प्रारंभिक परीक्षा – विदेशी मुद्रा भंडार, विशेष आहरण अधिकार, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ रिज़र्व ट्रेंच मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्यन पेपर 3 - भारतीय अर्थव्यवस्था |
चर्चा में क्यों ?
- भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार अप्रैल 2023 तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 584.755 अरब डॉलर हो गया है।
- अक्टूबर 2021 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था।
विदेशी मुद्रा भंडार
- विदेशी मुद्रा भंडार से तात्पर्य रिज़र्व बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा में आरक्षित संपत्ति से है, इसमें बॉन्ड, ट्रेज़री बिल और अन्य देशों की सरकारी प्रतिभूतियाँ शामिल होती हैं।
- भारत में आरबीआई एक्ट, 1934 रिज़र्व बैंक को विदेशी मुद्रा भंडार रखने का कानूनी ढांचा प्रदान करता है।
- भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में निम्नलिखित मदें शामिल हैं-
- विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ(अन्य देशों की सरकारी प्रतिभूतियाँ और बॉन्ड)
- स्वर्ण भंडार
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ रिज़र्व ट्रेंच
- विशेष आहरण अधिकार (SDR)
विदेशी मुद्रा भंडार प्रबंधन के उद्देश्य
- भारत में विदेशी मुद्रा भंडार प्रबंधन के मार्गदर्शी उद्देश्य विश्व के अन्य कई केंद्रीय बैकों के उद्देश्यों के समान ही है।
- विदेशी मुद्रा भंडार की आवश्यकता में कई घटकों के कारण व्यापक रूप से परिवर्तन आता है-
- जिनमें देश द्वारा अपनाई गई विनिमय दर प्रणाली, अर्थव्यवस्था के खुलेपन की सीमाएं, देश के सकल घरेलू उत्पाद में विदेशी क्षेत्र का विस्तार और देश में कार्यरत बाजारों का स्वरूप आदि शामिल है।
- भारत में जहां विदेशी मुद्रा भंडार प्रबंधन का दोहरा उद्देश्य तरलता और सुरक्षा को बनाए रखना है, वहीं इसी ढांचे में अधिकतम प्रतिलाभ की नीति भी संरक्षित है।
- विदेशी मुद्रा भंडार का एक देश आवश्यकता पड़ने पर अपनी देनदारियों का भुगतान करने के लिए उपयोग कर सकता है।
- किसी देश का ‘विदेशी मुद्रा भंडार’ इसकी मुद्रा की विदेशी विनिमय दर को प्रभावित करता है और वित्तीय बाजारों में विश्वास बनाए रखता है।
- विदेशी मुद्रा का उपयोग मौद्रिक नीति को प्रभावित करने के लिए किया जाता है। अगर विदेशी मुद्रा की मांग में वृद्धी होने के कारण घरेलु मुद्रा का मूल्य कम होता है, तो भारत सरकार की तरफ से रिज़र्व बैंक बाजार में विदेशी मुद्रा की आपूर्ति कर देती है, ताकि राष्ट्रीय मुद्रा के मूल्य में आ रही गिरावट को रोका जा सके।
विशेष आहरण अधिकार (SDR)
- विशेष आहरण अधिकार को अंतर्राष्ट्रीय आरक्षित संपत्ति के रूप में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा 1969 में अपने सदस्य देशों के लिये बनाया गया था।
- SDR न तो कोई मुद्रा है और न ही आईएमएफ पर कोई दावा है। बल्कि यह आईएमएफ सदस्यों की स्वतंत्र रूप से उपयोग करने योग्य मुद्राओं पर एक संभावित दावा है। इन मुद्राओं के लिए एसडीआर का आदान-प्रदान किया जा सकता है।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विशेष आहरण अधिकार का प्रयोग अपने आंतरिक लेखांकनो में करता है।
- SDR का मूल्य पांच मुद्राओं की एक टोकरी पर आधारित है - अमेरिकी डॉलर, यूरो, चीनी रॅन्मिन्बी, जापानी येन और ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में रिज़र्व ट्रेंच
- रिज़र्व ट्रेन्च वह मुद्रा होती है जिसे प्रत्येक सदस्य देश द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष को प्रदान किया जाता है और जिसका उपयोग वे देश अपने स्वयं के प्रयोजनों के लिये कर सकते हैं।
- इस मुद्रा का प्रयोग सामान्यतः आपातकाल की स्थिति में किया जाता है।
- किसी भी सदस्य देश के लिए, कुल रिज़र्व ट्रेन्च कोटा में से 25 प्रतिशत विदेशी मुद्रा या सोने के रूप होते हैं, इसलिए, इसे 'रिजर्व ट्रेंच' या 'गोल्ड ट्रेंच' भी कहा जाता है।
- शेष 75% घरेलू मुद्राओं के रूप में हो सकते है, जिसे 'क्रेडिट ट्रेंच' कहा जाता है।