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भारत के नीली अर्थव्यवस्था की ओर बढते कदम: भारत-फ्रांस संबंध

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 एवं 3: अंतर्राष्ट्रीय संबंध, जैव विविधता और संरक्षण)

संदर्भ

भारत और फ्रांस ने नीली अर्थव्यवस्था और महासागरीय शासन पर द्विपक्षीय आदान-प्रदान बढ़ाने के लिये एक रोडमैप पर हस्ताक्षर किये हैं। यह रोडमैप दोनों देशों की अर्थव्यवस्था, समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा, पर्यावरणीय सुरक्षा के रूप में परस्पर सहयोग को बढ़ावा देता है।  

उद्देश्य

इस रोडमैप का उद्देश्य कानून के शासन के आधार पर महासागरीय शासन के लिये एक सामान्य दृष्टिकोण अपनाने और परिस्थिति के अनुकूल मज़बूत तटीय एवं जलमार्ग के बुनियादी ढाँचे के विकास हेतु सहयोग करना है। 

प्रस्तावित रोडमैप का कार्यक्षेत्र

रोडमैप के अंतर्गत समुद्री व्यापार, नौसेना उद्योग, मत्स्य पालन, समुद्री प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिक अनुसंधान, महासागर अवलोकन, समुद्री जैव विविधता, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र आधारित प्रबंधन और एकीकृत तटीय प्रबंधन, समुद्री पर्यावरण पर्यटन, अंतर्देशीय जलमार्ग, नागरिक पर सक्षम प्रशासन के बीच सहयोग, समुद्री स्थानिक योजना के साथ-साथ समुद्र के अंतर्राष्ट्रीय कानून और संबंधित बहुपक्षीय वार्ता में सहयोग को शामिल किया गया है।

भारत-फ्रांस की नीली अर्थव्यवस्था के लिये प्रतिबद्धता

  • पर्यावरण, तटीय तथा समुद्री जैव विविधता का सम्मान करते हुए दोनों देश नीली अर्थव्यवस्था को सामाजिक प्रगति के वाहक के रूप में आगे ले जाने के लिये संकल्पबद्ध हैं। 
  • दोनों देशों का लक्ष्य वैज्ञानिक ज्ञान और महासागरीय संरक्षण में योगदान करना है और यह सुनिश्चित करना है कि कानून के शासन के आधार पर महासागर स्वतंत्र व्यापार स्थल के रूप में बना रहे।
  • दोनों देश संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य में योगदान करने के लिये प्रतिबद्ध हैं। इसमें महासागरों और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और सतत उपयोग करना शामिल है।
  • दोनों देशों ने मछली पकड़ने (Fishing) के लिये एक स्थायी दृष्टिकोण की बात की है। यह मध्यम और लंबी अवधि में संसाधन का संरक्षण करते हुए इस क्षेत्र के पेशेवरों के सम्मानजनक जीवन को सुनिश्चित करेगा।
  • दोनों देश ‘यूरोपीय संघ-भारत रणनीतिक साझेदारी : 2025 के लिये एक रोडमैप’ (EU-India Strategic Partnership : A Roadmap to 2025) और यूरोपीय संघ की हिंद-प्रशांत क्षेत्र रणनीति में सहयोग के लिये नीली अर्थव्यवस्था व महासागरीय शासन पर यूरोपीय संघ तथा भारत के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिये भी प्रतिबद्ध हैं।
  • गौरतलब है कि दोनों पक्षों ने नीली अर्थव्यवस्था और महासागरीय शासन पर एक वार्षिक द्विपक्षीय वार्ता आयोजित करने की योजना भी बनाई है।

अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सहयोग को बढ़ावा

  • दोनों देश समुद्र के अंतर्राष्ट्रीय कानून को मज़बूत करने और नई चुनौतियों के अनुकूल होने के लिये बहुपक्षीय निकायों और वार्ता में अपनी स्थिति का समन्वय करेंगे। 
  • इसके अतिरिक्त, वर्ष 2022 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा के पाँचवे सत्र के मद्देनजर अपने समन्वय को भी बढ़ाएँगे, ताकि समुद्री प्लास्टिक कचरे और माइक्रोप्लास्टिक पर वैश्विक समझौते के लिये बातचीत शुरू करने में सहायता मिल सके।

