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RCEP तथा भारत के निर्णय के निहितार्थ

(प्रारम्भिक परीक्षा : राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामायिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा प्रश्नपत्र– 2 : द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह तथा भरता से सम्बंधित अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, भारत की ग़ैर मौजूदगी में ‘क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी’ (RCEP) पर सदस्य देशों द्वारा हस्ताक्षर किये गए हैं। हालाँकि, भविष्य में भारत भी इस समूह की बैठक में एक पर्यवेक्षक (OBSERVER) के रूप में भाग ले सकता है।

क्या है RCEP?

  • RCEP चीन के नेतृत्व में 15 देशों का एक क्षेत्रीय व्यापारिक ब्लाक है जिसमें 10 असियान देशों (इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार व कम्बोडिया) के साथ-साथ चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड शामिल हैं।
  • इस व्यापारिक साझेदारी का उद्देश्य सदस्य देशों के मध्य बाधा रहित बाज़ार तक पहुँच, सीमा शुल्क को समाप्त या कम करके तथा मुक्त व्यापार समझौतों के माध्यम से आपसी व्यापार को प्रोत्साहन देना है।
  • इस ब्लाक में विश्व की जनसंख्या का एक-तिहाई तथा जी.डी.पी. का 30% हिस्सा शामिल है। इस ब्लाक में शामिल देश अन्य ग़ैर सदस्य देशों से आयात नहीं करने पर सहमत हुए हैं।

भारत के निर्णय का विश्लेषण

  • भारत का मानना है RCEP से सम्बंधित भारत की चिंताओं को पर्याप्त रूप से सम्बोधित नहीं किया गया है। भारत निरंतर घरेलू अर्थव्यवस्था के अनुरूप वस्तुओं और सेवाओं की संरक्षित सूची के आधार पर बाज़ार पहुँच का मुद्दा उठा रहा है।
  • भारत अभी RCEP पर विचार विमर्श कर रहा है। भारत द्वारा अपने लागत-लाभ विश्लेषण का मूल्यांकन करने के पश्चात ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
  • महामारी के प्रसार में चीन की संदिग्ध भूमिका के साथ ही बढ़ती सैन्य आक्रामकता (गलवान घाटी संघर्ष तथा पेंगोंग झील के तनाव) के चलते भारत ने पिछले कुछ महीनों में चीन के विरुद्ध कई निर्णय लिये हैं। इसमें चीन के गेम्स तथा अन्य लोकप्रिय एप्स पर प्रतिबंध लगाया जाना शामिल हैं।
  • जापान ने RCEP में भारत की भागीदारी पर मंत्रियों की घोषणा का मसौदा तैयार किया है, जो भारत जैसी समान विचारधारा वाले देशों के बीच सहयोग का एक प्रतिबिम्ब है इस मसौदे में विशेष रूप से क्वाड देशों द्वारा भविष्य में एक लचीली आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण पर बल दिया जाएगा।
  • क्वाड के साथ-साथ कुछ अन्य देश (न्यूज़ीलैंड, दक्षिण कोरिया और वियतनाम) गुप्त रूप से चीन से अलग एक लचीली आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित करने हेतु एक-दूसरे से बात कर रहे हैं। साथ ही जापान और ऑस्टेलिया, चीन के साथ जटिल और तनावपूर्ण सम्बंध होने के बावजूद आर्थिक हित के कारण RCEP में शामिल हो गए हैं। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए भारत को अपनी नीति का निर्धारण करना चाहिये।
  • भारत पहले से ही आसियान देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते तथा दक्षिण कोरिया व ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौतों (CEPA) में भागीदार है।
  • वर्तमान में भारत का चीन के साथ बड़ा व्यापार घाटा है। भारत ने आसियान देशों के लिये अपना बाज़ार 74% तक खोला है जबकि इंडोनेशिया जैसे अमीर देशों ने भारत के लिये केवल 50% तक बाज़ार खोले हैं। इसलिये RCEP पर भारत अभी संदेहास्पद स्थिति में है।

आगे की राह

  • यह कई बार देखा गया है कि चीन सहित कई देशों ने अपनी बाज़ार पहुँच को रोकने हेतु ग़ैर टैरिफ बाधाओं का उपयोग किया है, जिससे भविष्य में व्यापारिक अनिश्चितता की स्थिति उत्पन्न होती है। इसलिये वर्तमान में भारत को अपने व्यापरिक तथा औद्योगिक हितों को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग देशों के साथ अलग-अलग व्यापारिक समझौते करने चाहिये।
  • ट्रांस पैसिफिक पार्टनरशिप (टी.पी.पी./TPP) की कमज़ोर स्थिति पर विचार करना आवश्यक है। इसका केवल सुरक्षा से जुड़े पहलुओं (आर्थिक दृष्टिकोण के बजाय) पर ध्यान केंद्रित करना इसकी सबसे बड़ी कमज़ोरी है।
  • भारत और चीन को भू-राजनीतिक मतभेदों को भुलाकर सामूहिक रूप से अपनी अर्थव्यवस्थाओं की संवृद्धि पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये, जिससे आर्थिक विकास, व्यापक स्तर पर रोज़गार सृजन तथा एक मज़बूत क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण में सहायता मिलेगी।

निष्कर्ष

वर्ष 2017 में जब भारत ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बी.आर.आई.) से बाहर निकलने का फैसला किया था तब भी भारत को विभिन्न आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। लेकिन बाद में समान विचारधारा वाले देशों ने भारत के निर्णय का समर्थन किया। इसलिये भारत द्वारा वर्तमान में अपने राष्ट्रहितों को सर्वोपरि रखते हुए, RCEP में शामिल न होने का निर्णय उचित और सराहनीय प्रतीत होता है।

प्री फैक्ट्स :

ट्रांस पैसीफि‍क पार्टनरशिप : TPP

  • ट्रांस पैसीफि‍क पार्टनरशिप प्रशांत महासागरीय क्षेत्र के चारों ओर अवस्थित 12 देशों (ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, चिली, कनाडा, जापान, मलेशिया, मेक्सिको, न्‍यूज़ीलैंड, पेरू, सिंगापुर, यू.एस. और वियतनाम) के मध्य एक व्‍यापार समझौता है। इन 12 देशों की संयुक्‍त रूप से दुनिया के सकल घरेलू उत्‍पाद में लगभग 40% हिस्‍सेदारी है।
  • उत्‍पादों और सेवाओं को बड़ा बाज़ार उपलब्‍ध कराने के अलावा TPP में बौद्धिक सम्पदा अधिकार, विदेशी निवेश, प्रतिस्‍पर्धा नीति, पर्यावरण, श्रम, सरकार के स्‍वामित्‍व वाले उद्यम, ईकॉमर्स प्रतिस्‍पर्धा और आपूर्ति श्रृंखला, सरकारी खरीद, व्‍यापार में तकनीकी बाधाएँ, हेल्थकेयर टेक्‍नोलॉजी और फार्मास्‍यूटिकल में पारदर्शिता तथा एक नियामक संस्था के गठन पर सहमति व्‍यक्‍त की गई है।
  • ध्यातव्य है कि अमेरिका इस समूह से बाहर हो गया है। वर्तमान में इसमें 11 सदस्य देश हैं।
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