प्रारंभिक परीक्षा के लिए - भारत-चीन सीमा विवाद मुख्य परीक्षा के लिए, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - भारत एवं इसके पड़ोसी देशों के साथ संबंध |
संदर्भ
- हाल ही में, चीन द्वारा भारत-भूटान-चीन ट्राई-जंक्शन के किनारे तोरसा नाला के पास एक रोपवे स्थापित किया गया।
- चीन द्वारा इस पूरे क्षेत्र में सड़कों और अन्य बुनियादी ढांचे को लगातार मजबूत किया जा रहा है, जहां कुछ साल पहले भारतीय और चीनी सेना के बीच गतिरोध देखा गया था।
भारत-चीन सीमा विवाद के प्रमुख क्षेत्र
लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल(LAC)
- वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC), भारत और चीन के बीच की वास्तविक सीमा रेखा है।
- वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पश्चिमी (लद्दाख), मध्य (हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड), और पूर्वी (अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम) क्षेत्रों में विभाजित है।
- यह एक प्रकार की युद्ध विराम रेखा है क्योंकि 1962 के भारत चीन युद्घ के बाद दोनों देशों की सेनाएँ जहाँ तैनात थी, उसे ही वास्तविक नियंत्रण रेखा मान लिया गया।
- लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल शब्द मूल रूप से 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद केवल पश्चिमी क्षेत्र में सीमा के लिए संदर्भित था, लेकिन 1990 के दशक के बाद से लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल शब्द का प्रयोग पूरी वास्तविक सीमा का उल्लेख करने के लिए किया जाने लगा।
- लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) को 1993 और 1996 में हस्ताक्षरित चीन-भारतीय समझौतों के माध्यम से कानूनी मान्यता प्राप्त हुई।
मैकमहोन रेखा
- मैकमहोन रेखा भारत और तिब्बत के बीच सीमा रेखा है।
- यह वर्ष 1914 में भारत की तत्कालीन ब्रिटिश सरकार और तिब्बत के बीच शिमला समझौते के तहत अस्तित्व में आई थी।
- इस सीमा रेखा का नाम सर हैनरी मैकमहोन के नाम पर रखा गया था, जिनकी इस समझौते में महत्त्वपूर्ण भूमिका थी वे भारत की तत्कालीन अंग्रेज सरकार के विदेश सचिव थे।
- 1937 में भारतीय सर्वेक्षण विभाग के एक मानचित्र में मैकमहोन रेखा को आधिकारिक भारतीय सीमा रेखा के रूप में दिखाया गया था।
- चीन 1914 के शिमला समझौते को मानने से इनकार करता है, चीन के अनुसार तिब्बत स्वायत्त राज्य नहीं था और उसके पास किसी भी प्रकार के समझौते करने का कोई अधिकार नहीं था।
- चीन के आधिकारिक मानचित्रों में मैकमहोन रेखा के दक्षिण में 56 हजार वर्ग मील के क्षेत्र को तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र का हिस्सा माना जाता है, जिसे चीन में दक्षिणी तिब्बत के नाम से जाना जाता है।
अक्साई चिन
- अक्साई चिन या अक्सेचिन, चीन और भारत के संयोजन में तिब्बती पठार के उत्तर-पश्चिम में स्थित एक विवादित क्षेत्र है।
- यह कुनलुन पर्वतों के ठीक नीचे स्थित है।
- अक्साई चिन लगभग 5000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित नमक का मरुस्थल है।
- 'अक्साई चिन' के नाम का अर्थ 'सफ़ेद पथरीली घाटी का रेगिस्तान' है।
- इस क्षेत्र में 'अक्साई चिन' (अक्सेचिन) नाम की झील और 'अक्साई चिन' नाम की नदी है।
- यहां वर्षा और हिमपात ना के बराबर होता है क्योंकि हिमालय और अन्य पर्वत भारतीय मानसूनी हवाओं को यहां आने से रोक देते हैं।
- भौगोलिक दृष्टि से अक्साई चिन तिब्बती पठार का भाग है यह क्षेत्र लगभग निर्जन है और यहां पर स्थायी बस्तियां नहीं है।
- ऐतिहासिक रूप से अक्साई चिन भारत को रेशम मार्ग से जोड़ने का माध्यम था, भारत से तुर्किस्तान का व्यापार मार्ग लद्दाख़ और अक्साई चिन के रास्ते से होते हुए काश्गर शहर तक जाता था।
