New
July Offer: Upto 75% Discount on all UPSC & PCS Courses | Offer Valid : 5 - 12 July 2024 | Call: 9555124124

सरिस्का बाघ अभ्यारण्य में अवैध खनन

संदर्भ 

सर्वोच्च न्यायलय ने राजस्थान सरकार को सरिस्का अभ्यारण्य के महत्वपूर्ण बाघ आवास (Critical Tiger Habitat) के एक किलोमीटर के दायरे में चल रही 68 खदानों को बंद करने का आदेश दिया है। यह वन्यजीव एवं पर्यावरण संरक्षण कानूनों के उल्लंघन में अवैध खनन को रोकने के लिए चल रहे प्रयास का हिस्सा है।

सरिस्का बाघ अभ्यारण्य में अवैध खनन 

  • सरिस्का क्षेत्र में 500 से अधिक खदानें हैं। सरिस्का के आसपास की खदानों से संगमरमर, डोलोमाइट एवं चूना पत्थर प्राप्त होता है। 
  • तीनों खनिजों के खनन के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी की आवश्यकता होती है किंतु किसी भी खदान के लिए पट्टे देने से पहले यह मंजूरी कभी नहीं ली गई, जिससे ये अवैध हो गईं। 
  • इसके अलावा, सभी खदान मालिकों को एक पर्यावरण प्रबंधन योजना प्रस्तुत करना आवश्यक है किंतु किसी ने भी ऐसा नहीं किया।

कौन से कानून बाघ अभयारण्य में उत्खनन को प्रतिबंधित करते हैं

  • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 बाघ अभयारण्य में तथा उसके आसपास उत्खनन को प्रतिबंधित करते हैं।
  • सर्वोच्च न्यायलय ने 26 अप्रैल, 2023 को सभी संरक्षित क्षेत्रों से एक किलोमीटर के दायरे में खनन गतिविधियों पर रोक लगा दी थी।

सरिस्का में अवैध खनन से संबंधित सर्वोच्च न्यायालय के आदेश

  • सर्वोच्च न्यायलय ने वर्ष 1991 में सरिस्का के संरक्षित क्षेत्र में खनन कार्यों को रोकने के लिए एक अंतरिम आदेश जारी किया था। इस आदेश के बाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एमएल जैन की अध्यक्षता में एक तथ्य-खोज समिति गठित की थी।
  • अप्रैल 1993 में संरक्षित क्षेत्रों के भीतर 262 खदानों को बंद कर दिया गया था। वर्ष 2005 में अस्थायी खनन परमिट जारी करने के नियम बनाए गए । 2006 में जमुआ रामगढ़ अभयारण्य के आसपास एक किलोमीटर का सुरक्षा क्षेत्र लागू किया गया। 
  • 2010 के दशक में सर्वोच्च न्यायलय ने राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों के आसपास पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्रों (ESZ) की अधिसूचना में तेजी लाने के लिए हस्तक्षेप किया। 
  • सर्वोच्च न्यायलय ने वर्ष 2022 और वर्ष 2023 में ESZ के संबंध में अपने आदेशों को संशोधित किया, जिसमें विशेष रूप से राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों के एक किलोमीटर के भीतर खनन गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
SARISKA

सरिस्का बाघ अभयारण्य के बारे में 

  • यह राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है। 
  • वर्ष 1955 में इसे वन्यजीव आरक्षित भूमि घोषित किया गया था। 
  • वर्ष 1978 में इसे बाघ रिजर्व का दर्जा दिया गया। 
  • सरिस्का बाघ अभयारण्य में बाघ, चीत्ता, तेंदुआ, जंगली बिल्ली, कैरकल, धारीदार बिज्जू, सियार स्वर्ण, चीतल, साभर, नीलगाय, चिंकारा, चार सींग वाला मृग, जंगली सुअर, खरगोश, लंगूर व पक्षी प्रजातियों और सरीसृप के बहुत सारे वन्य जीव मिलते है।

