चर्चा में क्यों?
अटल इनोवेशन मिशन द्वारा ऑस्ट्रेलिया की सी.एस.आई.आर.ओ. (Commonwealth Scientific and Industrial Research Organisation - CSIRO) की सहायता से भारत-ऑस्ट्रेलिया सर्कुलर इकॉनमी हैकथॉन का आयोजन 7-8 दिसम्बर, 2020 को किया जाएगा।
मुख्य बिंदु
- आई-ए.सी.ई. का विचार सर्वप्रथम भारत-ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्रियों की 4 जून की वर्चुअल मीटिंग में सामने आया था।
- आई-ए.सी.ई. के अंतर्गत भारत तथा ऑस्ट्रेलिया के स्टार्ट-अप, एम.एस.एम.ई. तथा प्रतिभाशाली छात्रों द्वारा नवाचारी तकनीकी समाधानों के विकास तथा उन्हें पहचान प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- चयनित छात्रों को स्टार्टअप और एम.एस.एम.ई. से सम्बंधित नवाचारी समाधानों हेतु पुरस्कृत किया जाएगा। प्रस्तावित हैकथॉन निम्नलिखित 4 विषयों पर केंद्रित होगा-
1. पैकिंग अपशिष्ट को कम करने हेतु सीमित संसाधनों से पैकिंग क्षेत्र में नवाचार।
2. भोजन की बर्बादी को कम करने हेतु खाद्य आपूर्ति शृंखला में नवाचार।
3. प्लास्टिक अपशिष्ट में कमी हेतु नए अवसरों की खोज।
4. जटिल ऊर्जा धातु और अपशिष्ट पुनर्चक्रण हेतु नवाचार।
लाभ
- इससे अपशिष्ट पदार्थों के निपटान का स्थायी समाधान निकलेगा तथा अपशिष्ट पदार्थों के पुनः उपयोग के नए तरीके भी सामने आएंगे।
- भारत-ऑस्ट्रेलिया सयुंक्त रूप से अनुसंधान तथा विकास सम्बंधी प्रयासों में तीव्रता लाकर महामारी के इस चुनौतीपूर्ण समय में प्रभावी आर्थिक और सामाजिक समाधानों की खोज कर सकते हैं।
- आई-ए.सी.ई. से अर्थव्यवस्था को सीमित संसाधनों में बेहतर पर्यावरण अनुकूल आर्थिक विकास की दिशा में सहायता प्राप्त होगी।
- इस प्रयास से सर्कुलर इकॉनमी की चुनौतियों से निपटने में सहायता प्राप्त होगी।
- सर्कुलर इकॉनमी के मॉडल, व्यापक स्तर पर रोज़गार सृजन तथा उच्च आर्थिक विकास की दर प्राप्त करने में सहायक होगा।
नोट - सर्कुलर इकॉनमी में कचरे या अपशिष्ट की सहायता से नए उत्पाद और वस्तुओं का निर्माण किया जाता है।
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निष्कर्ष
सर्कुलर इकॉनमी की दिशा में सतत् और नवाचारी समाधानों को अपनाते हुए आगे बढ़ना समय की मांग है, क्योंकि ये समाधान न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं बल्कि इनसे सतत् विकास को भी बढ़ावा मिलता है।