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भारत द्वारा ड्रोन के लिए निर्यात नीति का उदारीकरण

प्रारंभिक परीक्षा - स्कोमेट (SCOMET) सूची
मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र 2 और 3 - सरकारी नीतियां एवं हस्तक्षेप, सुरक्षा

चर्चा में क्यों ?

  • भारत द्वारा ड्रोन के लिए निर्यात नीति का उदारीकरण कर दिया गया है।

संबंधित तथ्य

  • ड्रोन/यूएवी के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने भारत से नागरिक उपयोग के लिए ड्रोन/यूएवी के निर्यात की नीति को सरल और उदार बना दिया है। 
  • यह निर्णय भारत की विदेश व्यापार नीति-2023 के अनुरूप है जिसमें हाई-टेक वस्तुओं के निर्यात को सुगम बनाने पर ज़ोर दिया गया है।
  • इसमें अप्रसार पर भारत के अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों को ध्यान में रखते हुए नागरिक उपयोग के लिए भारत में निर्मित ड्रोन/यूएवी के निर्यात को बढ़ावा देना शामिल है।
  • सभी प्रकार के ड्रोन/यूएवी को पहले आयात और निर्यात वस्तुओं के आईटीसीएचएस वर्गीकरण की अनुसूची 2 के परिशिष्ट 3 के तहत स्कोमेट (विशेष रसायन जीव सामग्री उपकरण और प्रौद्योगिकी) सूची की श्रेणी 5बी के तहत निर्यात के लिए नियंत्रित/प्रतिबंधित किया गया था।

स्कोमेट (SCOMET) सूची क्या है ?

  • SCOMET-Special Chemicals, Organisms, Materials, Equipment, and Technologies का संक्षिप्त रूप है। यह सूची दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं से संबंधित है जिनका उपयोग नागरिक और सैन्य दोनों अनुप्रयोगों के लिए किया जा सकता है।
  • भारत की विदेश व्यापार नीति SCOMET सूची में वस्तुओं के निर्यात को नियंत्रित करती है।
  • SCOMET का निर्यात करने के लिए निर्यातकों को वाणिज्य मंत्रालय के विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) से लाइसेंस प्राप्त करना होगा।

स्कोमेट वस्तुओं की श्रेणियां:

  • नियंत्रण मदों के आधार पर, SCOMET को "0" से शुरू होकर "8" तक (श्रेणी 7 को आरक्षित रखते हुए) 9 श्रेणियों में विभाजित किया गया है।
  • प्रत्येक श्रेणी में उस श्रेणी के अंतर्गत आने वाली वस्तुओं की विस्तृत सूची होती है। विभिन्न श्रेणियों के तहत वस्तुओं पर लागू होने वाली विशेष शर्तों का उल्लेख प्रत्येक श्रेणी के तहत किया गया है।

    विभिन्न श्रेणियों के अंतर्गत सूचीबद्ध नियंत्रण आइटम इस प्रकार हैं:

    आईटीसीएचएस वर्गीकरण:
  • आयात-निर्यात संचालन के लिए भारत में हार्मोनाइज्ड सिस्टम (आईटीसीएचएस) पर आधारित भारतीय व्यापार वर्गीकरण को अपनाया गया था।
  • भारतीय कस्टम आठ अंकों वाले आईटीसी-एचएस कोड का उपयोग करता है।
  • आईटीसी-एचएस कोड अनुसूचियां:आईटीसी-एचएस कोड दो अनुसूचियों में विभाजित हैं।
  • अनुसूची I में आयात नीतियों से संबंधित नियमों और दिशानिर्देशों का वर्णन है
  • अनुसूची II में निर्यात नीतियों से संबंधित नियमों और विनियमों का वर्णन किया गया है।

नीति परिवर्तन से होने वाले लाभ:

  • 'ड्रोन निर्यात के लिए सामान्य प्राधिकार' (जीएईडी) की अनुमति पाए ड्रोन निर्माताओं/निर्यातकों को रिपोर्टिंग और अन्य दस्तावेजी आवश्यकताओं के अधीन 3 साल की वैधता अवधि के भीतर, नागरिक उपयोग वाले प्रत्येक ऐसे निर्यात शिपमेंट के लिए स्कोमेट लाइसेंस का आवेदन करने की जरूरत नहीं होगी।
  • इससे इस उद्योग के लिए अनुपालन कुछ कम होगा और उन्हें हर बार किसी भी प्रकार के नागरिक ड्रोन/यूएवी का निर्यात करने के लिए स्कोमेट लाइसेंस के लिए आवेदन नहीं करना होगा।
  • इससे ड्रोन/यूएवी निर्माताओं/उद्योग को ड्रोन निर्यात करने में आसानी होगी, जिससे व्यापार करने में आसानी होगी और भारत से निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
  • इस नीति परिवर्तन से भारत को ड्रोन/यूएवी के वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में भी बढ़ावा मिलेगा और इस क्षेत्र में स्टार्ट-अप्स/नए ड्रोन निर्माताओं को अपना आकार बड़ा करने और वैश्विक बाजारों का रुख करने के लिए प्रेरणा मिलेगी।
  • यह भारतीय ड्रोन निर्माताओं को बड़े बाजारों तक पहुंचने और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति देगा, जिससे अंततः आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा मिलेगा।
  • ड्रोन पर निर्यात नियंत्रण को उदार बनाने से ड्रोन/यूएवी उद्योग में इनोवेशन और तकनीकी प्रगति को भी बढ़ावा मिल सकता है।
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