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दुनिया के कुल कुष्ठ रोगियों में से 52% भारत में 

प्रारंभिक परीक्षा – कुष्ठ रोग
मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 – स्वास्थ्य

सन्दर्भ 

  • 2005 में भारत को "कुष्ठ रोग उन्मूलित" घोषित किए जाने के बावजूद, अभी भी विश्व के कुल कुष्ठ रोगियों में से आधे से अधिक (52%) भारत में हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य 

  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2030 तक कुष्ठ संक्रमण के शून्य मामलों को प्राप्त करने के लिए 2023-2027 के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना और रोडमैप तैयार किया है।
  • कुष्ठ रोग की प्रसार दर 2014-15 में प्रति 10,000 जनसंख्या पर 0.69 से घटकर 2021-22 में 0.45 हो गई है। 
  • प्रति एक लाख जनसंख्या पर वार्षिक रूप से नए मामलों की संख्या 2014-15 में 9.73 से घटकर 2021-22 में 5.52 हो गई है।

कुष्ठ रोग

  • कुष्ठ रोग एक दीर्घकालीन संक्रामक रोग है जो माइकोबैक्टीरियम लेप्री  जीवाणु के कारण होता है।
    • ये जीवाणु बहुत धीरे-धीरे बढ़ते हैं और संक्रमण के लक्षण विकसित होने में लगभग 20 वर्ष तक का समय लग सकता है।
  • कुष्ठ रोग एक उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (NTD) है।
  • इस संक्रमण की खोज करने वाले वैज्ञानिक के नाम पर कुष्ठ रोग को हैनसेन रोग भी कहा जाता है।
  • कुष्ठ रोग यह नसों, त्वचा, आंखों और नाक की परत (नेजल म्यूकोसा) को प्रभावित करता है।
  • यह जीवाणु लगातार संपर्क के दौरान नाक और मुंह से बूंदों के माध्यम से प्रेषित होते हैं।
  • कुष्ठ रोग से ग्रसित व्यक्ति से हाथ मिलाना या गले मिलना, एक साथ भोजन करना या एक दूसरे के पास बैठना जैसे आकस्मिक संपर्क से यह रोग नहीं फैलता है।

लक्षण 

  • पैरों के तलवों पर दर्द रहित छाले।
  • त्वचा के प्रभावित क्षेत्रों की सुन्नता।
  • मांसपेशियों में कमजोरी या पक्षाघात। 
  • त्वचा में जलन महसूस होना।

उपचार 

  • कुष्ठ रोग एक लाइलाज बीमारी है, वर्तमान में इसके अनुशंसित उपचार में तीन दवाएं शामिल हैं - डैप्सोन, रिफैम्पिसिन और क्लोफ़ाज़िमिन। 
    • इनके संयोजन को मल्टी-ड्रग थेरेपी (एमडीटी) के रूप में जाना जाता है। 
    • एमडीटी, रोगज़नक़ को मारता है और रोगी को ठीक करता है। 
  • कुष्ठ रोग का शीघ्र निदान और शीघ्र उपचार विकलांगता को रोकने में मदद कर सकता है। 

उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (NTD)

  • ‘उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग’ (NTD) उष्णकटिबंधीय संक्रामक रोगों का एक विविध समूह है, जो सामान्यतः अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका जैसे विकासशील क्षेत्रों की कम आय वाली आबादी में पाए जाते हैं।
  • ये कई प्रकार के रोगजनकों, जैसे- वायरस, बैक्टीरिया, प्रोटोजोआ और परजीवियों (हेल्मिंथ्स) द्वारा संचरित होते हैं। 
  • इन रोगों में डेंगू, रेबीज़, ब्लाइंड ट्रेकोमा, बुरुली अल्सर, एंडीमिक ट्रेपोनमेटोस (Yaws), कुष्ठ रोग (हैंसेन रोग) आदि प्रमुख हैं। 
  • वैश्विक रूप से प्रत्येक 5 में से 1 व्यक्ति एन.टी.डी. रोग से प्रभावित है।
  • अन्य संक्रामक रोगों जैसे एड्स, तपेदिक और मलेरिया के लिये उपचार व नैदानिक सुविधाएँ व्यापक रूप से उपलब्ध हैं, जबकि उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग से ग्रसित रोगियों की संख्या अधिक होने के बावजूद इनसे जुड़ी आवश्यक सुविधाओं का अभाव है।
  • रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (CDC) के अनुसार आवश्यक एवं प्रभावी नैदानिक उपायों के माध्यम से 6 प्रमुख एन.टी.डी. रोगों- गिनीकृमि (Dracunculiasis), लसीका फाइलेरिया, ओंकोकोर्सियासिस (Onchocerciasis), शिस्टोसोमियासिस (Schistosomiasis), मृदा संक्रमित हेल्मिंथ्स (एस्केरिस, हुकवर्म और व्हिपवर्म) तथा ट्रेकोमा को नियंत्रित या पूर्णतः समाप्त किया जा सकता है।
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