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भारत और बांग्लादेश संबंध

संदर्भ 

  • हाल ही में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना दो दिवसीय यात्रा पर भारत आईं थीं। भारत में नई सरकार के गठन के बाद वह द्विपक्षीय राजकीय यात्रा पर पहली अतिथि थीं।
  • बांग्लादेश हमारा एक प्रमुख पड़ोसी देश है और हम एक मित्र देश की भूमिका में हमेशा से रहें हैं; जैसा कि, हालिया भारत यात्रा के दौरान बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा, “भारत हमारा प्रमुख पड़ोसी और एक विश्वसनीय मित्र है” और ढाका नई दिल्ली के साथ अपने संबंधों को बहुत महत्व देता है जो “1971 में हमारे मुक्ति संग्राम” से पैदा हुए थे।
  • गौरतलब है कि, इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने विकास साझेदारी, ऊर्जा, जल संसाधन, व्यापार, रक्षा सहयोग और अन्य सहित द्विपक्षीय सहयोग के कई क्षेत्रों पर चर्चा की।

भारत- बांग्लादेश संबंध की पृष्ठभूमि

  • भारत और बांग्लादेश अपनी साझा सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक घटनाओं के कारण एक जैविक बंधन साझा करते हैं। 
    • इसमें वर्ष 1947 में भारत के विभाजन के दौरान हुए नुकसान और बड़े पैमाने पर परिवारों का अलग होना भी शामिल है।
  • भारत ने वर्ष 1971 में मुक्ति संग्राम के दौरान स्वतंत्र बांग्लादेश के उदय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और मुक्ति संग्राम के दौरान अनुमानित 10 मिलियन शरणार्थियों को शरण भी दी थी।
  • इसके अलावा, भारत बांग्लादेश को एक अलग राज्य के रूप में मान्यता देने वाला पहला देश था। 
  • गौरतलब है कि, 16 दिसंबर का बांग्लादेश में ‘मुक्ति दिवस’ और भारत में ‘विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

भारत के लिए बांग्लादेश का महत्व

  • भू-राजनीतिक : भारत बांग्लादेश के साथ 4,096 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है, जो दुनिया में पांचवीं सबसे लंबी सीमा है। भारत के असम, पश्चिम बंगाल, मिजोरम, मेघालय और त्रिपुरा राज्यों की सीमा बांग्लादेश से संबद्ध है। 
    • यह भारत की सुरक्षा और विदेश नीति के लिए महत्वपूर्ण है। भारत को चीन की ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ नीति का मुकाबला करने के लिए बांग्लादेश से सहयोग की आवश्यकता है।
    • बांग्लादेश दक्षिण एशिया एवं दक्षिण पूर्व एशिया के चौराहे पर स्थित है और भारत की एक्ट ईस्ट नीति के लिए महत्वपूर्ण है, जिसका उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाना है।
  • आर्थिक : बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है और भारत एशिया में बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है। 
    • वित्त वर्ष 2023-24 में भारत- बांग्लादेश के बीच कुल द्विपक्षीय व्यापार 14.01 बिलियन अमरीकी डॉलर था।
  • सांस्कृतिक : भारत और बांग्लादेश का इतिहास, संस्कृति और विरासत साझा है। दोनों देशों के लोग मजबूत सांस्कृतिक और पारिवारिक संबंधों से जुड़े हुए हैं और बांग्लादेश में भारतीय मूल के लोगों की एक बड़ी आबादी रहती है।
  • पर्यावरण संबंधी चिंताएँ : दोनों देश सीमा पार की नदियों और पारिस्थितिक तंत्रों को साझा करते हैं, जिससे जल प्रबंधन व बाढ़ नियंत्रण जैसे मुद्दों पर सहयोग महत्वपूर्ण हो जाता है। 