अवैध खनन को संबोधित करने में मुख्य चुनौतियाँ 

  • किसी भी अभयारण्य या रिजर्व की सीमाओं के बारे में अनिश्चितताएँ अवैध खननकर्ताओं को कानूनी खामियों के दुरूपयोग की अनुमति देती हैं। 
  • वन सीमाओं के सीमांकन और अभिलेखों में विसंगतियों के मुद्दे प्रवर्तन व रोकथाम प्रयासों को अधिक जटिल बना देते है। 
  • राज्य सरकार एवं प्रशासन का स्थानीय खनन माफिया के साथ गठजोड़ अवैध खनन की प्रमुख चुनौती बना हुआ है। साथ ही, नौकरशाही की अयोग्यता और राजनीतिक लालसा को भी दोषी ठहराया जा सकता है। 
  • कानून को लागू करने में राज्य अधिकारियों की उदासीनता ने अवैध खनन को पनपने दिया है। 
  • सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी कई राज्य सरकारों ने इस विषय पर कोई कार्यवाही नहीं की।
  • अवैध खनन आजीविका से निकटता से जुड़ा होने के कारण भी स्थानीय समुदाय व मजदूर वर्ग कानून का उल्लंघन करते हैं।

अवैध खनन के प्रभाव  

  • स्थानीय समुदाय के अधिकारों का हनन : अवैध खनन से स्थानीय समुदाय के अधिकारों का हनन होता है। 
    • उदहारण के लिए, सरिस्का में स्थानीय समुदायों ने अवैध खनन कार्यों को रोकने के लिए वन सीमाओं के सीमांकन की माँग की है। 
    • अस्पष्ट सीमाएँ अवैध खदानों को कागज़ पर कानूनी रूप से संचालित करने की अनुमति देती हैं, जबकि राजस्व गाँवों को मनमाने ढंग से बाघ अभयारण्य में शामिल किया जाता है।
  • जल गुणवत्ता में गिरावट : रेत के निष्कर्षण से जल स्तर में समस्या हो सकती है और भूजल में कमी आ सकती है। इसके अतिरिक्त, आस-पास के जल निकायों के प्रदूषण से जलीय जीवन एवं मानव स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।
  • आवास विनाश : अवैध रेत खनन में अक्सर ड्रेजिंग या उत्खनन शामिल होता है जो विभिन्न पौधों और जानवरों के लिए महत्वपूर्ण आवासों को नष्ट कर देता है। यह कई प्रजातियों की संख्या में गिरावट या विलुप्ति का कारण बन सकता है।
  • जैव विविधता का नुकसान : अवैध रेत खनन के कारण आवासों के विनाश से जैव विविधता का नुकसान हो सकता है, जिससे पारितंत्र का संतुलन प्रभावित हो सकता है और समग्र पारिस्थितिकी तंत्र के लचीलेपन में कमी आ सकती है।
  • बाढ़ : अवैध रेत खनन से नदी के किनारों और तटीय क्षेत्रों में परिवर्तन प्राकृतिक बाढ़ नियंत्रण तंत्र को बाधित कर सकता है, जिससे भारी वर्षा की घटनाओं के दौरान आस-पास के समुदायों में बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।
  • मृदा उर्वरता का नुकसान: अवैध रेत खनन से नदी के किनारों और बाढ़ के मैदानों में उपजाऊ मृदा का क्षरण हो सकता है, जिससे आसपास के क्षेत्रों में कृषि उत्पादकता प्रभावित हो सकती है।
  • वायु प्रदूषण : अवैध रेत खनन में प्रयुक्त मशीनरी एवं वाहन पार्टिकुलेट मैटर और ईंधन आधारित प्रदूषक उत्सर्जित करते हैं, जिससे वायु प्रदूषण और श्वसन संबंधी समस्याएं होती हैं।
  • स्वास्थ्य जोखिम : अवैध रेत खनन स्थलों के पास रहने वाले निवासियों को विभिन्न स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ता है, जिनमें दूषित जल स्रोतों से जलजनित रोग तथा खनन गतिविधियों से संबंधित दुर्घटनाओं से शारीरिक चोटें शामिल हैं।

आगे की राह 

  • सर्वोच्च न्यायालय का हालिया आदेश सरिस्का बाघ अभयारण्य के पर्यावरण, जैव विविधता एवं स्थानीय समुदाय का संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण व्यवस्था स्थापित करता है, जिसके लिए राज्य सरकार एवं प्रशासन द्वारा इस आदेश का सख्ती से अनुपालन करने की आवश्यकता है। 
  • यदि सरिस्का अभयारण्य के क्षेत्र को नष्ट होने से बचाना है, तो स्थानीय समुदाय, प्रशासन एवं जन प्रतिनिधियों को एक मंच पर साथ आकर अवैध खनन जैसी व्यापक समस्या को हल करने के लिए व्यापक रणनीति अपनाने एवं उसके त्वरित क्रियान्वयन की आवश्यकता है। 
  • खनन के प्रभाव दशकों या सदियों तक बने रह सकते हैं, इसीलिए अभी तक अवैध खनन से हुए नुकसान के समुचित प्रबंधन की आवश्यकता है।
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR