प्रारम्भिक परीक्षा - भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023, इसरो मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 – अंतरिक्ष, सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय |
सुर्खियों में क्यों ?
- हाल ही में, केंद्र सरकार द्वारा भारतीय अंतरिक्ष नीति, 2023 को मंजूरी प्रदान की गयी।
भारतीय अंतरिक्ष नीति, 2023
उद्देश्य
- अंतरिक्ष विभाग की भूमिका को बढ़ाना।
- इसरो मिशन की गतिविधियों को बढ़ावा देना।
- अनुसंधान, शिक्षा, स्टार्टअप और उद्योग के माध्यम से भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
मुख्य विशेषताएं
(1) भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को रेखांकित करना
- भारतीय अंतरिक्ष नीति, 2023 अंतरिक्ष क्षेत्र में विभिन्न संगठनों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को रेखांकित करती है।
- इस नीति में इसरो, न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड और निजी क्षेत्र की संस्थाओं की जिम्मेदारियां शामिल हैं।
- न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) द्वारा अंतरिक्ष क्षेत्र से संबंधित रणनीतिक गतिविधियों को अंजाम दिया जाएगा, जो मांग-संचालित मोड में कार्य करेगा।
- इसरो अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए कोई परिचालन और उत्पादन कार्य नहीं करेगा और अपनी ऊर्जा को नई तकनीकों, नई प्रणालियों और अनुसंधान और विकास के विकास पर केंद्रित करेगा।
- इसरो के मिशनों के परिचालन भाग को न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) में स्थानांतरित कर दिया जाएगा, जो अंतरिक्ष विभाग के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है।
- भूमिकाओं में यह स्पष्टता स्थापित घटकों के कुशल कामकाज में मदद करेगी।
(2) मल्टीस्टेकहोल्डर भागीदारी
- नीति का उद्देश्य अंतरिक्ष विभाग की भूमिका को बढ़ाकर और अनुसंधान, शिक्षा, स्टार्टअप और उद्योग से भागीदारी को प्रोत्साहित करके अंतरिक्ष क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देना है।
- इससे अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास में मदद मिलेगी और निजी क्षेत्र के लिए अधिक अवसर पैदा होंगे।
(3) इसरो मिशन को बढ़ावा देना
- भारतीय अंतरिक्ष नीति, 2023 का उद्देश्य इसरो मिशन की गतिविधियों को बढ़ावा देना है।
- इससे इसरो को अपने उद्देश्यों को अधिक कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
- यह नई प्रौद्योगिकियों और अभिनव समाधान के विकास में भी मदद करेगा।
(4) निजी क्षेत्र की भागीदारी
- यह नीति, अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास में निजी क्षेत्र के महत्व पर बल देती है।
- यह अंतरिक्ष क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं में निजी क्षेत्र की संस्थाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करती है।
- यह निजी क्षेत्र को एंड-टू-एंड अंतरिक्ष गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति देती है, जिसमें उपग्रह, रॉकेट और लॉन्च वाहन, डेटा संग्रह और प्रसार शामिल हैं।
- इससे निजी क्षेत्र के लिए अधिक अवसर उत्पन्न होंगे और इससे भारतीय अंतरिक्ष उद्योग के विकास में मदद मिलेगी।
(5) अनुसंधान और विकास
- नीति का उद्देश्य अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास में अनुसंधान, शिक्षा और स्टार्टअप को शामिल करना है।
- इससे नई तकनीकों, नवोन्मेषी समाधानों और टैलेंट पूल के विकास में मदद मिलेगी।
- यह भारतीय अंतरिक्ष उद्योग के विकास में भी मदद करेगा और इस क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के अधिक अवसर उत्पन्न होंगे।
इसरो
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भारत की अंतरिक्ष एजेंसी है।
- इसरो का गठन 15 अगस्त, 1969 को किया गया था।
- इसरो का मुख्य उद्देश्य विभिन्न राष्ट्रीय आवश्यकताओं के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का विकास और अनुप्रयोग है।
- इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए, इसरो ने संचार, दूरदर्शन प्रसारण और मौसम संबंधी सेवाओं, अंतरिक्ष आधारित नौसंचालन सेवाओं के लिए प्रमुख अंतरिक्ष प्रणालियों की स्थापना की है।
- इसरो ने उपग्रहों को अपेक्षित कक्षाओं में स्थापित करने के लिए उपग्रह प्रक्षेपण यान, PSLV और GSLV विकसित किए हैं।
- इसरो का मुख्यालय बेंगलूरु में स्थित है तथा इसकी गतिविधियाँ विभिन्न केंद्रों और इकाइयों में फैली हुई हैं।
- विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, तिरुवनंतपुरम में प्रमोचक रॉकेट का निर्माण किया जाता है।
- यू. आर. राव अंतरिक्ष केंद्र, बेंगलूरु में उपग्रहों की डिजाइन एवं विकास किया जाता है।
- सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा में उपग्रहों एवं प्रमोचक रॉकेटों का समेकन तथा प्रमोचन किया जाता है।
- द्रव नोदन प्रणाली केंद्र, वलियमाला एवं बेंगलूरु में क्रायोजेनिक चरण के साथ द्रव चरणों का विकास किया जाता है।
- अंतरिक्ष उपयोग केंद्र, अहमदाबाद में संचार एवं सुदूर संवेदन उपग्रहों के संवेदकों तथा अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग से संबंधित पहलुओं पर कार्य किया जाता है।
- राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र, हैदराबाद में सुदूर संवेदन आँकड़ों का अभिग्रहण, प्रसंस्करण तथा प्रसारण किया जाता है।
इसरो के मिशन
- वर्ष 1980 में SLV-3 का सफल परीक्षण।
- वर्ष 1994 में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) का सफल परीक्षण।
- वर्ष 2008 में चंद्रयान-1।
- वर्ष 2014 में मंगलयान।
- वर्ष 2017 में GSLV MK 3 का सफल परीक्षण।
- वर्ष 2018 में नेवीगेशन उपग्रह IRNSS लॉन्च।
- वर्ष 2019 में चंद्रयान-2।
इसरो के भविष्य के मिशन
- आदित्य-एल 1।
- गगनयान।
- चंद्रयान-3।
- वर्ष 2030 तक अंतरिक्ष में भारत का अंतरिक्ष स्टेशन।
डेली अभ्यास प्रश्न
प्रश्न - भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -
- नयी अंतरिक्ष नीति के अनुसार, इसरो अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए कोई परिचालन और उत्पादन कार्य नहीं करेगा।
- इस नीति द्वारा इसरो के मिशनों के परिचालन भाग को न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) में स्थानांतरित कर दिया गया है।
- यह निजी क्षेत्र को एंड-टू-एंड अंतरिक्ष गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति देती है, जिसमें उपग्रह, रॉकेट और लॉन्च वाहन, डेटा संग्रह और प्रसार शामिल हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर – d
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