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भारत- इज़रायल के मध्य प्रगाढ़ होते संबंध

संदर्भ

हाल ही में, भारत व इज़रायल के मध्य राजनयिक संबंधों के 30 वर्ष पूरे हुए हैं। बदलते अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में इन दोनों देशों के मध्य स्थापित संबंधों की चर्चा करना आवश्यक प्रतीत होता है।

india-isreal-relationभारत – इज़रायल संबंधों के कार्यक्षेत्र 

राजनयिक संबंध

  • भारत ने वर्ष 1950 में इज़रायल को मान्यता दी, किंतु उसके साथ संबंधों को सामान्य करने में चार दशक से अधिक का समय लग गया।
  • वर्ष 1992 में इज़रायल और भारत ने क्रमशः नई दिल्ली और तेल अवीव में दूतावासों की स्थापना की। 
  • भारत ने जहाँ एक ओर फिलिस्तीन को ऐतिहासिक समर्थन तथा कच्चे तेल के लिये अरब देशों पर अधिक निर्भरता जैसे इज़रायल विरोधी कदम उठाए तो वहीं दूसरी तरफ इज़रायल के साथ संतुलन स्थापित करने के लिये वर्ष 1992 में इसके साथ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के लिये सहयोग समझौता किया।
  • वर्ष 2000 में तत्कालीन गृहमंत्री श्री लाल कृष्ण आडवाणी की इज़रायल यात्रा भारत की तरफ़ से पहला उच्च स्तरीय दौरा था।
  • वर्ष 2000 में ही तत्कालीन भारतीय विदेश मंत्री जसवंत सिंह की इज़रायल यात्रा के दौरान दोनों देशों ने संयुक्त आतंकवाद विरोधी आयोग का गठन किया।
  • वर्ष 2003 में एरियल शेरोन भारत की यात्रा करने वाले पहले इज़रायली प्रधानमंत्री बने।

फिलिस्तीन-इज़रायल के साथ संबंधों का संतुलन

  • भारत ने गाज़ा में एक प्रतिनिधि कार्यालय स्थापित किया, जो बाद में हमास (जिसने गाज़ा पर नियंत्रण प्राप्त किया) और फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (PLO) के विभाजन के पश्चात् रामल्लाह में स्थानांतरित हो गया।
  • वर्ष 1975 में भारत ने पी.एल.ओ. को दिल्ली में एक कार्यालय खोलने के लिये आमंत्रित किया तथा पाँच वर्ष बाद इसे राजनयिक दर्जा दिया। वर्ष 1988 में जब पी.एल.ओ. ने पूर्वी यरुशलम में अपनी राजधानी के साथ फिलिस्तीन के एक स्वतंत्र राज्य की घोषणा की तो भारत ने इसे तत्काल मान्यता प्रदान की।
  • भारत ने आत्मनिर्णय के फिलिस्तीनी अधिकार का समर्थन किया और फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन और इसके नेता यासिर अराफ़ात को फिलिस्तीनी लोगों के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में समर्थन दिया। 
  • वर्ष 2011 में भारत ने फिलिस्तीन को यूनेस्को का पूर्ण सदस्य बनने के लिये मत दिया और एक वर्ष पश्चात् संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव को सह-प्रायोजित किया। इसने फिलिस्तीन को मतदान के अधिकार के बिना संयुक्त राष्ट्र में ‘गैर-सदस्य’ पर्यवेक्षक राज्य बनने में सक्षम बनाया।

