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भारत - श्रीलंका कच्चाथीवु/कच्चातिवुद्वीप विवाद

प्रारम्भिक परीक्षा - भूगोल
मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन पेपर-1

चर्चा में क्यों है ?

  • तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने, 18 अगस्त, 2023 को कहा कि श्रीलंका से कच्चाथीवु द्वीप को पुनः प्राप्त करने से तमिलनाडु में मछुआरों की समस्याओं का स्थायी सामाधान हो सकता है।

Kachchativudweep

प्रमुख बिंदु 

  • तमिलनाडु के सीएम ने कहा कि श्रीलंकाई नौसेना कर्मियों के द्वारा मछली पकड़ने के लिए पाक खाड़ी में गए तमिलनाडु के मछुआरों पर हमला करना, गिरफ्तार करना और न्यायिक हिरासत में भेजना एक नियमित मामला बन गया है। 
  • श्रीलंकाई सरकार गिरफ्तार मछुआरों की जब्त नौकाओं और मछली जालों को जारी नहीं करती है। जिससे मछुआरों को अत्यधिक जन-धन की हानि का सामना करना पड़ता है।

इस संबध में वर्तमान केंद्र सरकार और राज्य सरकार का मत क्या है ?

  • केंद्र सरकार ने 2014 में कन्याकुमारी में घोषणा की थी कि भाजपा कच्चातिवु द्वीप को पुनः प्राप्त करेगी, लेकिन आज तक ऐसा नहीं किया गया है। 
  • श्री स्टालिन ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि केंद्र सरकार अब इस मुद्दे को श्रीलंका के साथ उठाएगी और कच्चातिवु को पुनः प्राप्त करने के लिए कदम उठाएगी। 
  • यदि ऐसा नहीं हुआ तो द्रमुक मई 2024 के बाद [लोकसभा चुनाव के बाद] केंद्र में नई सरकार लाएगी, उन्होंने दावा किया, जो भारत (भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन) का नेतृत्व करेगी।

क्या है कच्चातिवु द्वीप विवाद ?

  • कच्चातिवु द्वीप लगभग 285 एकड़ का हरित क्षेत्र 1976 तक भारत का हिस्सा/भाग था। 
  • वर्ष 1974 में तत्कालीन PM इंदिरा गांधी ने श्रीलंकाई राष्ट्रपति श्रीमावो भंडारनायके के साथ 1974-76 के बीच चार समुद्री सीमा समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। 
  • इन्हीं समझौते के तहत कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया गया। 

कहाँ पर स्थित है कच्चातिवु द्वीप? 

Kachchatheevu-island

  • कच्चातिवु द्वीप पाक जलडमरू के मध्य में एक छोटा सा द्वीप है, जो बंगाल की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ता है।
  • यह श्रीलंका और भारत के बीच एक विवादित क्षेत्र है, जिस पर श्रीलंका अपना हक जताता है। 

कच्चातिवू द्वीप का इतिहास क्या है?

  • कच्चातिवू द्वीप का निर्माण 14वीं शताब्दी में ज्वालामुखी विस्फोट के कारण हुआ था। यह कभी 17वीं शताब्दी में मदुरई के राजा रामानद/रामनाद के अधीन था। 
  • ब्रिटिश शासनकाल में यह द्वीप मद्रास प्रेसीडेंसी के पास आया। 1921 में श्रीलंका और भारत दोनों ने मछली पकड़ने के लिए इस भूमि पर दावा किया लेकिन विवाद अनसुलझा रहा। आजादी के बाद इसे भारत का हिस्सा माना गया।

कच्चातिवू द्वीप का महत्व 

  • इस द्वीप का सामाजिक, आर्थिक ,सामरिक ,सांस्कृतिक और राजनीतिक महत्त्व है। 
  • इस द्वीप का उपयोग तमिलनाडु के मछुआरे अपनी आजीविका चलाने के लिए करते हैं।
  • इस द्वीप का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्त्व भी है क्योंकि यह द्वीप प्राचीन काल से भारत का हिस्सा रहा है। जिससे भारत और श्रीलंका के मध्य तमिल भाषा के लोग आपसी संबंधों से जुड़े हुए थे।
  • सामरिक और राजनितिक महत्त्व की बात की जाय तो यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण द्वीप है क्योंकि यह पाक जलडमरू के मध्य में एक छोटा सा द्वीप है, जो बंगाल की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ता है। जिस कारण यह सामरिक दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण है। 

भारत-श्रीलंका के बीच समुद्री सीमा समझौते

  • भारत-श्रीलंका के मध्य में समुद्री सीमा प्रादेशिक आधार पर 12 समुद्री मील की दूरी तक फैला हुआ होता है। इसके हवाई क्षेत्र, समुद्र, सीबेड और सबसॉइल पर तटीय देशों की संप्रभुता होती है। 

समुद्र में प्रादेशिक समुद्री सीमा 12 नॉटिकल मील तक भारत का सम्पूर्ण अधिकार है। नोट : 1 नॉटिकल मील अथवा समुद्री मील = 1.8 मील।