- 1950 के दशक से यह क्षेत्र चीन क़ब्ज़े में है।
- जॉनसन लाइन अक्साई चिन को एक भारतीय क्षेत्र के रूप में चिन्हित करती है।
- मैकडोनाल्ड लाइन अक्साई चिन को चीनी क्षेत्र के रूप में चिन्हित करती है।
दौलत बेग ओल्डी
- दौलत बेग ओल्डी भारत के लद्दाख़ प्रदेश में स्थित है, इसके ठीक दक्षिण में चिपचप नदी बहती है।
- ऐतिहासिक रूप से यह भारत और पूर्वी तुर्किस्तान के बीच के व्यापारिक मार्ग पर एक पड़ाव हुआ करता था।
- इसका नाम सुल्तान सईद खान(दौलत बेग) के नाम पर रखा गया है, जो लद्दाख और कश्मीर के आक्रमण के बाद अपनी वापसी की यात्रा पर यहां आए थे।
- सियाचेन ग्लेशियर को छोड़कर यह भारत का सबसे उत्तर में स्थित स्थाई सैनिक अड्डा है।
- 2013 में चीनी फ़ौज ने इस क्षेत्र में घुसपैठ करने का प्रयास किया था।
पैंगोंग त्सो झील
- 134 किलोमीटर लंबी पैंगोंग त्सो झील हिमालय में क़रीब 14,000 फुट से ज़्यादा की ऊंचाई पर स्थित है।
- इस झील का 45 किलोमीटर क्षेत्र भारत में पड़ता है, जबकि 90 किलोमीटर क्षेत्र चीन में आता है।
- वास्तविक नियंत्रण रेखा इस झील के बीच से गुज़रती है।
गलवान घाटी
- गलवान घाटी, लद्दाख और अक्साई चिन के बीच भारत-चीन सीमा के नज़दीक स्थित है।
- यहां पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) अक्साई चिन को भारत से अलग करती है।
- ये घाटी चीन के दक्षिणी शिनजियांग और भारत के लद्दाख तक फैली है।
- 1962 से ही गलवान घाटी भारत-चीन के बीच संघर्ष का एक कारण रहा है।
- इस घाटी से गलवान नदी बहती है जो अक्साई चीन से निकलती है और आगे भारत की श्योक नदी (Shyok River) से मिल जाती है।
डोकलाम
- डोकलाम चीन और भूटान के बीच स्थित है यह एक ट्राई-जंक्शन प्वाइंट है जो सिक्किम बॉर्डर के नज़दीक है।
- भूटान और चीन दोनों इस इलाक़े पर अपना दावा करते हैं, भारत भूटान के दावे का समर्थन करता है।
- भूटान की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारत के पास है, 2007 में भारत और भूटान के बीच हुई संधि के प्रावधानों के अनुसार दोनों देश एक दूसरे की राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध हैं।
चुम्बी घाटी
- चुम्बी घाटी, तिब्बत में स्थित एक घाटी है, यह उस स्थान पर है जहाँ भारत, भूटान और तिब्बत की सीमाएँ मिलती हैं।
- भारत और चीन के बीच के 2 अहम दर्रे, नाथू-ला और जेलप-ला यहां खुलते हैं।
- चुम्बी घाटी से सिलीगुड़ी गलियारे की दूरी सिर्फ 50 किलोमीटर है।
तवांग
- तवांग, अरुणाचल प्रदेश में स्थित है, यह बौद्धों का प्रमुख धर्मस्थल भी है।
- चीन के अनुसार, तवांग और तिब्बत में बहुत ज़्यादा सांस्कृतिक समानता है और तवांग तिब्बत का हिस्सा है।
- 1914 में ब्रिटिश भारत और तिब्बत के प्रतिनिधियों के बीच हुए समझौते के अनुसार अरुणाचल प्रदेश के उत्तरी हिस्से तवांग और दक्षिणी हिस्से को भारत का हिस्सा मान लिया गया था।
- 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान चीन ने तवांग पर क़ब्ज़ा कर लिया था लेकिन अरुणाचल की भौगोलिक स्थिति पूरी तरह से भारत के पक्ष में है इसलिए चीन तवांग से पीछे हट गया।
नाथू ला और चो ला
- नाथू ला और चो ला संघर्ष, जिसे द्वितीय चीन-भारतीय युद्ध के रूप में भी जाना जाता है, भारत और चीन के बीच सिक्किम (तब एक भारतीय रक्षक) और तिब्बत (चीन का हिस्सा) की सीमा के साथ सैन्य संघर्षों की एक श्रृंखला थी।
- नाथू ला और जेलेप ला इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वे भारत और तिब्बत के बीच व्यापार मार्गों पर स्थित हैं, और चुम्बी घाटी के माध्यम से प्रवेश का एकमात्र साधन प्रदान करते हैं।