राजनयिक संबंधों में परिवर्तन

  • वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इज़रायल की यात्रा करने वाले पहले प्रधानमंत्री बने। वर्तमान सरकार ने पश्चिम एशिया में अपने संबंधों को बढ़ावा देने हेतु ‘डी- हाईफ़ेनेशन’ की नीति अपनाई। इसके तहत भारत, इज़रायल तथा फिलिस्तीन के साथ अपने संबंधों को एक-दूसरे से पूर्णत: पृथक रखता है।
  • विगत वर्ष इज़रायल-फिलिस्तीन हिंसा पर संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत ने बयान देते हुए इज़रायल को इस हिंसा के लिये ज़िम्मेदार ठहराते हुए दो राज्य समाधान (Two State Solutions) के लिये मज़बूत समर्थन व्यक्त किया।
  • वर्ष 2015 में भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र परिसर में फिलिस्तीनी ध्वज लगाने का भी समर्थन किया।
  • भारत की नीति में पहला बड़ा बदलाव वर्ष 2017 में महमूद अब्बास की यात्रा के दौरान आया, जब भारत ने एक बयान में एक फिलिस्तीनी राज्य की राजधानी के रूप में पूर्वी यरुशलम के समर्थन की परंपरा को त्याग दिया। 
  • वर्ष 2017 में जब भारतीय प्रधानमंत्री ने इज़रायल का दौरा किया तो अन्य गणमान्य व्यक्तियों के विपरीत उनकी यात्रा कार्यक्रम में रामल्लाह शामिल नहीं था। 
  • वहीं दूसरी तरफ, वर्ष 2018 में भारतीय प्रधानमंत्री ने रामल्लाह की अलग से यात्रा की तथा एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य का आह्वान किया।
  • भारत ने महासभा में उस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जिसमें ट्रंप प्रशासन द्वारा यरुशलम को इज़रायल की राजधानी के रूप में मान्यता देने का विरोध किया गया था।
  • वर्ष 2021 की शुरुआत में जिनेवा में आयोजित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद् के 46वें सत्र में भारत ने फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार पर, इज़रायली बंदोबस्त नीति पर तथा गोलन हाइट्स में मानवाधिकार की स्थिति से संबंधित प्रस्तावों पर इज़रायल के विरुद्ध मतदान किया, जबकि उस प्रस्ताव का समर्थन किया जो पूर्वी यरुशलम सहित फिलिस्तीन में मानवाधिकार की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद् की रिपोर्ट की मांग करता था।
  • यद्यपि अमेरिका द्वारा भारत सरकार पर इज़रायल द्वारा निर्मित पेगासस सॉफ्टवेयर के माध्यम से अपने नागरिकों की जासूसी का आरोप लगाया गया है, तथापि 30 वर्षों के राजनयिक संबंधों के संबोधन में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने इस पर चर्चा नहीं की है।

निवेश एवं व्यापारिक संबंध

  • वर्ष 1992 में भारत-इज़रायल राजनयिक संबंधों की शुरुआत के पश्चात् से द्विपक्षीय व्यापार में तेज़ी से वृद्धि से हुई है। यह वर्ष 1992 के 200 मिलियन डॉलर से बढ़कर वर्ष 2021 में 4.14 बिलियन डॉलर पहुँच गया है। इस व्यापार में भुगतान संतुलन भारत के पक्ष में है
  • भारत एशिया में इज़रायल का तीसरा सबसे बड़ा और विश्व स्तर पर सातवाँ सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। इज़रायल सरकार के बढ़ते व्यापार प्रयासों के लिये भारत एक ‘महत्त्वपूर्ण’ देश बना हुआ है।
  • सितंबर 2019 तक भारत का इज़रायल में बाह्य प्रत्यक्ष निवेश लगभग 118.24 मिलियन डॉलर था। भारतीय कंपनियाँ विलय एवं अधिग्रहण के माध्यम से इज़रायल में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं।
  • वर्ष 2000 से अप्रैल 2021 तक भारत में इज़रायल का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लगभग 224.76 मिलियन डॉलर था, जो मुख्यतः हाई-टेक डोमेन तथा कृषि क्षेत्र से संबंधित था।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में सहयोग