नीली अर्थवयवस्था को आर्थिक क्षेत्र में प्रमुखता

दोनों देश अपने आर्थिक आदान-प्रदान के विकास में नीली अर्थव्यवस्था को प्राथमिकता देंगे। इसके लिये आर्थिक हितधारकों, व्यापार प्रमुख संगठनों, टेक्नोपोल और समुद्री समूहों के बीच संपर्क, क्रॉस निवेश, साथ ही नीली अर्थव्यवस्था में सक्रिय उद्यमियों को वीज़ा जारी करने की सुविधा प्रदान की जाएगी।

विशेषज्ञता का परस्पर लाभ

  • जलीय कृषि में फ्रांसीसी विशेषज्ञता को देखते हुए फ्रांस और भारत नई कृषि प्रौद्योगिकियों के वाणिज्यिक विकास, भोजन के लिये समुद्री जीवों की खेती में संयुक्त विकास और फार्मास्यूटिकल्स और आभूषण जैसे अन्य उत्पादों पर पर्यावरण अनुकूलता को ध्यान में रखते हुए काम करेंगे।
  • इसमें जलीय रोगों की रोकथाम के लिये ब्रूड बैंक (प्रजाति संरक्षण से संबंधित), न्यूक्लियस ब्रीडिंग सेंटर, हैचरी और नर्सरी, फीड सप्लाई और संयुक्त अध्ययन का संयुक्त विकास में परस्पर सहयोग को शामिल किया गया है।
  • दोनों पक्ष मौजूदा बुनियादी ढाँचे के उन्नयन, जलवायु परिवर्तन के प्रति परिस्थिति अनुकूल क्षमताओं में वृद्धि करने, बंदरगाहों की क्षमता बढ़ाने, भंडारण सुविधाओं के विकास, बंदरगाहों में प्लग एंड प्ले बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये ज्ञान और कार्यप्रणाली को साझा करने की दिशा में कार्य करेंगे।

शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र को बढ़ावा

  • दोनों देश संयुक्त परियोजनाओं का समर्थन करने के लिये एक अनुसंधान और विकास केंद्र स्थापित करने के लिये निजी सहयोग बढ़ाने की दिशा में कार्य करेंगे। इस प्रकार द्विपक्षीय वैज्ञानिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिये दोनों देश ‘ज्ञान शिखर सम्मेलन’ के लिये पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। 
  • इसके अलावा, उन्नत अनुसंधान के संवर्धन के लिये भारत-फ्रांस सेंटर के तहत नीली अर्थव्यवस्था और समुद्री ज्ञान संबंधी परियोजनाओं को बढ़ावा देने का भी प्रयास होगा।
  • दोनों देश अपने शोध संस्थानों के बीच वैज्ञानिक सहयोग को भी प्रोत्साहित करेंगे और प्रशासनिक प्रक्रियाओं, जैसे- अनुसंधान में शामिल लोगों के लिये वीज़ा जारी करने के साथ-साथ आवश्यक प्राधिकृति भी प्रदान करेंगे।

भविष्य में सहयोग का विस्तार / निष्कर्ष

  • यह सहयोग उपकरण विकास के साथ-साथ ड्रेजिंग उपकरण, मछली पकड़ने के जहाजों/नौकाओं, ट्रॉलर, स्पेयर पार्ट्स और मरम्मत सेवाओं, समुद्र के भीतर केबल बिछाना और उनकी सर्विसिंग, रस्सी, नेट गियर और समुद्री उपकरण पर विस्तारित हो सकता है। 
  • इसके अलावा ये घरेलू जलमार्ग विकसित करने में सहयोग करेंगे, जो बुनियादी ढाँचे के विकास के क्षेत्र में भारत की प्राथमिकताओं में से एक है। इसमें अवसंरचना वृद्धि, फेयरवे विकास, नौवहन और नदी सूचना प्रणाली शामिल हो सकती हैं।
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