(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र-2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध)
संदर्भ
विगत तीन वर्षों से अर्थात् जब से मालदीव में राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह निर्वाचित हुए हैं, तब से सोशल मीडिया पर 'इंडिया आउट' (#IndiaOut) अभियान चल रहा है। अभियान ने पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की रिहाई के बाद उनके नेतृत्व में ज़ोर पकड़ा है।
इंडिया आउट अभियान
- इस अभियान का नेतृत्व मुख्यतः सरकार के आलोचकों द्वारा किया जा रहा है। उनका आरोप है कि सोलिह सरकार में ‘भारत का हस्तक्षेप बहुत बढ़ रहा है’ एवं राष्ट्र की ‘संप्रभुता के साथ समझौता’ किया जा रहा है। साथ ही, आरोपी मालदीव में तथाकथित भारतीय सेना की उपस्थिति का विरोध भी कर रहे हैं।
- यद्यपि सोलिह सरकार ने देश में किसी भी भारतीय सैन्य उपस्थिति या राष्ट्र की संप्रभुता पर खतरे से इनकार किया है।
किन पहलों की प्रतिक्रिया है इंडिया आउट अभियान?
- मालदीव ने भारत के साथ ‘मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल तटरक्षक बंदरगाह- उथुरु थिला फल्हू (UTF) बंदरगाह विकास समझौता किया है, जिसे सरकार के आलोचकों द्वारा मालदीव में भारतीय सैन्य उपस्थिति को अनुमति देने के रूप में देखा जा रहा है। इसके कारण अभियान ने फरवरी 2021 में ज़ोर पकड़ा था।
- इसी तरह का प्रतिरोध जून में दक्षिणी एडु एटोल में भारत द्वारा वाणिज्य दूतावास खोलने की घोषणा के दौरान हुआ। हालिया 'इंडिया आउट' अभियान ने इस पहल के विरोध को नवीनीकृत कर दिया है, जबकि ऐसे द्विपक्षीय संबंधों में विस्तार देशों के बहुआयामी संवृद्धि को गति देते हैं।
- मालदीव की रक्षा मंत्री के अनुसार, डॉकयार्ड एवं बंदरगाह का विकास मालदीव को ‘समुद्री हितों की रक्षा करने और संप्रभुता को बढ़ाने में आत्मनिर्भरता’ का अवसर देगा।
विदेश नीति में वैचारिक दृष्टिकोण का प्रभाव
- वर्ष 2013 से 2018 तक चीन का प्रभाव
- यामीन को चीन का मित्र माना जाता है। राष्ट्रपति के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, चीन से नजदीकियों के कारण भारत-मालदीव संबंध काफी तनावपूर्ण रहे। रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण लामू और अड्डू एटोल से दो भारतीय हेलीकॉप्टरों को वापस लेने के लिये यामीन के अल्टीमेटम ने भारत के तनाव को बढ़ा दिया था।
- अर्थव्यवस्था और सुरक्षा मामलों पर भारत के साथ लगातार टकराव ने उनके कार्यकाल के अंत में द्विपक्षीय संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया।
- वर्ष 2018 के बाद 'भारत प्रथम' की नीति
- सोलिह प्रशासन के नेतृत्व में मालदीव ने 'भारत प्रथम' की नीति का विकल्प चुना। यह भारत को पहली पसंद के रूप में दर्शाता है, वह चाहे सुरक्षा साझेदारी हो, विकास सहायता हो या कोविड-19 में प्रतिक्रिया के रूप में वैक्सीन उपलब्ध कराना।
- भारत ने अपनी ओर से मालदीव की ‘सामाजिक-आर्थिक विकास की ज़रूरतों’ के लिये $1.4 बिलियन की वचनबद्धता जाहिर की है।
- भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में मालदीव को अध्यक्ष पद दिलाने के लिये व्यापक स्तर पर समर्थन दिया है।
'इंडिया आउट' पर सरकार का पक्ष
- सरकार ने 'इंडिया आउट' अभियान को खारिज कर दिया है और बयान जारी कर ‘भारत के प्रति नफरत फैलाने के लिये गुमराह और निराधार जानकारी’ फैलाने के प्रयासों पर चिंता व्यक्त की है। सरकार ने अभियान के लिये ‘व्यक्तियों के एक छोटे समूह और कुछ राजनीतिक व्यक्तित्वों’ को ज़िम्मेदार ठहराया है।
- सरकार का हालिया बयान है कि “अपने सभी अंतर्राष्ट्रीय सहयोगियों के साथ देश के संबंध लंबे समय से परस्पर सम्मान और समझ के सिद्धांतों पर आधारित हैं और राष्ट्र विशेष और अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार हैं। अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में इस तरह के जुड़ाव मालदीव की स्वतंत्रता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को कमज़ोर नहीं करते। वास्तव में, यह मालदीव के राष्ट्रीय हितों को बढ़ावा देंगे"।
निष्कर्ष
मालदीव में आगामी राष्ट्रपति चुनाव वर्ष 2023 में होने हैं, ऐसे में यामीन राजनीतिक वापसी करने की कोशिश कर रहे हैं। इसी क्रम में वे सत्ता विरोधी लहर और उनके प्रति वफादार वर्गों के बीच भारत विरोधी भावनाओं का प्रसार कर रहे हैं। हालाँकि, द्वि-दलीय संघर्ष तथा चुनाव जीतने के लिये भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया, मालदीव में विकास की संभावनाओं को ही बाधित करेगा।