  • वर्ष 1974 तक बंगाल की खाड़ी, पाक की खाड़ी और मन्नार की खाड़ी से स्वतंत्र रूप से भारतीय नाविक इस विवादित समुद्री जलक्षेत्र में मछली पकड़ते थे।
  • विवाद को समाप्त करने के उद्देश्य से वर्ष 1976 में दोनों देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (International Maritime Boundary Line-IMBL) का सीमांकन करने के लिये संधियों पर हस्ताक्षर किये गए।
  • हालाँकि ये संधियाँ उन पारंपरिक तरीके से मछली पकड़ने वाले मछुआरों के हितों को  नज़रअंदाज़ करती है जो मत्स्यन हेतु स्वयं को एक सीमित क्षेत्र तक रखने के लिये बाध्य है।
  • वर्ष 1974 में 26 जून को कोलंबो और 28 जून को दिल्ली में दोनों देशों के बीच इस द्वीप के बारे में बातचीत हुई। इन्हीं दो बैठकों में कुछ शर्तों के साथ इस द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया गया। 
  • तब शर्त यह रखी गई कि भारतीय मछुआरे अपना जाल सुखाने के लिए इस द्वीप का इस्तेमाल कर सकेंगे और द्वीप में बने चर्च में भारत के लोगों को बिना वीजा के जाने की अनुमति होगी। 
  • समझौतों ने भारत और श्रीलंका की अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा चिह्नित कर दी। हालांकि इस समझौते का तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री एम करुणानिधि ने तीखा विरोध किया था।
  • श्रीलंका में अलगाववादी समूह लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) के सक्रिय वर्षों के दौरान, श्रीलंकाई सरकार ने सैन्य अभियानों के मुद्दों को उठाते हुए पानी में श्रीलंकाई मछुआरों की आसान आवाजाही को प्रतिबंधित कर दिया था। 
  • 2009 में, श्रीलंका ने पाक जलडमरूमध्य में अपनी समुद्री सीमा की कड़ी सुरक्षा शुरू कर दी। 
  • 2010 में एलटीटीई के साथ संघर्ष की समाप्ति के साथ श्रीलंकाई मछुआरों ने फिर से पाक खाड़ी में अपना आंदोलन शुरू कर दिया और इस क्षेत्र को दोबारा हासिल कर लिया।

भारत में इस द्वीप को लेकर विवाद क्या है?

  • तमिलनाडु की तमाम सरकारें 1974 के समझौते को मानने से इनकार करती रहीं और श्रीलंका से द्वीप को दोबारा प्राप्त करने की मांग उठाती रहीं। 
  • 1991 में तमिलनाडु विधानसभा द्वारा समझौते के खिलाफ एक प्रस्ताव लाया गया जिसके जरिए द्वीप को पुनः प्राप्त करने की मांग की गई थी।
  • 2008 में तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने केंद्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गईं और कच्चातिवु समझौतों को रद्द करने की अपील की। 
  • उन्होंने कहा था कि श्रीलंका को कच्चातिवु उपहार में देने वाले देशों के बीच दो संधियां असंवैधानिक हैं। 
  • मई 2022 में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार से कच्चातिवु द्वीप को भारत को पुनः प्राप्त करने की मांग की थी । 

कच्चातिवु द्वीप समाधान

  • भारतीय मछुआरे श्रीलंकाई जलक्षेत्र में बहुत अंदर तक चले जाते हैं; वे श्रीलंकाई तमिल मछुआरों को उनकी आजीविका से वंचित करते हैं । 
  • उचित समाधान के लिए पूर्व-आवश्यकता यह पहचानना है कि श्रीलंकाई तमिल मछुआरे भी प्रमुख हित धारक हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय समझौते, चाहे वे कितने भी अन्यायपूर्ण क्यों न हों उन्हें उत्तराधिकारी सरकारों द्वारा अस्वीकार नहीं किया जा सकता है।
  • यदि भारत एकतरफा समझौते को रद्द कर देता है, तो उसकी छवि प्रभावित होगी; सबसे अच्छा संभव समाधान यह है कि कच्चातिवु द्वीप और आसपास के समुद्रों को "सदा के लिए पट्टे" पर प्राप्त किया जाए। 
  • जयललिता और करुणानिधि दोनों के नेतृत्व में तमिलनाडु सरकार ने कई अवसरों पर नई दिल्ली को इस कार्रवाई का सुझाव दिया है। लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक कोई कार्य नहीं किया।
  • पाक खाड़ी को एक विवादित क्षेत्र के रूप में नहीं, बल्कि साझी विरासत के रूप में देखा जाना चाहिए। 
  • सरकारों के बीच बातचीत शुरू होनी चाहिए और उन्हें एक समझौते पर आना चाहिए कि कैसे संसाधनों को समान रूप से साझा किया जा सकता है।
  • संयुक्त प्रयासों के माध्यम से समुद्री संसाधनों को समृद्ध किया जा सकता है। क्योंकि ऊपर से थोपे गए समाधान की तुलना में नीचे से निकले समाधान के सफल होने की संभावना अधिक होती है।

प्रारम्भिक परीक्षा प्रश्न : निम्नलिखित में से कच्चातिवु द्वीप कहाँ स्थित है ?

(a) अदन की खाड़ी में

(b) ओमान की खाड़ी में

(c) फारस की खाड़ी में

(d) बंगाल की खाड़ी में 

उत्तर (d)

मुख्य परीक्षा प्रश्न: कच्चातिवु द्वीप विवाद क्या है? एवं इसके समाधान के उपाय सुझाएँ।

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