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आभासी संपत्ति के करारोपण के निहितार्थ 

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3 : शासन प्रणाली : सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप, आर्थिक विकास : भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना)

संदर्भ 

वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में क्रिप्टोकरेंसी और नॉन-फंजियेबल टोकन (Non-Fungible Token : NFT) सहित आभासी संपत्ति के हस्तांतरण से होने वाले किसी भी लाभ पर 30% करारोपण की घोषणा की गई है। बजट में की गई इस घोषणा के साथ ही क्रिप्टो को भारत में एक तरह से कानूनी रूप दिये जाने की शुरुआत हो गई है।

करारोपण के निहितार्थ

  • भारत की वित्तीय-सह-आर्थिक प्रणाली (Financial-cum-Economic System) में क्रिप्टोकरेंसी, नॉन-फंजियेबल टोकन एवं सहायक प्रौद्योगिकियों की बढ़ती भूमिका को देखते हुए आभासी संपत्ति के हस्तांतरण से होने वाले लाभ पर करारोपण की घोषणा की गई है। 

क्या हैं नॉन-फंजियेबल टोकन 

कोई भी ऐसी चीज जैसे- पेंटिंग, फोटो, वीडियो, जी.आई.एफ. (GIF), संगीत, सेल्फी आदि, जिसे डिजिटल रूप में परिवर्तित किया जा सके, सभी कुछ एन.एफ.टी. में प्रदर्शित किये जा सकते हैं। यह ब्लॉकचेन तकनीक द्वारा समर्थित है। एन.एफ.टी. मूर्त और संपत्तियों की धोखाधड़ी की संभावना को कम करते हुए उन्हें अधिक कुशलता से खरीदने, बेचने और व्यापार करने की सुविधा प्रदान करता है।  

  • यह कदम क्रिप्टो स्टार्टअप गतिविधियों को औपचारिक रूप से वैध बनाने के साथ-साथ उन्हें आवश्यक समर्थन प्रणाली (Support System) तक पहुँच सुनिश्चित करने में सक्षम बनाएगी। 
  • इस घोषणा के पश्चात् आभासी संपत्ति का प्रचलन देशव्यापी स्तर पर तेजी से बढ़ सकता है, अतः इसका सावधानीपूर्वक प्रबंधन सुनिश्चित किया जाना अतिआवश्यक हो जाता है।
  • कर की उच्च दर तकनीकी रूप से सजग एवं नवाचारी निवेशकों के लिये अन्य वैकल्पिक मार्ग भी खोल सकता है। अर्थात् निवेशकों को क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन के भंडारण और लेनदेन के वैकल्पिक साधनों की ओर उन्मुख कर सकता है।
  • उपरोक्त वैकल्पिक साधनों में विकेंद्रीकृत वित्त (Decentralised Finance : DeFi) गतिविधियाँ शामिल होती हैं, जैसे-सट्टेबाजी, उधार देना एवं तरलता प्रदान करना आदि।  विकेंद्रीकृत वित्त (DeFi) सार्वजनिक ब्लॉकचेन पर उपलब्ध वित्तीय सेवाओं के लिये एक अम्ब्रेला शब्द है।

विकेंद्रीकृत वित्तीय गतिविधियाँ  

  • विकेंद्रीकृत वित्त के अंतर्गत बैंक द्वारा समर्थित गतिविधियों में ब्याज प्राप्त करना, उधार लेना, उधार देना, बीमा खरीदना, डेरिवेटिव का व्यापार, परिसंपत्तियों का व्यापार आदि शामिल हैं। हालाँकि, यह प्रक्रिया अपेक्षाकृत तीव्र तथा कागजी कार्रवाई या तीसरे पक्ष की आवश्यकता से मुक्त है।
  • विकेंद्रीकृत वित्त आमतौर पर क्रिप्टो की तरह ही वैश्विक, पीयर-टू-पीयर, छद्म नाम धारकों तथा सभी के लिये खुला होता है, अतः इस क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देना लंबी अवधि में भारत में क्रिप्टो-वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में सहायक हो सकता है।
  • क्रिप्टो मुद्राओं और आभासी संपत्तियों को अपनाने से बैंकों की तुलना में त्वरित एवं सस्ता लेनदेन संभव हो सकता है तथा किसी केंद्रीकृत मध्यस्थ के बिना धन सृजन किया जा सकता है।
  • स्पष्ट है कि देश में क्रिप्टो पारिस्थितिकी तंत्र में नए निवेशक एवं नवप्रवर्तनकर्ता अभी प्रयोगिक चरण में ही हैं, अतः क्रिप्टो अभी पूरी तरह से मुख्यधारा में नहीं आ पाया है। 

संभावित चिंताएँ

  • छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों एवं निचले सोपान के उच्च निवल आय वाले व्यक्ति (Lower-end High Net-worth Individuals) विकेंद्रीकृत वित्त से सर्वाधिक लाभान्वित होने वाला वर्ग है जो उच्च कर दरों की बाधाओं के कारण क्रिप्टो पारिस्थितिकी तंत्र से लाभान्वित होने से वंचित रह सकता है।
  • जब तक सकारात्मक प्रोत्साहन और ढाँचागत सुधारों के माध्यम से प्रणाली को उदार बनाने में आमूलचूल प्रयास नहीं किये जाते हैं, तब तक इस बात की संभावना सीमित है कि उपरोक्त वर्ग डिजिटल संपत्ति से लाभ प्राप्त कर सके।
  • इसके अतिरिक्त, भारत की क्रिप्टो नीति को अभी तक घोषित नहीं किया गया है। इस संदर्भ में कराधान के अलावा अन्य पहलुओं में व्यापक अस्पष्टता बनी हुई है। क्रिप्टोकरेंसी विधेयक के पारित होने के बाद ही क्रिप्टो को मुद्रा की तुलना में विशुद्ध रूप से एक परिसंपत्ति के रूप में माना जा सकेगा। 
  • हालाँकि, सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा के रूप में भारत सरकार द्वारा दी गई व्यवस्था निश्चित रूप से डिजिटल मुद्राओं को स्वीकार करने में मदद करेगी, लेकिन यह क्रिप्टोकरेंसी के मूल उद्देश्य अर्थात विकेंद्रीकरण को हतोत्साहित करती है।

आगे की राह 

  • डिजिटल परिसंपत्ति को प्रोत्साहित करने के लिये भविष्य में क्रिप्टो पर आरोपित कर की दरों में कमी लाना महत्त्वपूर्ण होगा। 
  • क्रिप्टो अवैध राजनीतिक चंदे या काले धन का भी स्रोत बन सकता है। इसके लिये क्रिप्टो के संबंध में उपयुक्त एवं कठोर नियम अपरिहार्य हैं।
  • क्रिप्टोकरेंसी नीति-निर्माण से जुड़ी सर्वोत्तम व्यवस्थाओं पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोगियों के अनुभव से सीख कर देश के लिये क्रिप्टो प्रबंधन हेतु प्रभावी नीति का निर्माण करना होगा।
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