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भारत-श्रीलंका संबंध 

(मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 : द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।)
(प्रारंभिक परीक्षा - राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, भारत का प्राकृतिक भूगोल)

संदर्भ 

  • भारत एवं श्रीलंका के मध्य कच्चाथीवु द्वीप की संप्रभुता को लेकर लंबे समय से विवाद जारी है। हालाँकि, भारतीय पक्ष कच्चाथीवु द्वीप पर आधिकारिक दावा नहीं करता है किंतु राजनीतिक दलों (विशेषकर तमिलनाडु के राजनीतिक दल) द्वारा समय-समय पर इसको लेकर बयानबाजी की जाती रही है। 
  • इस आंतरिक बयानबाजी के कारण दोनों देशों के मध्य पुनः विवादित स्थिति बन गई है। बार-बार ऐसी स्थिति दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित करता है।

भारत-श्रीलंका द्विपक्षीय संबंध

पृष्ठभूमि 

  • भारत एवं श्रीलंका के मध्य बौद्धिक, सांस्कृतिक, धार्मिक व भाषाई संपर्क की विरासत है। दोनों देशों के मध्य 2500 वर्ष से अधिक पुराना संबंध है। 
  • भारत-श्रीलंका के मध्य मजबूत राजनीतिक संबंध, व्यापार एवं निवेश में वृद्धि और विकास, शिक्षा, संस्कृति, रक्षा व अंतरराष्ट्रीय हित के प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर व्यापक सहयोग भी शामिल है।
  • हाल के वर्षों में, श्रीलंका में आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों (IDP) एवं आबादी के वंचित वर्गों के लिए भारत द्वारा विकासात्मक सहायता परियोजनाओं के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण प्रगति ने संबंधों को अधिक मजबूत करने में मदद की है।

ऐतिहासिक संबंध 

  • भारत एवं श्रीलंका के बीच सम्राट अशोक के शासनकाल से ही सांस्कृतिक, धार्मिक व व्यापारिक संबंध रहे हैं। 
  • बौद्ध धर्म की उत्पत्ति भारत में हुई, जो श्रीलंका में एक महत्त्वपूर्ण धर्म है।  
  • दोनों देशों की साझा सांस्कृतिक एवं सामाजिक विरासत एक बहुआयामी साझेदारी की नींव प्रदान करती है। 

राजनयिक संबंध 

  • श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने फरवरी 2015 में भारत की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा की। प्रधानमंत्री मोदी ने उसी वर्ष मार्च में श्रीलंका का दौरा किया। 28 वर्षों में मोदी श्रीलंका की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री थे।
    • विदित है कि विगत वर्ष दोनों देशों के राजनयिक संबंधों की स्थापना के 75 वर्ष पूरे हुए। 
  • श्रीलंका बिम्सटेक (बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग पहल) एवं सार्क (SAARC) जैसे क्षेत्रीय संगठनों में भाग लेता है, जहां भारत एक प्रमुख स्थान रखता है।

वाणिज्यिक संबंध 

  • भारत ऐतिहासिक रूप से श्रीलंका के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक रहा है। सार्क में श्रीलंका, भारत के मुख्य व्यापारिक साझेदारों में से एक बना हुआ है। 
  • भारत वर्ष 2021 में 5.45 बिलियन अमेरिकी डॉलर के समग्र द्विपक्षीय व्यापार के साथ श्रीलंका का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार रहा। भारत एवं श्रीलंका के बीच व्यापार वर्ष 2020 में 3.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। 
  • वर्ष 2021 में द्विपक्षीय व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि (लगभग 48%) वर्ष 2020 की तुलना में भारत व श्रीलंका के बीच व्यापक वाणिज्यिक जुड़ाव की गहराई को दर्शाता है। 
  • वर्ष 2000 में आई.एस.एल.एफ.टी.ए. (ISLFTA) लागू होने के बाद से भारत में श्रीलंकाई निर्यात में काफी वृद्धि हुई है। भारत के प्रमुख निवेशों में पेट्रोलियम, पर्यटक एवं आतिथ्य, विनिर्माण, रियल एस्टेट, दूरसंचार, बैंकिंग व वित्तीय सेवाएं शामिल हैं। 