भारत और बांग्लादेश के बीच सहयोग के क्षेत्र 

  • सुरक्षा और सीमा प्रबंधन : पुलिस मामलों, भ्रष्टाचार विरोधी गतिविधियों और अवैध मादक पदार्थों की तस्करी, जाली मुद्रा, मानव तस्करी आदि मुद्दों से निपटने के लिए दोनों देशों की विभिन्न एजेंसियों के बीच सक्रिय सहयोग है।
    • लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा के लिए शांतिपूर्ण और सहकारी प्रबंधन तंत्र सक्रिय रूप से सीमा पर बाड़ लगाने, सीमा स्तंभों के संयुक्त निरीक्षण, नदी की सीमाओं सहित संयुक्त सीमा सीमांकन आदि पर केंद्रित हैं।
  • रक्षा सहयोग : इसके अंतर्गत उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान में भारत-बांग्लादेश कॉर्पेट ‘बोंगोसागर’ अभ्यास का संस्करण, तट रक्षकों के क्षेत्रीय कमांडरों की बैठक और वार्षिक रक्षा संवाद शामिल हैं।
  • कनेक्टिविटी :
    • रेल कनेक्टिविटी : नवंबर 2023 को भारत के अगरतला स्टेशन और बांग्लादेश के अखौरा के बीच 6वें सीमा-पार रेल संपर्क का उद्घाटन किया। यह रेल संपर्क भारत के उत्तर-पूर्व को वैकल्पिक मार्ग प्रदान करेगा। भारत और बांग्लादेश के बीच चालू किए गए अन्य पाँच रेल संपर्क हैं:
      • हल्दीबाड़ी (भारत) - चिलाहाटी (बांग्लादेश) रेल संपर्क 
      • पेट्रापोल (भारत)-बेनापोल (बांग्लादेश)
      • गेडे (भारत)-दर्शना (बांग्लादेश)
      • सिंहाबाद (भारत) - रोहनपुर (बांग्लादेश)
      • राधिकापुर (भारत) – बिरोल (बांग्लादेश)। 
      • वर्तमान में दोनों देशों के बीच तीन रेलगाड़ियों का संचालन किया जा रहा है: मैत्री एक्सप्रेस (2008 से, कोलकाता और ढाका को जोड़ती है); बंधन एक्सप्रेस (2017 से, कोलकाता और खुलना को जोड़ती है); और मिताली एक्सप्रेस (जून 2022 से, न्यू जलपाईगुड़ी और ढाका के बीच)।
    • सड़क और अंतर्देशीय जल संपर्क : वर्तमान में भारत और बांग्लादेश के बीच कोलकाता, अगरतला और गुवाहाटी शहरों को ढाका और आगे खुलना तक जोड़ने वाली पाँच बस सेवा मार्ग संचालित हैं।
      • वर्ष 1972 से ही भारत और बांग्लादेश के बीच अंतर्देशीय जलमार्ग व्यापार और पारगमन प्रोटोकॉल (PIWTT) संचालित है। यह अंतर-देशीय व्यापार के लिए माल की आवाजाही के साथ-साथ भारत और बांग्लादेश की नदी प्रणालियों के माध्यम से बजरों/जहाजों पर पारगमन की अनुमति देता है।
    • बंदरगाह कनेक्टिविटी: दोनों देशों ने वर्ष 2023 में चटगाँव और मोंगला बंदरगाहों के उपयोग के लिए समझौते को लागू किया है। 
      • इससे पूर्वोत्तर भारत और मुख्य भूमि भारत के बीच पारगमन कार्गो के लिए परिवहन लागत और समय लागत में कमी आ सकती है।
  • आर्थिक एवं वाणिज्यिक : पिछले दशक में भारत-बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय व्यापार में लगातार वृद्धि हुई है। 
    • बांग्लादेश से भारत को निर्यात वर्ष 2018-19 में 1 बिलियन डॉलर को पार कर गया था और वित्त वर्ष 2023-24 में बांग्लादेश ने भारत को 1.97 बिलियन अमरीकी डॉलर का सामान निर्यात किया। 
    • मार्च 2021 में भारत-बांग्लादेश स्टार्टअप ब्रिज का उद्घाटन किया था। 
  • विद्युत् एवं ऊर्जा : बांग्लादेश वर्तमान में भारत से 1160 मेगावाट बिजली आयात कर रहा है। बिजली पर संयुक्त कार्य समूह (JWG)/संयुक्त संचालन समिति (JSC) बिजली के सीमा पार व्यापार में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक संस्थागत ढांचा प्रदान करता है।
    • बांग्लादेश ग्रिड को बिजली की आपूर्ति करने के लिए मैत्री सुपर थर्मल पावर प्लांट को चालू कर दिया गया है।
    • मार्च 2023 में भारत से बांग्लादेश में हाई स्पीड डीजल की आपूर्ति के लिए दोनों देशों के बीच भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन का उद्घाटन किया गया था। 
  • विकास साझेदारी: 
    • अवसंरचना विकास : भारत ने बांग्लादेश को सड़क, रेलवे, शिपिंग और बंदरगाहों सहित विभिन्न क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए लगभग 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि के 3 ऋण (LOC) दिए हैं।
      • भारत सरकार ने बांग्लादेश में छात्र छात्रावासों, शैक्षणिक भवनों, कौशल विकास और प्रशिक्षण संस्थानों, सांस्कृतिक केंद्रों और अनाथालयों आदि के निर्माण सहित 77 उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाएं (HICDP) को वित्त पोषित किया है।
    • अनुदान : भारत सरकार बांग्लादेश को विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए अनुदान सहायता भी प्रदान कर रही है, जिसमें अखौरा-अगरतला रेल लिंक का निर्माण, बांग्लादेश में अंतर्देशीय जलमार्गों की ड्रेजिंग और भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन का निर्माण शामिल है।
  • प्रशिक्षण : भारत सरकार बांग्लादेश के सिविल सेवा अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों, न्यायिक अधिकारियों और न्यायाधीशों, पेशेवरों और अन्य को भारत के विभिन्न प्रमुख प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षण प्रदान कर रही है।
  • सांस्कृतिक सहयोग: ढाका में इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र और भारतीय सांस्कृतिक केंद्र दोनों ही दोनों देशों के बीच साझा सांस्कृतिक संबंधों की मजबूती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • योग, कथक, मणिपुरी नृत्य, हिंदी भाषा, हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत और भारत व बांग्लादेश के प्रसिद्ध कलाकारों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों सहित इसके प्रशिक्षण कार्यक्रम लोगों से लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देने में योगदान करते हैं।
    • भारत ने बांग्लादेशी छात्रों के लिए 1000 “सुबोर्नो जयंती छात्रवृत्ति” की घोषणा की है और भारत के उच्च संस्थानों में उनके दाखिले हेतु एक समर्पित वेबसाइट भी शुरू की गई है।
  • वीज़ा : भारतीय वीज़ा की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पूरे बांग्लादेश में 16 IVAC केंद्रों में सेवाओं को बढ़ाया गया है। भारतीय चिकित्सा वीज़ा की मांग सबसे अधिक बनी हुई है, जिसमें भारत एक चिकित्सा रोगी के साथ तीन व्यक्तियों को चिकित्सा परिचर वीज़ा जारी करता है। 
    • बांग्लादेश में जारी किए जाने वाले भारतीय वीज़ा, विश्व भर में भारत द्वारा किए जाने वाले सबसे बड़े वीज़ा परिचालन हैं। 
  • रोहिंग्या संकट : भारत ने बांग्लादेश में शरणार्थी शिविरों के लिए राहत सहायता प्रदान करने के लिए “ऑपरेशन इंसानियत” शुरू किया है।
  • बहुपक्षीय सहयोग : भारत और बांग्लादेश सार्क, बिम्सटेक आदि जैसे बहुपक्षीय प्लेटफार्मों पर सहयोग कर रहे हैं।

