प्रारम्भिक परीक्षा – बाघ, इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3 – पर्यावरण संरक्षण
सन्दर्भ
हाल ही में, प्रधानमंत्री द्वारा नवीनतम बाघ जनगणनाके आंकड़े जारी किये गये।
महत्वपूर्ण तथ्य
प्रोजेक्ट टाइगर की 50 वीं वर्षगांठ के अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा बाघों की संख्या की घोषणा की गयी और अखिल भारतीय बाघ अनुमान (पाचवां चक्र) की सारांश रिपोर्ट जारी की गयी।
प्रधानमंत्री द्वारा इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA) का भी शुभारंभ किया गया।
इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस, बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, प्यूमा, जगुआर और चीता सहित दुनिया के सात प्रमुख बिग कैट के संरक्षण पर ध्यान देगा।
प्रधानमंत्री द्वारा अमृत काल का विजन फॉर टाइगर कंजर्वेशन का भी लोकार्पण किया गया।
नवीनतम बाघ जनगणना के अनुमान के अनुसार, 2022 में भारत में 3,167 बाघ हैं, 2018 में यह संख्या 2,967 और 2014 में 2,226 थी।
भारत में दुनिया की बाघों की आबादी का लगभग 75% हिस्सा है।
बाघ जनगणना के अनुसार, शिवालिक पहाड़ियों और गंगा के बाढ़ के मैदानों में बाघों की आबादी सबसे अधिक बढ़ी है, इसके बाद मध्य भारत, उत्तर पूर्वी पहाड़ियों, ब्रह्मपुत्र बाढ़ के मैदानों और सुंदरबन का स्थान आता है।
पश्चिमी घाट में बाघों की संख्या में कमी आयी है।
प्रत्येक चार साल के अनुमानों में, अनुमानित बाघ आबादी की एक सीमा प्रदान की जाती है और औसत संख्या को नवीनतम बाघ आबादी के रूप में दर्शाया जाता है।
वर्ष 2018 में, बाघों की आबादी न्यूनतम 2,603 और अधिकतम 3,346 थी, जिसका औसत मान 2,967 था।
वर्तमान अनुमान, संरक्षित क्षेत्रों के बाहर बाघों की बढ़ती हुई संख्या पर ध्यान नहीं देता है।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा 2006 से प्रत्येक 4 वर्ष में राज्य के वन विभागों, गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से और भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) द्वारा समन्वित, "बाघों की स्थिति, सह-शिकारियों, शिकार और उनके आवास" के लिए एक राष्ट्रीय मूल्यांकन करता है।
भारत में बाघ संरक्षण
भारत में भारतीय वन्यजीव बोर्ड द्वारा वर्ष 1972 में शेर के स्थान पर बाघ को राष्ट्रीय पशु के रूप में स्वीकार किया गया।
वर्ष 1973 में 9 टाइगर रिजर्व के साथ प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की गई थी।
वर्ष 2023 तक देश में टाइगर रिजर्व की संख्या 53 हो गयी है, जिनका कुल क्षेत्रफल 75,796 वर्ग किमी है, जो भारत के भूमि क्षेत्र का लगभग 2.3% है।
सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया के तहत बाघों की स्मार्ट निगरानी के लिये एक कार्यक्रम ‘मोनीटरिंग सिस्टम फॉर टाइगर्स इंटेंसिव प्रोटेक्शन एंड इकोलॉजिकल स्टेटस’ (MSTrIPES) शुरू किया गया।
बाघों के संरक्षण को प्रोत्साहन देने हेतु प्रति वर्ष 29 जुलाई को ‘विश्व बाघ दिवस’ मनाया जाता है।
बाघ की संरक्षण स्थिति
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 - अनुसूची I
प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN) रेड लिस्ट - लुप्तप्राय
वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) - परिशिष्ट I