New
July Offer: Upto 75% Discount on all UPSC & PCS Courses | Offer Valid : 5 - 12 July 2024 | Call: 9555124124

भारत द्वारा चाबहार बंदरगाह के संचालन का निहितार्थ 

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध, द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)

संदर्भ

भारत और ईरान ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह पर एक टर्मिनल के संचालन के लिए 10 वर्षों के अनुबंध पर हस्ताक्षर किया है।

चाबहार बंदरगाह के बारे में

  • चाबहार बंदरगाह ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में मकरान तट एवं ओमान की खाड़ी के मुहाने पर स्थित है। 
  • यह दक्षिण-पूर्वी ईरान में भारत के सबसे निकट स्थित ईरानी बंदरगाह है, जो बड़े मालवाहक जहाजों के लिए आसान व सुरक्षित पहुंच प्रदान करता है।
  • यह ईरान का पहला गहरे पानी का बंदरगाह है जो इसको वैश्विक समुद्री व्यापार मार्ग मानचित्र में स्थापित करता है।
  • चाबहार बंदरगाह पर दो टर्मिनल हैं- शाहिद कलंतरी एवं शाहिद बहिश्ती। भारत ने शाहिद बहिश्ती में एक टर्मिनल का विकास किया गया है।

china

संचालन समझौते की मुख्य विशेषताएं

  • शाहिद बहिश्ती टर्मिनल के संचालन को सक्षम करने के लिए इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) एवं ईरान के पोर्ट एंड मैरीटाइम ऑर्गनाइजेशन (PMO) के बीच दीर्घकालिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। 
  • अनुबंध की अवधि के दौरान बंदरगाह को सुसज्जित एवं संचालित करने के लिए IPGL लगभग 120 मिलियन डॉलर निवेश करेगा।
  • भारत ने चाबहार से संबंधित बुनियादी ढांचे में सुधार के उद्देश्य से पारस्परिक रूप से पहचानी गई परियोजनाओं के लिए $250 मिलियन के बराबर क्रेडिट विंडो की भी पेशकश की है।
    • भारत ने अब तक छह मोबाइल हार्बर क्रेन और 25 मिलियन डॉलर मूल्य के अन्य उपकरणों की आपूर्ति की है।
    • IPGL 24 दिसंबर, 2018 से अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी, इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल चाबहार फ्री जोन (IPGCFZ) के माध्यम से चाबहार बंदरगाह का संचालन कर रहा है।

चाबहार बंदरगाह का महत्व

  • सामरिक महत्व : चाबहार बंदरगाह का महत्व भारत एवं ईरान के मध्य एकमात्र माध्यम के रूप में इसकी भूमिका से कहीं अधिक है। यह भारत को अफगानिस्तान और मध्य-एशियाई देशों से जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण व्यापार धमनी (मार्ग) के रूप में कार्य करता है।
    • यह भारत का पहला प्रमुख विदेशी बंदरगाह उद्यम है जो संसाधन संपन्न मध्य-एशियाई गणराज्यों एवं अफगानिस्तान के साथ संबंध सुधारने की भारत की रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
    • पाकिस्तान भारत को अफगानिस्तान एवं मध्य-एशिया के साथ व्यापार के लिए स्थलीय पहुंच की अनुमति नहीं देता है।
  • चीन का प्रतिकार : चाबहार को चीन द्वारा पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह के विकास के प्रत्युत्तर के रूप में भी देखा जाता है।
    • पाकिस्तान के साथ ईरान की दक्षिण-पूर्वी सीमा के करीब स्थित गहरे पानी का चाबहार बंदरगाह से ग्वादर की दूरी 100 किमी. से भी कम है।
  • चाबहार एवं अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा : भारत एवं ईरान ने चाबहार बंदरगाह को अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में प्रस्तुत किया है।
    • INSTC भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया एवं यूरोप के बीच माल ढुलाई के लिए 7,200 किमी. लंबी मल्टी-मोड परिवहन परियोजना है।
    • इसकी परिकल्पना हिंद महासागर एवं फारस की खाड़ी को ईरान के माध्यम से कैस्पियन सागर तक और रूस में सेंट पीटर्सबर्ग के माध्यम से उत्तरी यूरोप तक जोड़ने के लिए की गई है।
    • INSTC एवं चाबहार बंदरगाह रूस व यूरेशिया के साथ भारतीय कनेक्टिविटी को अनुकूलित करने के लिए एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं।
  • मानवीय गलियारा : चाबहार बंदरगाह का उपयोग विगत वर्ष भारत द्वारा अफगानिस्तान को 20,000 टन गेहूं सहायता भेजने के लिए किया गया था।
    • वर्ष 2021 में भारत ने टिड्डियों के हमलों से लड़ने के लिए ईरान को बंदरगाह के माध्यम से 40,000 लीटर पर्यावरण अनुकूल कीटनाशक (मैलाथियान) की आपूर्ति की।
    • विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान इस बंदरगाह ने मानवीय सहायता आपूर्ति को सुविधाजनक बनाया।

चाबहार बंदरगाह से जुड़ी चुनौतियाँ

  • अमेरिका-ईरान संबंध : भारत द्वारा चाबहार बंदरगाह का विकास अमेरिका-ईरान संबंधों के बिगड़ने से प्रभावित हो सकता है।  
    • भारत द्वारा ईरान के साथ बंदरगाह संचालित करने के अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के कुछ घंटों बाद अमेरिका ने ईरान के साथ व्यापार समझौते पर विचार करने वाले किसी भी देश के लिए संभावित प्रतिबंधों की चेतावनी दी है।
  • कार्यान्वयन की धीमी गति : भारत को परंपरागत रूप से अपने पड़ोस में महत्वाकांक्षी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को लागू करने में परेशानी होती रही है। 
    • नेपाल से लेकर म्यांमार, श्रीलंका एवं ईरान तक भारत ने विद्युत परियोजनाओं, राजमार्गों, रेलवे एवं अन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण पर प्रतिबद्धता जताई है किंतु कार्यान्वयन की धीमी गति को लेकर हमेशा आलोचना होती रही है।
  • ग्वादर में चीन की उपस्थिति : पाकिस्तान का ग्वादर बंदरगाह चाबहार से बहुत निकट होने के कारण भारत के एक बड़ी चुनौती है। 
    • चीन अपने हितों को देखते हुए अपनी आर्थिक क्षमता के बल पर चाबहार बंदरगाह सहित अन्य मामलों में भी भारत-ईरान संबंधों को प्रभावित करने प्रयास पहले भी कर चुका है। 

निष्कर्ष 

भारत को अपनी बढ़ती आर्थिक एवं सामरिक शक्ति को बनाए रखने और इसे मजबूती प्रदान करने लिए अमेरिकी नेतृत्व में पश्चिमी देशों के साथ-साथ ईरान व रूस के साथ भी अपने संबंधो में समन्वय की आवश्यकता है। 

Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR