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हाइपरसोनिक हथियार एवं प्रतिरोधक क्षमता

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : आईटी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियाँ एवं उनका प्रबंधन- संगठित अपराध और आतंकवाद के बीच संबंध)

संदर्भ 

वर्तमान में वैश्विक स्तर पर हाइपरसोनिक हथियारों का प्रसार बढ़ रहा है। रक्षा प्रणाली में इनके बढ़ते प्रभाव को देखते हुए भारत को भी अपने हाइपरसोनिक कार्यक्रम को गति प्रदान करने और हाइपरसोनिक हथियारों के खिलाफ़ अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने की आवश्यकता है।

क्या हैं हाइपरसोनिक हथियार 

  • हाइपरसोनिक हथियारों की गति ‘मैक 5’ से अधिक अर्थात ध्वनि की चाल (330 मीटर/सेकेंड) से पांच गुना ज्यादा होती हैं।
  • हाइपरसोनिक हथियार दो तरह के होते हैं : 
    • हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल्स (HGVs) : इन्हें सामान्य बैलिस्टिक मिसाइल्स की तरह रॉकेट से ही दागा जा सकता है।
    • हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल्स : ये मिसाइल्स अपना लक्ष्य हासिल करने के बाद अपनी पूरी उड़ान के दौरान एयर ब्रीथिंग इंजन (स्क्रैमजेट इंजन) से संचालित होती है।
  • हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल कम ऊंचाई (प्राय: 200 फीट) पर उड़ान भर सकती हैं और इनमें अपनी गति बढ़ाने व परिवर्तनशीलता बढ़ाने की क्षमता भी होती है। इसके कारण हाइपरसोनिक हथियार ज़्यादातर पारंपरिक सुरक्षा प्रणालियों को चकमा दे सकते हैं और इन हथियारों का पता लगा पाना भी काफी मुश्किल होता है।
    • उदाहरण के लिए जो रडार एक ही जगह स्थापित हैं, वह हाइपरसोनिक हथियारों को इनकी पूरी उड़ान के दौरान पकड़ने में अक्षम होती हैं।
  • हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल पारंपरिक एवं परमाणु दोनों तरह के हथियारों ले जाने में सक्षम हैं।

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वैश्विक स्तर पर हाइपरसोनिक हथियारों की प्रगति

  • ऑस्ट्रेलिया, भारत, फ्रांस, जर्मनी, दक्षिण कोरिया, उत्तरी कोरिया एवं जापान सहित कई देश हाइपरसोनिक हथियार तकनीक के विकास पर कार्यरत हैं। 
  • इस क्षेत्र में सर्वाधिक प्रगति अमेरिका, चीन एवं रूस ने की है :
    • अमेरिका ने वर्ष 2001 में स्वयं को एंटी बैलिस्टिक मिसाइल संधि से अलग कर लिया था। इससे चीन एवं रूस के लिए भी सुरक्षा को लेकर चिंताजनक स्थिति बन गई है।

विभिन्न देशों के हाइपरसोनिक हथियार कार्यक्रम 

अमेरिका 

  • कन्वेंशनल प्रॉप्ट स्ट्राइक (CPS)
  • हाइपरसोनिक एयर लॉन्च्ड ऑफेंसिव एंटी सरफेस वॉरफेयर (HALO)      
  • हाइपरसोनिक अटैक क्रूज़ मिसाइल (HCAM)
  • लॉन्ग रेंज हाइपरसोनिक वेपन (LHRW) या डार्क ईगल
  • टेक्टिकल बूस्ट गाइड (TBG)
  • हाइपरसोनिक एयर ब्रीथिंग वेपन कॉन्सेप्ट (HAWC)   

चीन

  • DF-17 : मध्यम रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल 
  • DF-41 : एक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल 
  • DF-ZF : एक हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल्स 
  • स्टारी स्काई-2 (या ज़िंग कॉन्ग-2) : परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइल का प्रोटोटाइप 

रूस 

  • एवांगार्ड : एक हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल
  • 3M22 जिरकॉन : पानी के जहाज से लॉन्च की जा सकने वाली हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल 
  • किंजल : हवा से लॉन्च की जा सकने वाली बैलिस्टिग मिसाइल 

भारत की प्रगति

  • ब्रह्मोस एयरोस्पेस, ब्रह्मोस-II मिसाइल निर्माण पर कार्यरत है। इसे रूस की 3M22 जिरकॉन मिसाइल की तर्ज पर निर्मित किया जा रहा है और वर्ष 2028 तक सेना में शामिल करने का लक्ष्य है।
  • इसी के समानांतर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) भी वर्ष 2008 से हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) के विकास पर कार्यरत है।
    • ये 20 किमी. की उंचाई तक पहुंचने के लिए स्क्रैमजेट का इस्तेमाल करता है और इसकी गति ‘मैक 6’ तक हो सकती है। HSTDV का पहला सफल परीक्षण जून 2019 में किया गया। इसके बाद सितंबर 2020 में 30 किमी की ऊंचाई और मैक 6 स्पीड में इसका सफल डेमोंस्ट्रेशन किया गया और इसका आखिरी परीक्षण 27 जनवरी 2023 में किया गया।
    •  रूस, अमेरिका एवं चीन के बाद भारत हाइपरसोनिक क्षमता का परीक्षण करने वाला चौथा देश है।
  • भारत की ‘शौर्य’ एवं ‘सागरिका’ मिसाइल भी हाइपरसोनिक स्पीड तक जा सकती हैं किंतु इनकी अन्य विशेषताएं बैलिस्टिक मिसाइल जैसी हैं, जिसके कारण इन्हें हाइपरसोनिक हथियारों की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है।
  • फरवरी 2024 में आईआईटी कानपुर ने भारत की पहली हाइपरसोनिक परीक्षण सुविधा की शुरूआत की है, इस परीक्षण प्लेटफ़ॉर्म पर क्रूज़ मिसाइल्स को 10 किमी/सेकेंड की रफ्तार पर टेस्ट किया जा सकता है।

हाइपरसोनिक प्रतिरोधक क्षमता की आवश्यकता

  • नई सुरक्षा चुनौती : पारंपरिक सुरक्षा प्रणालियों से हाइपरसोनिक हथियारों का पता लगा पाना और उन्हें पकड़ पाना बहुत मुश्किल है। हाइपरसोनिक हथियारों की यह विशेषता इन्हें सबसे ख़तरनाक शस्त्र बनाती है जो सुरक्षा के लिए चुनौती है। 
  • वैश्विक स्तर पर विकास : अमेरिका ने समुद्र आधारित टर्निमल (SBT) क्षमता से लैस एजिस पोतों का निर्माण किया है, इसी तरह अन्य देश भी अपनी क्षमता को बढ़ा रहे है। इसलिए हाइपरसोनिक हथियारों के बढ़ते ख़तरों से बचाव के लिए ऐसी सुरक्षा प्रणालियां निर्मित करना आवश्यक है, जो हाइपरसोनिक हथियार के ख़तरे को कम कर सकने में सक्षम हो।
  • चीन से खतरा : चीन से बढ़ते ख़तरे और हाइपरसोनिक हथियारों के मामले में चीन की प्रगति को देखते हुए भारत के लिए भी यह ज़रूरी है कि वो ना सिर्फ हाइपरसोनिक हथियार बनाए बल्कि इन हथियारों के ख़िलाफ अपनी प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाए।
  • भविष्य की चिंता : भविष्य में होने वाले युद्धों में हाइपरसोनिक हथियार अहम भूमिका निभा सकते हैं। गति एवं परिवर्तनशीलता के कारण इनका पता लगना मुश्किल होता है, इसलिए सुरक्षा कवच के रूप में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाना चाहिए।

बैलिस्टिक मिसाइल एवं हाइपरसोनिक हथियारों में अंतर

  • बैलिस्टिक मिसाइल का आकार बड़ा होता है जबकि क्रूज मिसाइल का आकार छोटा होता है।
  • बैलिस्टिक अपने साथ बड़े एवं वजनदार बमों या विस्‍फोटकों को ले जा सकती है जबकि क्रूज बहुत ही कम वजन के बम या युद्धशीर्ष ले जाने में सक्षम होती है।
  • बैलिस्टिक पृथ्वी से अधिक ऊंचाई पर होती हैइस कारण इसे रडार से छुपाना आसान नहीं होता है। क्रूज मिसाइल पृथ्वी की सतह से लगभग 15 से 20 मीटर की ऊंचाई पर चलती है, इसलिए इसे रडार से बचाया जा सकता है।
  • बैलिस्टिक मिसाइल अर्धचंद्राकार मार्ग (परवलयाकार प्रक्षेप पथ) पर चलकर अपने लक्ष्‍य को भेदती है, वहीं क्रूज मिसाइल पृथ्वी के समांतर चल कर लक्ष्य को भेदती हैं। 

मिसाइल का वर्गीकरण

  • प्रकार (Type) के आधार पर मिसाइल दो प्रकार की होती हैं : बैलिस्टिक मिसाइल (Ballistic Missile) एवं क्रूज मिसाइल (Cruise Missile)। 
  • बैलिस्टिक मिसाइल के प्रमुख प्रकार : 
    • शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल : मारक क्षमता 300 से 1,000 किमी. तक
    • मीडियम रेंज बैलिस्टिक मिसाइल : मारक क्षमता 1,000 से 3,500 किमी. तक
    • इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल : मारक क्षमता 3,500 से 5,500 किमी. तक
    • इंटर कॉन्टिनेंटल रेंज बैलिस्टिक मिसाइल : मारक क्षमता 5,500 किमी. से अधिक 
  • भारतीय रक्षा सेवा में संचालित प्रमुख बैलिस्टिक मिसाइल : पृथ्वी I, पृथ्वी II, अग्नि I, अग्नि II, धनुष इत्यादि। 
  • क्रूज मिसाइलों का लक्ष्य पूर्व निर्धारित होता है लेकिन इसे पथ के दौरान नियंत्रित किया जा सकता है। क्रूज मिसाइल के प्रमुख प्रकार :
    • सब्सोनिक मिसाइल : गति लगभग 0.8 मैक से कम होती हैं। उदाहरण : अमेरिका की टॉमहॉक एवं हार्पून, फ्रांस की एक्सोसेट।  
    • सुपरसोनिक मिसाइल : गति लगभग 2 से 3 मैक तक होती है। उदाहरण : ब्रह्मोस 
    • हाइपरसोनिक मिसाइल : गति 5 मैक या उससे अधिक तक होती है। उदाहरण : ब्रह्मोस- II
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