  • कृषि
    • 10 मई, 2006 को हस्ताक्षरित कृषि में सहयोग के लिये एक व्यापक कार्य योजना के तहत द्विपक्षीय परियोजनाओं को इज़रायल के विदेश मंत्रालय के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग केंद्र- ‘माशाव’ (MASHAV) तथा कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास सहयोग के लिये केंद्र ‘सिनाडको’ (CINADCO) के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है। दोनों पक्षों के बीच कृषि सहयोग को त्रि-वर्षीय कार्य योजनाओं के माध्यम से औपचारिक रूप दिया जाता है।
    • माशाव भारत में कई प्रयोगात्मक और प्रदर्शन परियोजनाओं के साथ सक्रिय है और पूसा में एक कृषि प्रदर्शन फार्म संचालित करता है।
    • कृषि से संबंधित पाँचवें त्रि-वार्षिक कार्यक्रम (2021-2023) पर 24 मई, 2021 को हस्ताक्षर किये गए थे। इसका उद्देश्य मौजूदा उत्कृष्टता केंद्रों (CoE) को विकसित करना, नए सी.ओ.ई. स्थापित करना, सी.ओ.ई. की मूल्य शृंखला को बढ़ाना तथा सी.ओ.ई. को आत्मनिर्भर मोड में लाना है।
    • भारतीय अधिकारी और व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल नियमित रूप से इज़रायल के त्रि-वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय कृषि प्रदर्शनी कार्यक्रम ‘एग्रीटेक’ में भाग लेते हैं, जो कृषि में इज़रायल की उपलब्धियों को प्रदर्शित करता है।
    • जल प्रौद्योगिकी
      • इस क्षेत्र में दोनों देशों के मध्य सहयोग को नवंबर 2016 में हस्ताक्षरित जल संसाधन प्रबंधन और विकास सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन के माध्यम से औपचारिक रूप दिया गया था।
      • भारत की कंपनियाँ और आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल नियमित रूप से इज़रायल में द्वि-वार्षिक कार्यक्रम ‘जल प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण नियंत्रण’ (WATEC) का दौरा करते हैं, जो इज़रायल की जल और ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करता है।
      • वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री की इज़रायल यात्रा के दौरान दोनों पक्षों ने (i) भारत में जल संरक्षण के लिये राष्‍ट्रीय अभियान पर भारत के पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय तथा इज़रायल के राष्ट्रीय अवसंरचना, ऊर्जा व जल संसाधन मंत्रालय के बीच समझौता ज्ञापन तथा (ii)
        भारत में राज्य जल उपयोगिता सुधार पर उत्तर प्रदेश जल निगम और इज़रायल के राष्ट्रीय अवसंरचना, ऊर्जा एवं जल संसाधन मंत्रालय के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये थे।
      • बुंदेलखंड क्षेत्र में जल संबंधी मुद्दों के समाधान के लिये इज़रायल और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच सहयोग की योजना पर अगस्त 2020 में हस्ताक्षर किये गए थे।
      • वर्ष 2019 में भारत के जलशक्ति मंत्री की पहली इज़रायल यात्रा के साथ भारत-इज़रायल जल सहयोग को और बढ़ावा मिला। यात्रा के दौरान जल शक्ति मंत्री ने ‘भारत-इज़रायल की जल पर रणनीतिक साझेदारी’ में भाग लिया था। 
      • इज़रायल की कंपनी आई.डी.ई. ने भारत में कई विलवणीकरण संयंत्र स्थापित किये हैं। 

      रक्षा सहयोग 

      • इज़रायल पिछले पाँच वर्षों से भारत के शीर्ष तीन रक्षा आपूर्तिकर्ताओं में से एक है।
      • वर्ष 2016-20 के दौरान भारत के आयात में रूस (49%) और फ्रांस (18%) के बाद इज़रायल का 13% योगदान रहा।
      • पिछले कुछ वर्षों में भारत ने इज़रायल की रक्षा सामग्रियों की एक विस्तृत शृंखला, जैसे-स्पाइडर क्विक-रिएक्शन एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल, हेरॉन, बराक एंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम, हारोप ड्रोन और एयरबोर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (AWACS) आदि को अपने सशस्त्र बल में शामिल किया है।
      • वर्ष 2021 में इज़रायल में आयोजित बहु-पक्षीय वायुसेना अभ्यास ब्लू-फ्लैग में भारत ने भी भाग लिया।
      • विदित है कि  द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर संयुक्त कार्य समूह (JWG) की 15वीं बैठक में दोनों देशों ने परस्पर सहयोग के नए क्षेत्रों की पहचान करने हेतु अगले दस वर्षों के लिये एक विस्तृत रोडमैप बनाने के लिये टास्क फ़ोर्स गठित करने पर भी सहमति व्यक्त की है।

