक्षित और अनुकूल वातावरण सुनिश्चित करना तथा व्यावसायिक शिक्षा को प्रोत्साहन देना।
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