रक्षा क्षेत्र में सहयोग 

  • भारत ने श्रीलंका को वाहन इंजन, गश्ती वाहन व हवाई खोज रडार प्रदान किए हैं। 
  • दोनों देशों के बीच मित्र शक्ति (सैन्य अभ्यास) व स्लीनेक्स (नौसेना अभ्यास) संयुक्त अभ्यास आयोजित किए जाते हैं। साथ ही, मालदीव के साथ दोस्ती नामक त्रिपक्षीय तटरक्षक अभ्यास का आयोजन किया जाता है। 
  • रक्षा सहयोग में भारत की मजबूती इसकी क्षमता निर्माण एवं सैन्य प्रशिक्षण है, जिसके अंतर्गत वर्ष 2019 में भारत ने श्रीलंकाई सेना के लिए 344 प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों की पेशकश की।
  • श्रीलंका के 60% से ज़्यादा  सैन्यकर्मी भारत में युवा, जूनियर व सीनियर कमांड कोर्स करते हैं।  

सांस्कृतिक एवं शैक्षिक संबंध

  • भारत व श्रीलंका ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक एवं भाषाई संबंधों की 2,500 वर्ष की विरासत साझा करते हैं।
  • भारत एवं श्रीलंका की सरकारों द्वारा 29 नवंबर, 1977 को नई दिल्ली में हस्ताक्षरित सांस्कृतिक सहयोग समझौता दोनों देशों के बीच आवधिक सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों की नींव है।
  • वर्ष 2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाने के लिए श्रीलंका में विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियाँ आयोजित की गईं। इसके अलावा 9 नवंबर, 2019 को स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र ने गुरु नानक देव की 550वीं जयंती मनाई।

ऊर्जा संबंध 

  • दोनों के बीच दीर्घकाल से लंबित परियोजनाओं की शुरुआत हुईं, जिनमें त्रिंकोमाली तेल टैंक फार्म सौदा और सैमपुर में एक नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना (मूल रूप से कोयले से चलने वाला थर्मल प्लांट) शामिल हैं। 
  • अडानी समूह ने श्रीलंका के पश्चिमी तट पर मन्नार में एक पवन फार्म स्थापित करने के लिए समझौते को अंतिम रूप दिया। 
    • श्रीलंकाई सरकार ने जाफना में हाइब्रिड सौर एवं पवन परियोजनाएँ स्थापित करने संबंधी चीनी फर्म के अनुबंध को रद्द कर दिया है। 

भारत एवं श्रीलंका के मध्य विज़न डॉक्यूमेंट

  • विगत वर्ष श्रीलंकाई राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की भारतीय यात्रा के दौरान दोनों देशों ने आर्थिक साझेदारी को गहरा करने के लिए एक ‘विज़न डॉक्यूमेंट’ अपनाया। 
  • इस विज़न डॉक्यूमेंट के पाँच स्तंभ हैं : 

समुद्री कनेक्टिविटी 

  • क्षेत्रीय लॉजिस्टिक्स और शिपिंग को मज़बूत करने के उद्देश्य से कोलंबो, त्रिंकोमाली एवं कांकेसंथुराई में बंदरगाहों व लॉजिस्टिक सुविधाओं के विकास में सहयोग करना। 
  • भारत एवं श्रीलंका के बीच यात्री नौका सेवाएँ पुनः शुरू करना। 

हवाई कनेक्टिविटी 

  • चेन्नई और त्रिंकोमाली, बट्टिकलोआ और श्रीलंका के अन्य गंतव्यों के बीच कनेक्टिविटी की संभावनाएँ तलाशना तथा चेन्नई-कोलंबो के बीच उड़ानों का विस्तार करना। 
  • नागरिक उड्डयन में निवेश व सहयोग को प्रोत्साहित एवं मज़बूत करना। 