      नवाचार सहयोग

      • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारत-इज़रायल सहयोग की निगरानी, ‘विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर संयुक्त समिति’ द्वारा की जाती है। इसे वर्ष 1993 में हस्ताक्षरित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग समझौते के तहत स्थापित किया गया था। 
      • वर्ष 2017 में भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान संयुक्त परियोजनाओं के लिये  40 मिलियन अमेरिकी डॉलर का भारत-इज़रायल औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास और तकनीकी नवाचार कोष (I4F) भी स्थापित किया गया
      • यह समझौता ज्ञापन भारतीय और इज़रायली उद्यमों को संयुक्त अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसने दस से अधिक अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को वित्त पोषित किया, जिसमें तपेदिक का जल्द पता लगाने के लिये अपोलो-ज़ेबरा मेडिकल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित परियोजना शामिल है।
      • इज़रायल के ‘स्टार्टअप नेशन सेंट्रल’ और भारत के ‘इंटरनेशनल सेंटर फॉर एंटरप्रेन्योरशिप एंड टेक्नोलॉजी’ (i -CREATE)  ने सितंबर 2020 में नवाचार एवं तकनीकी सहयोग में तेज़ी लाने के लिये एक द्विपक्षीय कार्यक्रम पर हस्ताक्षर किये।
      • भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और इज़रायल के रक्षा अनुसंधान एवं विकास निदेशालय ने नवंबर 2021 में द्विपक्षीय नवाचार समझौते पर हस्ताक्षर किये।

      सांस्कृतिक संबंध

      • भारत तथा इज़रायल के मध्य सांस्कृतिक संबंध दो सहस्राब्दियों से भी अधिक पुराने हैं। भारत में सदियों से यहूदियों का आवागमन रहा है और उन्होंने अपने योगदान से भारतीय संस्कृति को समृद्ध किया। 
      • भारत को इज़रायल में एक प्राचीन राष्ट्र के रूप में समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं और एक आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है।
      • नई दिल्ली और तेल अवीव के बीच मार्च 2018 से एयर इंडिया की उड़ानें शुरू होने से पर्यटन और जनसंपर्क को बढ़ावा मिला है।
      • वर्ष 2012 से इज़रायल सरकार सभी क्षेत्रों में भारतीय छात्रों को अल्पकालिक ग्रीष्मकालीन छात्रवृत्ति तथा पोस्ट-डॉक्टरेट छात्रवृत्ति प्रदान कर रही है। 
      • भारत सरकार, भारतीय संस्थानों में विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिये प्रतिवर्ष इज़रायल के छात्रों को अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् के तहत छात्रवृत्ति प्रदान करती है।
      • इज़रायल में योग और आयुर्वेद लोकप्रिय हैं, इसलिये अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को इज़रायल में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। 
      • सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिये तेल अवीव में भारतीय सांस्कृतिक केंद्र नियमित रूप से कार्यक्रम आयोजित करता है।
      • इज़रायल में भारतीय मूल के लगभग 85000 यहूदी इज़रायली पासपोर्ट धारक हैं। वर्ष 2013 में इज़रायली दूतावास ने भारतीय यहूदियों के पहले राष्ट्रीय सम्मलेन को आयोजित करने की सुविधा प्रदान की।
      • भारत सरकार का ‘भारत को जानो कार्यक्रम’ इज़रायल में रह रहे भारतीय यहूदियों से संपर्क स्थापित करने में सफल रहा है।

      निष्कर्ष

      भारत-इज़रायल संबंध प्रारंभ से ही सौहार्दपूर्ण रहे हैं। यद्यपि फ़िलिस्तीन को राष्ट्र के रूप में मान्यता देने से इसमें कुछ गिरावट देखी गई, किंतु वर्तमान में भारत की ‘डी- हाईफ़ेनेशन’ नीति से संबंधों में पुनः तेज़ी आई है। भारत को अपने रणनीतिक हितों को देखते हुए अपनी विदेश नीति बनानी होगी, ताकि पश्चिम एशिया में स्थिरता को बढ़ावा देने के साथ ही अपने हितों की भी पूर्ति की जा सके।

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