दोनों नेताओं के बीच वर्तमान साझेदारी के बिंदु

आर्थिक क्षेत्र :

  • भारत और बांग्लादेश ने "हरित साझेदारी" और नीली अर्थव्यवस्था के लिए एक साझा दृष्टिकोण को अंतिम रूप दिया।
  • दोनों देश आर्थिक संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) पर बातचीत शुरू करने पर सहमत हुए हैं।

कनेक्टिविटी :

  • दोनों पक्षों ने डिजिटल डोमेन, समुद्री क्षेत्र और रेलवे कनेक्टिविटी के क्षेत्रों सहित व्यापक आधार संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
  • भारत ने बांग्लादेश के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए रंगपुर में एक नया सहायक उच्चायोग खोलने का निर्णय लिया है। 

मेडिकल क्षेत्र :

  • भारत चिकित्सा उपचार के लिए भारत आने वाले बांग्लादेशी नागरिकों के लिए ई-मेडिकल वीजा शुरू करेगा। 

नदियों के संबंध में :

  • दोनों देशों ने गंगा नदी संधि के नवीनीकरण के लिए तकनीकी स्तर पर बातचीत शुरू करने का फैसला किया है। 
  • साथ ही, बांग्लादेश में तीस्ता नदी के संरक्षण और प्रबंधन की समीक्षा के लिए एक तकनीकी टीम भी बांग्लादेश की यात्रा करेगी।

रक्षा क्षेत्र :

  • भारत-बांग्लादेश रक्षा संबंधों को मजबूत करने के लिए भी बातचीत हुई। जसमें रक्षा उत्पादन से लेकर सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण तक विस्तृत चर्चा की गई। साथ ही, आतंकवाद, कट्टरवाद और सीमा के शांतिपूर्ण प्रबंधन पर अपने सहयोग को मजबूत करने पर बल दिया गया  है। 
  • इसके अलावा, भारत-बांग्लादेश मैत्री उपग्रह के बारे में भी चर्चा की गई।