ऊर्जा और बिजली कनेक्टिविटी 

  • श्रीलंका और BBIN (बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल) सहित अन्य क्षेत्रीय देशों के बीच दोतरफा बिजली व्यापार को बढ़ावा देने के लिए उच्च क्षमता पावर ग्रिड इंटरकनेक्शन स्थापित करना। 
  • सैमपुर सौर ऊर्जा परियोजना एवं एल.एन.जी. बुनियादी ढाँचे पर समझौते के कार्यान्वयन में तेज़ी लाना, ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया में सहयोग का विस्तार करना। 
  • श्रीलंका के पेट्रोलियम क्षेत्र को विकसित करने के लिए श्रीलंका के अपतटीय बेसिनों में हाइड्रोकार्बन की संयुक्त खोज और उत्पादन करना। दोनों देश दक्षिण भारत से श्रीलंका तक बहु-उत्पाद पेट्रोलियम पाइपलाइन पर काम करेंगे। 

व्यापार, आर्थिक और वित्तीय कनेक्टिविटी 

  • नए व प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश को बढ़ाने के उद्देश्य से आर्थिक तथा प्रौद्योगिकी सहयोग। 
  • व्यवसायों और आम लोगों के बीच व्यापार एवं लेनदेन को बढ़ाने के लिए यू.पी.आई.-आधारित डिजिटल भुगतान शुरू करने पर सहमति। 

लोगों से लोगों का संपर्क 

  • पर्यटन को बढ़ाने के लिए भारत के बौद्ध सर्किट और रामायण सर्किट के साथ-साथ श्रीलंका में बौद्ध, हिंदू तथा अन्य प्राचीन धार्मिक स्थलों को लोकप्रिय बनाना। 
  • कृषि, आई.टी., व्यवसाय, वित्त एवं प्रबंधन, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा, पृथ्वी एवं समुद्री विज्ञान, अंतरिक्ष अनुप्रयोग, इतिहास, संस्कृति, भाषा, साहित्य और धार्मिक अध्ययन जैसे पारस्परिक हितों के क्षेत्र में अनुसंधान तथा शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग का विस्तार करना।

श्रीलंका का सामरिक महत्व  

  • श्रीलंका रणनीतिक रूप से हिंद महासागर में स्थित है। इसके चारों ओर से गुजरने वाला पूर्व-पश्चिम समुद्री मार्ग दुनिया के लगभग दो-तिहाई तेल और दुनिया के आधा कंटेनर परिवहन के लिए ज़िम्मेदार है। 
  • श्रीलंका के बंदरगाहों में हिंद महासागर में महत्वपूर्ण समुद्री केंद्र बनने की क्षमता है। समुद्री सुरक्षा व व्यापार सुनिश्चित करने और संचार के रणनीतिक समुद्री मार्गों को सुरक्षित करने की श्रीलंका की क्षमता इस क्षेत्र में इसके महत्व को बढ़ाती है।
  • श्रीलंका अपनी हिंद महासागर रणनीति के संदर्भ में और हिंद महासागर रिम समुदाय की स्थापना के अपने उद्देश्यों के लिए भागीदारों की नेटवर्किंग के संदर्भ में भी भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।

दोनों देशों के मध्य विवाद के मुद्दे एवं चिंताएँ 

मछुआरों का मुद्दा 

अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा का उल्लंघन करने और श्रीलंकाई जल में अवैध शिकार में संलग्न होने के आरोप में भारतीय मछुआरों को अक्सर गिरफ्तार किया जाना। 

