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इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में वृद्धि के लिये भारत का प्रयास 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) के साथ मिलकर इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के लिये 5 वर्षीय रोडमैप और विजन दस्तावेज़ जारी किया। 

उत्पादन अनुमान

  • इस दस्तावेज़ का शीर्षक ‘2026 तक 300 बिलियन अमरीकी डॉलर का सतत इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण और निर्यात’ है। यह रोडमैप दो-भाग वाले विजन दस्तावेज़ का दूसरा खंड है। इसका पहला खंड ‘भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात एवं वैश्विक मूल्य श्रृंखला (GVC) में हिस्सेदारी बढ़ाना’ शीर्षक के रूप में नवंबर 2021 में जारी किया गया था।
  • इस रिपोर्ट में विभिन्न उत्पादों के लिये वर्ष-वार विवरण एवं कुल उत्पादन अनुमान प्रस्तुत किया गया है। इसमें कुल इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन वर्तमान के 75 बिलियन डॉलर से बढ़कर वर्ष 2026 तक 300 बिलियन डॉलर होने की संभावना व्यक्त की गई है। 
  • उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति (एन.पी.ई.) 2019 में वर्ष 2025 तक 400 बिलियन डॉलर इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। हालाँकि, कोविड-19 जनित चुनौतियों को देखते हुए उत्पादन लक्ष्य को कम कर दिया गया है। 

उत्पादन में प्रमुख भूमिका

  • भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाने वाले उत्पादों में मोबाइल फोन, आई.टी. हार्डवेयर (लैपटॉप, टैबलेट आदि), उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स (टीवी और ऑडियो आदि), औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रॉनिक घटक, एल.ई.डी. लाइटिंग, रणनीतिक इलेक्ट्रॉनिक्स, पी.सी.बी.ए. (Printed Circuit Board Assembly) और दूरसंचार उपकरण शामिल हैं। 
  • मोबाइल निर्माण वर्तमान के 30 बिलियन से बढ़कर 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर वार्षिक उत्पादन को पार करने की उम्मीद है। विदित है कि भारत वर्तमान में मोबाइल का दूसरा सबसे बड़ा निर्माता है। 
  • अगले 5 वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक्स का घरेलू बाजार वर्तमान के 65 अरब से बढ़कर 180 अरब अमेरिकी डॉलर होने की उम्मीद है। इससे वर्ष 2026 तक इलेक्ट्रॉनिक्स भारत के शीर्ष तीन निर्यातों में शामिल हो सकता है।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात वर्ष 2021-22 में अनुमानित 15 बिलियन से बढ़कर वर्ष 2026 तक 120 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाने की उम्मीद है।

रणनीति में सरकार की भूमिका

  • उत्पादन रणनीति ‘ऑल ऑफ द गवर्नमेंट’ दृष्टिकोण पर आधारित है। सरकार ने अगले 6 वर्षों में चार पी.एल.आई. योजनाओं- सेमीकंडक्टर और डिजाइन, स्मार्टफोन, आई.टी. हार्डवेयर और कल-पुर्जों में लगभग 17 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रावधान किया है।
  • विजन दस्तावेज़ इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में कुल घरेलू मूल्यवर्धन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर देता है, क्योंकि भारत अपनी मौजूदा स्थिति में बदलाव के बाद चीन और वियतनाम से प्रतिस्पर्धा करने के लिये तैयार है। 
  • रिपोर्ट में इलेक्ट्रॉनिक घटकों पर एक प्रतिस्पर्धी टैरिफ संरचना और नियामक संबंधी सभी अनिश्चितताओं को दूर करने की माँग की गई है। रिपोर्ट में अर्थव्यवस्थाओं और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने, कुछ क्षेत्रों के लिये नई और संशोधित प्रोत्साहन योजनाओं के साथ-साथ टिकाऊपन और व्यापार संबंधी सुगमता के मुद्दों के समाधान की आवश्यकता पर जोर देने की रणनीति ‘विनर टेक्स ऑल’ की सिफारिश की गई है।

राष्‍ट्रीय इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स नीति 2019

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इस नीति में भारत को इलेक्ट्रॉनिकी प्रणाली डिजाइन एवं विनिर्माण (ESDM) के लिये एक वैश्विक हब बनाने की परिकल्पना की है। यह देश में चिपसेट सहित मुख्य घटकों को विकसित करने और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिये उद्योग के लिये एक सक्षम वातावरण बनाने पर ज़ोर दे रहा है।

नीति की मुख्य विशेषताएँ

  • विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी ई.एस.डी.एम क्षेत्र के लिये इको-सिस्टम बनाना एवं ई.एस.डी.एम की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में घरेलू विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा देना।
  • कोर इलेक्ट्रॉनिक घटकों के निर्माण के लिये प्रोत्साहन और सहायता प्रदान करना।
  • मेगा परियोजनाओं के लिये प्रोत्साहन, जैसे कि सेमीकंडक्टर सुविधाएँ, डिस्प्ले फैब्रिकेशन, आदि।
  • नई इकाइयों को प्रोत्साहित करने और मौजूदा इकाइयों के विस्तार के लिये उपयुक्त योजनाएँ और प्रोत्साहन तंत्र तैयार करना।
  • 5जी, सेंसर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ए.आई.), मशीन लर्निंग, वर्चुअल रियलिटी जैसे उभरते प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में जमीनी स्तर के नवाचारों और शुरुआती चरण के स्टार्ट-अप को बढ़ावा देना।
  • कौशल विकास सहित कुशल जनशक्ति की उपलब्धता के लिये प्रोत्साहन और सहायता प्रदान करना।
  • फैबलेस चिप डिजाइन उद्योग, चिकित्सा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण उद्योग, मोटर वाहन इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग और गतिशीलता और सामरिक इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के लिये पावर इलेक्ट्रॉनिक्स पर विशेष जोर देना।
  • ई.एस.डी.एम. क्षेत्र में आई.पी. के विकास और अधिग्रहण को बढ़ावा देने के लिये सॉवरेन पेटेंट फंड (SPF) बनाना।
  • राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा प्रोफ़ाइल में सुधार के लिये विश्वसनीय इलेक्ट्रॉनिक्स मूल्य श्रृंखला पहल को बढ़ावा देना।

प्रभाव

  • एन.पी.ई 2019 के लागू होने के बाद देश में ई.एस.डी.एम. क्षेत्र के विकास के लिये संबंधित मंत्रालयों एवं विभागों के परामर्श से कई योजनाओं, पहलों, परियोजनाओं आदि का निर्माण हो रहा है। 
  • यह निवेश और प्रौद्योगिकी प्रवाह को सक्षम करेगा, जिससे घरेलू रूप से निर्मित इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के मूल्य वर्धन, इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर विनिर्माण और उनके निर्यात में वृद्धि होगी और रोज़गार के अवसर उत्पन्न होंगे।
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