भारत-बांग्लादेश संबंधों में चुनौतियाँ 

  • सीमा विवाद : साझा सीमा के सीमांकन पर लंबे समय से विवाद रहा है, विशेष रूप से असम और त्रिपुरा के क्षेत्रों में। 
    • कोमिला-त्रिपुरा भूमि सीमा, जो 6.5 किलोमीटर तक फैली हुई है, का सीमांकन नहीं किया गया है, जिससे सीमा विवाद अनसुलझा रह गया है।
  • अवैध आप्रवासन : बांग्लादेश से सीमापार अप्रवासियों के प्रवाह ने दोनों देशों के बीच संबंधों को और अधिक तनावपूर्ण बना दिया है।
    • बांग्लादेश की सीमा से लगे भारतीय राज्यों के निवासियों को प्रवासियों की महत्वपूर्ण आमद के परिणामस्वरूप पर्याप्त सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
  • आर्थिक चुनौतियाँ : दोनों देशों को गैर-टैरिफ बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जैसे लंबी सीमा शुल्क प्रक्रियाएं और नौकरशाही लालफीताशाही, जिसने व्यापार में बाधा उत्पन्न की है।
  • सुरक्षा चुनौतियाँ : बांग्लादेश में जमात-उल मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) जैसे विद्रोही समूहों की उपस्थिति आतंकवाद के बारे में चिंता पैदा करती है।
    • यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA), नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड और नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा जैसे भारत में प्रतिबंधित संगठनों की बांग्लादेश में सक्रियता आशंका भी चिंता का विषय है।
  • तीस्ता नदी विवाद : तीस्ता नदी में न्यूनतम जल प्रवाह को बनाए रखने के लिए वर्ष 2011 में एक समझौता हुआ था जिसके तहत भारत को 42.5% पानी, बांग्लादेश को 37.5% पानी और शेष 20% पानी को बहने की पूरी छूट दी गई थी।
    • कुछ मतभेदों के कारण यह समझौता अभी तक लागू नहीं हो पाया है।
    • इसके अलावा ब्रह्मपुत्र और गंगा के जल के वितरण पर भी तनाव है।
  • बांग्लादेश में चीन का निवेश : चीन बांग्लादेश में अपना निवेश बढ़ा रहा है, खासकर बुनियादी ढांचे के विकास, ऊर्जा और दूरसंचार के क्षेत्रों में। 
    • उदाहरण के लिए, बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) और चटगांव बंदरगाह में निवेश।

भारत-बांग्लादेश संबंध के संबंध में आगे की राह क्या हो सकती है?

  • रक्षा उपकरणों की पेशकश : भारत ने बांग्लादेश को ब्रह्मोस मिसाइलों और नौसैनिक जहाजों की पेशकश की है। इससे आपसी विश्वास बढ़ेगा और द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक गहराई मिलेगी।
  • तीस्ता नदी जल विवाद का हल : तीस्ता नदी जल बंटवारे की सीमा का सीमांकन करने और समयबद्ध तरीके से आपसी समझौते पर पहुंचने की दिशा में आम सहमति बनाने की आवश्यकता है।
  • अवैध अप्रवास पर रोक : अवैध अप्रवासियों को निर्वासित किया जाना चाहिए और अवैध प्रवास पर लगाम लगाया जाना चाहिए। 
    • इसके अलावा, सरकार को अनधिकृत अप्रवासियों को नागरिकता या मतदान का अधिकार नहीं देना चाहिए।
  • शरणार्थी संकट : भारत और बांग्लादेश दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के अन्य देशों को शरणार्थियों पर सार्क घोषणापत्र तैयार करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।
    • इसके माध्यम से शरणार्थियों और आर्थिक प्रवासियों की स्थिति निर्धारित करने के लिए एक विशिष्ट प्रक्रिया निर्धारित की जा सकती है।
  • व्यापार घाटा : बांग्लादेश भारत के साथ अपने व्यापार घाटे को लेकर चिंतित है। अतः दोनों देशों के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता संबंधों को अधिक मजबूती प्रदान कर सकता है।
  • ऊर्जा सुरक्षा : जैसे-जैसे वैश्विक ऊर्जा संकट बढ़ता जा रहा है, यह जरूरी है कि भारत और बांग्लादेश दक्षिण एशिया को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वच्छ व हरित ऊर्जा का उपयोग करने में सहयोग करें।
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