चीन का बढ़ता प्रभाव 

  • श्रीलंका में तेज़ी से चीनी निवेश बढ़ा है, परिणामस्वरूप चीन द्वारा राजनीतिक हस्तक्षेप भी किया जाता रहा है जो भारत-श्रीलंका संबंधों को तनावपूर्ण बना रहा है। 
  • श्रीलंका में भारत की कई परियोजनाओं को पर्यावरण मंजूरी में देरी हुई। इससे भारत पर श्रीलंका के लोगों का विश्वास कम हुआ है और चीन के लिए संभावनाएँ बढ़ी। 
  • श्रीलंका द्वारा चीन की कनेक्टिविटी परियोजना ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (BRI) का समर्थन करता है। 

श्रीलंका का 13वाँ संविधान संशोधन 

  • यह एक संयुक्त श्रीलंका के भीतर समानता, न्याय, शांति व सम्मान के लिए तमिल लोगों की मांगों को पूरा करने के उद्देश्य से प्रांतीय परिषदों को आवश्यक शक्ति हस्तांतरण की परिकल्पना करता है। 
  • भारत इसके कार्यान्वयन का समर्थन करता है किंतु श्रीलंकाई सरकार ने अभी तक इसे पूरी तरह लागू नहीं किया है। 

कच्चातिवु द्वीप विवाद 

पाक जलडमरूमध्य में स्थित यह निर्जन टापू भारत व श्रीलंका के मछुआरों के बीच लंबे समय से विवाद का केंद्र है। 

कच्चाथीवू द्वीप का द्विपक्षीय संबंधो पर प्रभाव

  • कच्चाथीवू द्वीप विवाद समुद्री सीमाओं की जटिल प्रकृति एवं स्थानीय समुदायों की आजीविका पर भू-राजनीतिक निर्णयों को प्रभावित करता है। 
  • कचाथिवु संबंधी विवाद समुद्री सीमाओं, समुद्री संसाधनों तक पहुंच एवं पारंपरिक समुदायों के अधिकारों से संबंधित व्यापक मुद्दों को प्रतिबिंबित करता है।
  • यह विवाद श्रीलंका में भारत की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाएगा और पड़ोसियों द्वारा भारत के बड़े भाई वाले रवैये को मजबूत करेगा। साथ ही, पुराने समझौतों को फिर से खोलने से बुरी मिसाल कायम होगी।

आगे की राह 

  • भारत-श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौते पर दिसंबर 1998 में हस्ताक्षर किए गए थे। अब दोनों पक्षों के मध्य आर्थिक व प्रौद्योगिकी सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। 
  • क्षेत्रीय जल की निकटता के कारण, विशेष रूप से पाक जलडमरूमध्य एवं मन्नार की खाड़ी में, मछुआरों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (IMBL) को पार करने की घटनाएं लगातार हो रही हैं। इसका त्वरित समाधान आवश्यक है। 
  • दोनों देशों द्वारा द्विपक्षीय ग्रिड पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हुए 13 वर्ष बीत चुके हैं किंतु अभी तक बिजली प्रसारित नहीं की गई है।    
    • बांग्लादेश के मामले में भारत पिछले कुछ वर्षों से सालाना कम से कम 7,000 मिलियन यूनिट (MU) बिजली का निर्यात कर रहा है।
  • श्रीलंका में निरंतर चीन के बढ़ते प्रभाव, जैसे- श्रीलंका में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हंबनटोटा बंदरगाह को 99 वर्ष के लिए चीन को पट्टे पर दिए जाने जैसी चुनौतियां के समाधान की आवश्यकता है 
    • हालाँकि, कुछ दिनों पूर्व श्रीलंका सरकार ने चीन द्वारा निर्मित मत्ताला राजपक्षे इंटरनेशनल एयरपोर्ट का प्रबंधन भारतीय कंपनी शौर्य एयरोनॉटिक्स (प्राइवेट) लिमिटेड और रूसी कंपनी रीजन्स मैनेजमेंट को 30 वर्षों के लिए सौंप दिया है। यह एयरपोर्ट श्रीलंका के तटीय शहर हंबनटोटा के नजदीक स्थित है। 
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